28 मई 2016

याद नहीं क्या क्या देखा था, सारे मंज़र भूल गये। उसकी गलियों से जब लौटे अपना ही घर भूल गये

फख़रूद्दीन अली अहमद मैमोरियल कमेटी लखनऊ के तत्वावधान में ‘‘यादे नज़ीर अकबराबादी’’ पर दो दिवसीय कार्यक्रम  महफिले ग़ज़ल का कार्यक्रम किया गया, जिसमें प्रसिद्ध एमके गु्रप के सिकंदर अली खान नज़ीर अकबराबादी की ग़जलें प्रस्तुत की। ग़ज़लों को सुन कर श्रोताओं ने खूब वाह वाह कर करतल ध्वनि से सिंकदर की हौसला अफजाई की।..

छम छम गली, गुदड़ी मंसूर खान में वाक्ये कोठी दरोग़ा जी पर किया गया, जिसमें सुप्रिसद्ध एमके गु्रप के सिकंदर अली खान नज़ीर अकबराबादी की ग़जलें प्रस्तुत की। सिंकदर ने नज़ीर साहब की ग़जल ‘‘याद नहीं क्या क्या देखा था सारे मंज़र भूल गये, उसकी गलियों से जब लौटे अपना ही घर को भूल गये’’गायी तो श्रोताओं ने खूब तालियां बजाई। कार्यक्रम का शुभारम्भ में फ़ख़रूद्दीन अली अहमद मैमोरियल कमेटी लखनऊ के सैक्रेटरी सैय्यद रिज़वान के संवाद को प्रोग्राम के कंवीनर लखनऊ से आये प्रोफेसर सैय्यद शफीक़ अशरफी ने पढ़ा। उन्होंने कहा कि रिज़वान साहब कार्यक्रम में शरीक न हो पाये इसके लिए वोह आप लोगों से माफी चाहते हैं। कार्यक्रम में गज़ल गुलोकार सिंकदर से श्रोताओं ने काफी फरमाईशी गज़लें सुनीं।
महफिलें ग़ज़ल की सदारत अंजुमन निशाते अदब के सचिव सैक्रेटरी सैय्यद ख़ादिम अली हाशमी ने की। मेहमाने खुसुसी रईस अकबराबादी रहे, कार्यक्रम का संचालन ख़ावर हाशमी ने किया।  विशिष्ट अतिथि रंगलीला के निर्देशक अनिल शुक्ला थे। कार्यक्रम में मुख्य रूप से नईम अहमद, नफीस उद्दीन, सिविल डिफेंस के डिप्टी डिवीजन वार्डन सैय्यद शाहीन हाशमी, हाज़िक, यूथ वैलफयर सोसायटी के सैक्रेटरी नवेद हाशमी, अकलीम, मुहसिन, रियाज़, शमीम अहमद, आदि उपस्थित रहे