12 फ़रवरी 2016

आस्ताना ए मैकश पर हुए ‘जश्ने बसंत’ से सुवासित हुआ ‘ताज सिटी’


- हिस्‍टोरियन जमाल उद्दीन कन्‍धारवी को नवाजा गया नजीर एवार्ड

- स्‍व.जितेन्‍द रघुवंशी को समर्पित रहा सांस्‍कृति से भरपूर इस बार का आयोजन

( मुख्‍यातिथि डा श्रीभगवान शर्मा ,आस्‍ताना के सरपरस्‍त सैय्यद  अजमल अली शाह:फोटो असलम सलीमी)

आगरा:मेवा कटरा स्‍थित आस्‍ताना ए मैकश में जश्‍ने बसंत का आयोजन अत्‍यंत हर्षोल्‍लास मय  काव्‍य संगीत सेभरपूर माहौल में संपन्‍न हुआ। प्रख्‍यात रंगकर्मी डा जितेन्‍द्र रघुवंशी को समर्पित इस कार्यक्रम की शुरूआत कव्‍वाल अल्‍लाह नूर ने हजरत इमामुस्‍सालिन   बरेलवी’ की बसंत आधारित रचना ‘बसंत आया ,बसंत आया बसंती ....’ प्रस्‍तुत की।इसके बाद दिलीप रघुवंशी के निर्देशन में इप्‍टाके अजय शमा्र, अंकित शर्मा, सिद्धर्थ रघुवंशी, सौरभ पाराशर ने नजीर अकबरावादी की की रचना ‘भजन’की प्रस्‍तुति की। इसके बाद आदमी नामा, बजरंग नामा, प्रस्‍तुत कीं।

हजरत शाह नियाज बेनियाज का बसंत पर आधारित गीत कब्‍बाल हाजरात ने जैसे  बसंत के पीले फूल ही खिला दिये। उल्‍लमा मैकश अकबराबादी की गजल  जो ‘ नफरत जो आदमी को सिखाये वो कुफ्र है, दीनों और मजहब की हो या कौमों वतन की बात’’की प्रस्‍तुति ने माहौल को कौमी जज्‍ब और त्‍योहरों के रंगों से सरोबोर कर दिया।अमीर खुसरो की कलम से निकला रंग आज रंग है री मा रंग है’ जब बसंत के गीतों के गायन की शैली मं प्रस्‍तुत किया गया तो अननायास ही महफिल ‘वाह वाह ‘ से सरोबोर हो गयी।जश्‍ने बसंत के मुख्‍यातिथि सेंटजॉस कालेजके हिन्‍दी डिपार्टमेंट के पूर्व अध्‍यक्ष  डा श्री भगवान शर्मा ने कहा कि वह यहांआकरअभिभूत हैं। यह स्‍थान साहित्‍यकारों, सूफियों और प्रेमकरने वालों का है। अल्‍लामा मैकश जितने बडे सूफी थे उतने ही बडे शायरऔर साहित्‍यकार भी । उनके साहब जादे डा मौज्‍जम अली शाह सेंटजांस कालेज के फिलासफी विभाग हैड थे।जिन्‍हें देख कर हमसभी को ताजगी का अहसास होता था। यह अत्‍यंत खुशी और सुकून की बात है कि जनाबअजमलअली शाह अपने बुजुर्गों की परंपरा और धरोहर को सहेजे हुए हैं।इसकेलिये वह बधाई के पात्र हैं।

वहीं बज्‍मे यादगारे आगरा के सरपरस्‍त सैय्यद अजमल अलीशाह ने कहा कि बसंत का यह दिन खशी का पैगाम लेकर आता है।यह एकता और मौहब्‍बत का दिन है। उन्‍हों ने कहा कि इस मुबारक दिन पर उनकी ख्‍याइशहै कि शहर ही नहीं देश भर मं खुशहाली आये और भाईचारा बढे । इस मौके पर दिया जाने वाला परंपरागत एवार्ड इस बार इतिहासकार जमाल उद्उीन कन्‍धरवी को दिया गया। कार्यक्रम के अंत में सैय्यद शब्‍बीर अली शाह ने कार्यक्रम में शिरकत के लिये सभी का शुक्रिया अदा किये।शाहिद हुसैन कुरैशी, हाजी इलियास वारसी, हाजी इम्‍तयाज वारसी, बरकत अली शाह, स्‍वागत करने वालों में शामिल थे। जबकि मुंशी शाहिद अली, अब्‍दुल बासित, हाजी इम्‍तयाज अंसारी,ऐजाज व्‍यवस्‍थाओं को अंजाम देने वालों में शामिलथे। कार्यक्रम की अध्‍क्षता करने वाले कलामअहमद ने बसंत पर एक शोध पत्र का वाचन किया। कार्यक्रम का संचालन फैज अली फैज के द्वारा किया गया। बसंत की इस महफिल में शमीमअहमद शाह, अम्‍बर मिां, फइज अली शाह, नकी अली शाह,हरीशअग्रवाल, मोहन माथुर,मुन्‍नवर खां,सुबोध गोयल, मुदित जेटली, योगेश पुरी, शशि टंडन आदि की मौजूदगी भी खास उल्‍लेखनीय थी।