7 अक्तूबर 2018

ताज को अधिक से अधिक पर्यटक बिना असुविधा के देखें - विजन प्लान

( के.सी. जैन द्वारा )
आगरा। ताजमहल और उसके वातावरण के संरक्षण हेतु आगामी 100 वर्ष के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के क्रम में विजन प्लान बनाया जा रहा है जिसको लेकर बड़ी संख्या में स्टेक होल्डर्स ने अपने सुझाव आज आयुक्त सभागार में बैठक में दिये जिसमें विजन प्लान को बनाने वाली संस्था स्कूल ऑफ प्लानिंग ऑफ आर्किटेक्चर (एस.पी.ए.) की परियोजना हैड मीनाक्षी धोते थी। बैठक की अध्यक्षता  अनिल कुमार मण्डलायुक्त, आगरा ने की। 

बैठक में सर्वप्रथम पर्यावरणविद इजी. उमेश चन्द शर्मा ने कहा कि फाउण्ड्री उद्योग सप्ताह में केवल एक दिन चलता है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के क्रम में प्राकृतिक गैस से ही संचालित है, जिसे प्रदूषणकारी नहीं माना जाना चाहिये। ताज को अधिक से अधिक पर्यटक बिना असुविधा के देखें, ऐसा विजन प्लान हमें बनाना चाहिये।


आगरा डेवलपमेण्ट फाउण्डेशन (ए.डी.एफ.) के सचिव के.सी. जैन द्वारा यह बात रखी गयी कि ताज महल को वायु प्रदूषण से खतरा बताया जाता है लेकिन वायुप्रदूषण के कारणों और प्रत्येक कारण का योगदान क्या है, इसका अध्ययन आई.आई.टी. कानपुर को केन्द्रीय पर्यावरण मन्त्रालय को 19 लाख रुपये भुगतान कर कराया जा रहा है। जबतक अध्ययन की रिपोर्ट नहीं आ जाती है, और वायु प्रदूषण उत्पन्न करने वाले कारणों व उनके योगदान का खुलासा नहीं होता है, तब तक ताजमहल को वायु प्रदूषण से बचाने के लिये कोई प्रभावी विजन प्लान नहीं बनाया जा सकता है। अतः रिपोर्ट आने के उपरान्त ही अन्तिम रूप दिया जाय। इसके अतिरिक्त यह बात भी रखी गई की ए.एस.आई. के रसायनिक विज्ञान शाखा द्वारा वर्ष 2017 में वायु प्रदूषण को लेकर अपनी रिपोर्ट ताजमहल के सम्बन्ध में दी थी, जिसमें उद्योगों का प्रदूषण में कोई योगदान नहीं माना गया था। इसी प्रकार वर्ष 2015 में भी अमेरिका की जार्जिया इन्सटीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी व विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय ने आई.आई.टी. कानपुर एवं ए.एस.आई. के साथ ताजमहल पर प्रदूषण का अध्ययन किया था और इस रिपोर्ट में वाहनों के उत्सर्जन, लकड़ी व गोबर को जलाने, कूड़ा जलाने व फसलों की पाली के जलाने को वायुप्रदूषण का कारण माना। डॉ. मनोरंजन होटा ने भी अपनी रिपोर्ट (दिसम्बर, 2016) में उद्योगों को दोषी नहीं पाया। इन तीनों रिपोर्टों को विजन प्लान बनाते समय विचार किया जाना चाहिये। इसके अतिरिक्त यह बात भी रखी गयी कि स्मार्ट सिटी योजना, अमृत योजना व हेरिटेज सिटी की योजना को भी विजन प्लान के साथ एकीकृत कर हिस्सा बनाया जाये। विजन प्लान के प्रस्तावों को लागू करने के लिए स्पष्ट रोड मैप की जरूरत भी बतायी गयी। पब्लिक ट्रान्सपोर्ट को प्रोत्साहित करने के लिए सी.एन.जी. की बसों को परमिट योजना को भी विजन प्लान का हिस्सा बनाया जाये। नगर निगम की महत्वपूर्ण भूमिका को भी विजन प्लान में स्वीकार किया जाये।

पूर्व विधायक केशो मेहरा द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सन्दर्भ देते हुए उद्योगों पर रोक न लगाये जाने की बात गम्भीरता से रखी।
पत्रकार राजीव सक्सैना द्वारा वाटर बॉडीज के संरक्षण एवं विलायती बबूल को समाप्त करने की बात रखी गयी। नेशनल चैम्बर के अध्यक्ष राजीव तिवारी द्वारा भी यह बात रखी गयी कि टी.टी.जैड. में उद्योगों के लिये वर्गीकरण अलग तरीके से होना चाहिये क्योंकि यहां उद्योग कोयले से नहीं चलते हैं अपितु गैस से चलते हैं। उन्होंने विजन प्लान के इस कथन की भी आपत्ति की कि आगरा की पहचान ताज से नहीं बल्कि यहां के पर्यावरण व लोगों से होनी चाहिये। यमुना नदी में कार्यक्रम न होने व यमुना पर बैराज न बनाये जाने के विजन प्लान के प्रस्ताव का विरोध किया।

रमेश वाधवा, अरुण डंग, राकेश चौहान, नजीर अहमद, अशोक अरोरा आदि अनेक वक्ताआें ने विजन प्लान के सुझाव प्रस्तुत किये।
बैठक में आगरा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष शुभ्रा सक्सैना, डी.एफ.ओ. मनीष मित्तल, संयुक्त निदेशक उद्योग अन्जू रानी आदि उपस्थित थे।