--ई-गर्वनेंस के साइबर मोर्चे तक पर यू पी में पार्टी हाशिये पर
उ प्र में अब भीड शून्य पार्टी बनकर रह गयी है कांग्रेस |
आगरा: उ प्र में 2019 में बडी राजनैतिक उथल पुथल होने जा रही है ,भाजपा विरोधी राजनीति के तहत दोनों प्रमुख रीजनल पार्टियां जहां अपने अपने सोशल इंजीनियरिग मैकेनिज्म वाले बेस बोटों को लेकर सक्रिय हैं वहीं कांग्रेस केवल योगी सरकार के ‘इंस्पैिक्टर‘ की भूमिका में ही रह गयी है।स्व. चन्द्रभानु गुप्ता से लेकर श्री निर्मल खत्री तक कार्यकालों में पार्टी कभी भी जनता से इतनी बेरुखी के दौर से नहीं
गुजरी।
विरोध की राजनीति में सत्ता दल पर इंस्पैक्टर तो बने ही रहना चाहिये किन्तु केवल इंस्पैक्टर बने रह कर ही काम चलता रहेगा यह केवल कांग्रेस के लिये ही संभव है।दरअसल पार्टी चाहे सत्ता में हो या फिर बाहर उसके अपने एजैंडे होते हैं ,कार्यक्रम भी होते हैं। जनमानस को उम्मीद रहती है कि जब पार्टी सत्ता में आयेगी तो उसके काम काज का रोडमैप यह होगा।किन्तु वर्तमान में
जनता के बीच कांग्रेस का कोई रोडमैप नहीं है।पार्टी के बडे से बडे नेता भाजपा की सरकारों की गलतियां ढूढने और उनपर तल्ख टिप्पणियां करने के काम में ही परस्पर प्रतियोगी बने हुए हैं।शायद उनकी इस भूमिका मे भी जनता कुछ ‘क्रांतिकारिता’ देखती रहती किन्तु इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के न्यूज चैनलों के ऐंकरों की सटीक तल्ख टिप्पड़ियों के कारण कांगेसी इस मामले में भी बेहद पिछड गये हैं।
जनता के बीच कांग्रेस का कोई रोडमैप नहीं है।पार्टी के बडे से बडे नेता भाजपा की सरकारों की गलतियां ढूढने और उनपर तल्ख टिप्पणियां करने के काम में ही परस्पर प्रतियोगी बने हुए हैं।शायद उनकी इस भूमिका मे भी जनता कुछ ‘क्रांतिकारिता’ देखती रहती किन्तु इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के न्यूज चैनलों के ऐंकरों की सटीक तल्ख टिप्पड़ियों के कारण कांगेसी इस मामले में भी बेहद पिछड गये हैं।
कांग्रेसी लीडरशिप कह सकती है कि हमारे पास एजैंडा और कार्यक्रम आदि सबकुछ है ,एक वेव साइट भी आप जाकर तो देखते । हाँ यह सही है किन्तु जनता के पास खुद इसके लिये पहुंचने का न तो वक्त है और नहीं अपनी इच्छाा शक्ति1पार्टी नेताओं को ही इन सबको लेकर जनता के बीच आना पडेगा।फिलहाल जिस एजैंडे और कार्यक्रमों को लेकर कांग्रेसी अपनी राजनैतिक यात्रा तय करना चाहते हैं जन पहुंच से बाहर होने के कारण लाल तस्मां जडी कागजो की फाइल की शक्ल ले चुक है या फिर साइबर वर्ल्ड का ई-कचरा सा हो चुका है। उ प्र में सक्रिय राजनैतिक दलों के पार्टल और उनके नेताओं के ट्यूटर एकाऊंट का अगर विश्लेषण करें तो लगता है कि भाजपा को बसपा ही सीधी टक्कर दे रही है।सपा नेता श्री अखिलेश यादव सोशल मीडिया एक्टविस्टों में अन्य किसी से भी आगे हैं। सोशल मीडिया सर्किल भी अब पहले जैसा नहीं रहा काफी परपक्वता आ चुकी है।साइबर का सोशल एक्टविस्ट अपने मेल या ट्वीट्स के सीधे और स्पष्ट जबाव चाहता है ।आटो जनरेटिड जन्म दिवस बधाई, संवेदना संदेशो यहां तक कि करवाचौथ की शुभकामनाओं तक का उसके लिये कोई खास महत्व नहीं रह गया है।
जो भी हो कांग्रेस अब पी एम ओ से बाहर है,सी एम ओ से तो पहले ही काफी समय से बाहर थी । प्रदेश के 14मेयरों के कक्ष में घुसने का इस समय मौका है किन्तु पार्टी के जो तौर तरीके चल रहे हैं उनके यथावत रहते केवल करिश्मा हो जाये तो बात अलग है अन्यथा ,हालातों में बदलाव की कम ही उम्मीद है ।
दरअसल कांग्रेस जब तक उ प्र में सत्ता में रही, संगठन को ज्यादा जिम्मेदारी उठानी ही नहीं पडी किन्तु सत्ता से बाहर होने के बाद संगठन की अपने परंपरागत जनाधार से दूरी बढती गयी। अब स्थिति यह पहुंच गयी कि पुराने कार्यकर्त्ता तक अपने को खानदानी कांग्रेसी कहलाना पंसंद करने वाले भी हाशिये से बाहर होने की स्थिति में पहुंच चुके हैं।