बसपा प्रमुख मायावती द्वारा क्षेत्रीय दलों से हाथ मिलाकर उनकी पार्टी को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है। यूपी में 2014 के संसदीय चुनावों में हाथ खाली रहने बाद नरेंद्र मोदी की लहर के बावजूद गठबंधन के जरिये उन्हें उत्तर प्रदेश में 10 लोकसभा सीटें मिलीं हैं ।बसपा में मौजूद अस्तित्व के संकट और अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित मायावती ने सब कुछ दांव पर लगाते हुए उन्होंने न केवल अपने कड़वे प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी के साथ हाथ मिलाया, बल्कि उनके लिए खुल कर प्रचार भी किया। मैनपुरी में समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के लिए भी प्रचार किया । उनकी पार्टी ने यूपी से लोकसभा में सबसे ज्यादा सांसदों को भेजकर अपनी पार्टी का राजनीतिक रूप फिर से महत्वपूर्ण कर दिया है।
