--8अप्रैल तक जबाव तलब
--एन जी टी के समक्ष परियोजना क्लीयरेस को लेकर दी गयी है चुनौती
आगरा:प्रदेश की समाजवादी सरकार की महत्वकांक्षी ‘लखनऊ-आगरा’एक्सप्रेस वे परियोजना को
'लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे' :एनजीटी के नोटिस से नई उलझन |
वन विभाग के द्वारा
जारी की गयी क्लीयरेंस पर नेशनल ग्री ट्रिब्यूनल ने जबाब तलब किया है।एन जी टी की
न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली बैंच जो कि लखनऊ निवासी निखलेश सिह
की याचिका पर सुनवायी कर रही है ने प्रदेश के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, यू पी एक्सप्रेस वे इंडस्ट्रियल डव्लपमेंट अथार्टी (यूपीडा) व अन्य को
नोटिस जारी कर 8अप्रैल 2016 तक जबाब तलब किया है।याची की वकील नीलम राठौर ने पीठ के
समक्ष कहा है कि इस प्रोजेक्ट को रीजनल ऐपावर्डमेंट कमेटी(आ ई पी ) की
स्वीकृति उस सिति में भी दिये जाने का काम किया गया जबकि वनसंरक्षण एक्ट 1980 के तहत तमाम अनियमित्तायें स्थलीय निरीक्षण रिपोर्ट के माध्यम से संज्ञान में लायी जा चुकी थीं।
. परियोजना में
मूल रूप से 98.9हैक्टेयर वन विभाग की जमीन और उस
पर खडे 27582 पेडों को काटने की जरूरत दर्शायी गयी थी ,जबकि अब 302 . 222कि मी लम्बेसिक्स लेन की इस मार्ग
परियोजना के लिये केवल बन विभाग की 12,38,253 हैक्टेयरभूमि सहित 3429,1814 हैक्टेयर जमीन अधिग्रहित
की जा रही है और इस पर खडे 65,342 पेडों का कटान कियाजा रहा है।
याची की वकील ने तमाम डौक्यूमेंट ट्रब्यूनल पीठ के समक्ष प्रस्तुत कर कहा है कि
मूल प्रोजेक्टस्वीकृति के समय रीजनल एम्पावर्डमेंट कमेटी के समक्ष परियोजना के लिये
रिजर्ब बन भूमि की जरूरत दर्शायी गयी थी।उससे
कही ज्यादा जमीन उपयोग में लयी जा रही है और पेड काटे जा रहे हैं।पीठ को बतायागया
कि भ्रमित करने वाली सूचनाओं में से ज्यादातर यूपीडा के द्वारा ही प्रदान की गयी हैं।स्वीकृति उस सिति में भी दिये जाने का काम किया गया जबकि वनसंरक्षण एक्ट 1980 के तहत तमाम अनियमित्तायें स्थलीय निरीक्षण रिपोर्ट के माध्यम से संज्ञान में लायी जा चुकी थीं।