24 अप्रैल 2016

ताज सिटी में ई-रिक्‍शा हटाने का फैसला ना नैतिक और ना ही जनता के हित में

(नरेंद्र मोदी ने ई रिक्शों को दिखाई थी झंडी)
आगरा। ताज सिटी की ध्वस्त  सिटी बस सेवा  के कारण  अपने निजी वाहन का  इस्‍तेमाल करना स्थानीय  जनता की मजबूरी बन गई  है। अब ई-रिक्‍शा को चलने से रोकने  के करण आने वाले दिन  आम जनता के लिये और भी कष्टकारी  होंगे। इनपर तकनीकि आधार पर  दोष निकालकर रोक लगायी गयी है।यही नहीं एफ आई आर जैसे घटिया सरकारी तरीके का  उपयोग किया जाने वाले  इसअदेश से प्रकट तौर पर तो लगता है कि सरकारी कार्यालयों का दुरोपयोग  कारोबारी  प्रतिद्वन्‍दियों  को बाजार से बाहर करने के लिये व्यवस्था  पर हावी कुछ तत्व  कर रहे हैं।
ई-रिक्‍शा उस समय सडक से हटाया गया है जबकि वह प्रदूष्‍ण्‍ रहित यातायात में महत्‍वपूर्ण योगदान देने लगा है। आगरा में सडकों की दुर्घटनाओं का अगर विश्‍लेषण करें तो कुल दुर्घटनाओं का पांच  प्रतिशत भी ई- रिक्शाओं  के खाते में नहीं है।...
 इन  रिक्शों  को माईक्रो इकॉनमी  के दायरे में आने वालों  ने ही ज्‍यादातर खरीदा है।  क्षेत्रीय परिवहन प्रधिकरण के रोक के इस  फेसले से अब ई-रिक्‍शा चालक आमदनी कर कर्ज कैसे चुकाएंगे। इनसे अपनी जीविका कमा रहे लोगों में से ज्‍यादातर के  सामने मुश्किलें  और बढ जायेंगी।
कम से कम पबलिक के सामने यह तो स्पष्ट  किया ही जाये कि क्या  करण  है जिनके कारण पहले इनकी बिक्री को सरकारी सब्‍सिडी देकर प्रोत्‍साहित किया गया और अब अचानक सड़क  से हटाया जाना जरूरी हो गया है। यहाँ यह भी बताना उचित होगा की प्रेडशन पर कंट्रोल करने के लिए पेरिस ,न्यूयॉर्क अदि जैसे शहरों में तक ई-रिक्‍शा चलना शुरू हो गया है।