19 मई 2016

गले नहीं उतर रहा नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री का उतावलापन

आडवाणी,जोशी की तरह डम्‍प कर दिये जाने के डर से खामोश हैं पार्टी के आंतरिक खफा


आगरा : भारतीय जनता पार्टी  असम विधान सभा चुनाव में अपनी जीत की खुशी पूरे उत्‍तर प्रदेश में है। 
(बच के रह:अब चाये हाथ में है)

 गरा में पार्टी खुशी मना रही है, किन्‍तु स्‍थिति थोडी फर्क है, पार्टी की मजबूती में यहां लगातार कमी आयी है, एम एल सी के चुनाव हो व  जब विधान सभा के चुनाव अगले साल होने है तो ग्राफ में आ रही गिरावट छोटे से लेकर बडों तक के लिये खासी चिंता  का विषय है। दरअसल भाजपाइ्रयों को जनता के प्रति अपनी जबाव देही स्‍थिति में निरंतर आती रही गिरावट को आगरा में अनदेखा करना पड़ा है।पार्टी के वरिष्‍ठ नेता तो दलीय अनुशासन में बंधे होने के कारण कुछ 
(महेश जो चाहें वह करें उनकी मर्जी:राजू)

भी कहने की स्‍थिति में नहीं हैं किन्‍तु उन कार्यकर्त्‍ताओं को जरूर बैचैनी है जो कि संगठन के प्रत्‍याशियों के लिये माफिक हवा न होने के बावजूद बोट मांगने से पीछे नहीं हटते।
आगरा में सबसे बडा नाकारात्‍मक मुददा ताज इंटरनेशनल एयरपोर्ट का है, नोयडा – बुलंद शहर से चुने हुऐ केन्‍द्रीय पर्यटन राज्‍यमंत्री महेश शर्मा ,जिनके
पास नागरिक उड्डयन मंत्रालय का चार्ज भी है,इसे उठाकर ग्रेटर नोयडा ले गये हैं। उन्‍होंने अपनी हटधर्मिता में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के द्वारा पार्टी के स्‍टार प्रचारक के रूप में आगरा की जनसभा में ताज इंटरनेशनल एयरपोर्ट आगरा में ही बनाये जाने की घोषणा तक को ओवरलुक कर दिया।
तमाशा यह है कि डा शर्मा,केन्‍द्रीय नागरिक मंत्री अशोक  गजपति राजू पशुपति की मोदी मंत्रिमंडल में सीनियरटी तक को नजरअंदाज कर भाजपा रहती आयी अनुशासन की परंपरा तक को दर किनार किये हुए हैं। जब भी मन में आता है बिना चूक आगरा के इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर वक्‍तव्‍य देने देर नहीं करते। नागरिकों को सबसे ज्‍यादा परेशानी है कि आखिर आगरा के पार्टीजन खामोश क्‍यों हैं, मन की बात कहने वालों की पार्टी में वे क्‍यों नहीं खुल कर मन की बात कहते। जो भी हो पार्टीजनों को अपने केन्‍द्रीय मंत्री के रूख को लेकर बेहद निराशा है,पार्टी के आंतरिक फोरम तक में मुंह खोलना पार्टी की आंतरिक राजनीति के लिये रिस्‍क भरा लग हा है। लालकृष्ण  आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, शत्रुघ्‍न सिन्‍हा सरीखे  राजनीतिज्ञ उनके लिये साक्षात उदहारण हैं।
पार्टीजनों का सोच तो अपनी जगह महत्‍वपूर्ण है ही किन्‍तु  राजनैतिक पर्यवेक्षकों का सोच और भी तीखा है। उनका मानना है कि अखिलेश यादव और उनकी पार्टी आगरा से बेहद निराश है, इस लिये उनके द्वारा यहां के संसधनों का सैटेलाइट सिटी फीरोजाबाद, मैनपुरी और इटावा के लिये जमकर दोहन करना लाजमी है किन्‍तु भाजपा का तो आगरा से थोडा फर्क तरह का रिश्‍ता रहा है। दलबदल कर सपा के मेयर बन गये  इन्‍द्रजीत सिह आर्य भी मूल रूप से भाजपा के ही टिक टपर चुने गये थे।
सबसे ज्‍यादा दिलचस्‍पी वाला मामला यह है कि आगरा के चुनींदा असरदार भाजपाई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के मामले में खुद तो कुछ बोल नहीं रहे,एयरपोर्ट की मांग को लेकर सक्रिय आगरा के प्रबुद्ध नागरिकों के फोरम आगरा सिविल सोसायटी का साथ देने वालों को घर बैठा देने को लाबिंग करने का प्रयास कर रहे हैं।