16 मार्च 2017

उ प्र में सत्ता बदलाव से अनेक बडे निवेशक पशोपेश में

--जे पी ग्रुप के खिलाफ किया जा रहा है प्रदर्शन 

एक्‍सप्रेस वे: नहीं दे सके  में उद्योगों को गति

आगरा: भारतीय जनता पार्टी की सरकार के सत्ता में आना सुनिश्‍चित होने के बाद से सत्ता के गलियरों से भी ज्यादा चिंता की वजह से उन मीडिया और इंडस्ट्रील हाऊसों  में हो गयी है जो कि एस.पी सरकार के दौरान अपनी मनामानी करते रहे हैं। सबसे ज्‍यादा पशोपेश  नोयडा और ग्रेटर नोयडा के उन बडे निवेशकों में है, जिनकी स्थिति में यमुना एक्स प्रेस वे भी कुछ
नहीं कर सका हैं। उ प्र का  पूरा चुनाव विकास के नाम पर लड़ा गया था और इसमें भी करावाए गए मुख्य कार्य के रूप में केवल एक्सप्रेसे वे और राष्ट्रीय हाई वे अथार्टी के हाइवे गिनवाए गए थे। किन्तु क्‍या केवल हाईवे ही किसी  क्षेत्र या राज्य का इकनामी  बदल सकते है, कम से कम ग्रेटर नोयडा, नोएडा और कानपुर को देखकर तो यह नहीं लगता है।
यमुना एक्सडप्रेस वे से ,न तो नोयडा या ग्रेटर-नोयडा की किस्मत बदलती है और नहीं आगरा की।  जेपी ग्रुप की आवासीय योजनाओं में धन का निवेश करने वालों को अब तक  भारत सरकार की रुख करना पडता रहा है, जबकि अब उ प्र सरकार से भी उन्‍हे अपना दर्द सुने जाने की संभावनायें नजर आने लगी है।
 नोएडा में जय प्रकाश समूह की आवासीय योजना में फ्लैट बुक कराए सैकड़ों लोगों ने फरवरी महा के अंतिम रविवार को जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया था। उनका  आरोप है कि गुप की 'विश टाउनध सहित अन्यम योजनाओं में उन्हें बुक करवाई आवासीय प्रॉपर्टी नहीं मिल सकी हैं। आरोपों के अनुसार  इन प्रौटेपट्टियों में से अधिकांश  फ्लैट के रूप में 2009 से 2012 के बीच बुक करवायी गयी थीं। साथ ही अब तक 95 प्रतिशत धन जमा करवाया जा चुका है।
इन निवेशकों का कहना रहा है कि न तो राज्य सरकार ही उनकी सुनती है और न ही ग्रेटर नोयडा अथार्टी ही । जे पी ग्रुप के अधिकारी तो इस मामले में अपनी जबान तक हिलाने से बचते रहना चाहते हैं। इन निवेशको की मांग है कि पी एम  हस्तक्षेप कर न्‍याय दिलवायें।
नरेडा और ग्रेटर नोयडा के जिन प्रोजेक्ट्स पर अब तक काम चल रहा है उनमें से अल्पावलिन इफ़फा प्रोजेक्टट्स प्राइवेट लि, एआईएमएस गॉल्फू टाउन दव्ललपर्स प्राइवेट लिमिटेट, वर्धमान रियल टेक प्राइवेट लिमिटेड, गेयटी होस्प लिटि एंड रीयल कॉनप्राइवेट लिमिटेट, हाई-कॉस्टलेट रियल टेक लिमिटेट, गेयटी हास्पेिटिलिटी लिमेटेड आदि सात कंपनियां हैं, जिनके मामलों अथार्टी के अधिकारियों  को खुद   सामने आकर जनता के समक्ष अपनी स्‍थिति साफ करनी पड़ रही है।