7 जनवरी 2016

एयरपोर्ट सैफई ले जाकर सपा ने दिया ताज सिटी को करारा झटका

--भाजपा पहले ही ग्रेटर नोयडा के प्रति दर्ज करवा चुकी है अपनी प्रतिबद्धता

 आगरा :को करारा झटका आगरा, टोलरेंस ओर अनटौलरेंस को लेकर अगर राष्‍ट्रीय स्‍तार का
दिसम्‍बर 1930 में ताजमहल पर मंडराया था
पहला हवाइ जहाज 'फलाइंग कारपेट'

सर्वश्रेष्‍ठ टोलरेंसी तय किया जाये तो ताजमहल के शहर वालों चैंपियनशिप का खिताब तय होगा। उ प्र में असर रखने वाले रीजनल दलों मे से बसपा और सपा वहीं राष्‍ट्रीय दलों में से कांग्रेस व भाजपा सभी की सरकारों के द्वारा इस शहर के साथ नाइंसाफी की गयी है। ताजी नांइंसाफी ताजइंटरनेशनल एयरपोर्ट को कुचक्र कर छीन कर सैफई ले जाने का है। समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार के द्वारा यह कर दिखाया है।
 समाजवादी पार्टी सरकार ने सैफई में ताज इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए जमीन तलाशने और फिजीबिलिटी के लिए 11.66 लाख रुपये भी जारी कर दिए हैं। हिरन गांव के प्रस्‍ताव के योजना बद्ध तरीके से रिजेक्‍ट हो
जाने के बाद नये सर्वे में आगरा की  बाह तहसील के तहत आने वाला गांव भदरौली भी सैफई के साथ शामिल था किन्‍तु अब भदरौली का प्राजेक्‍ट के परिप्रेक्ष्‍य में अतापता भी नहीं है।एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया सर्वे कर सैफई और भदरौली के विकल्प पर अपनी रिपोर्ट प्रदेश सरकार को सौंपेगी।
आगरा में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाये जाने के नाम पर  बसपा शासन में ग्रेटर नोयडा के नोटीफाइड हो चुके इंटरनेशनल एयरपोर्ट को डीनोटीफाइड किया गया। इसी के साथ नये स्‍थान की तलाश को रॉइटसे सर्वे करवाया गया । जो स्‍थान इस सर्वेक्षण सूची में थे उनमें सबसे सटीक हिरन गांव को ठहरवाने का प्रयास किया गया, जब भारी जनधन इस सर्वेक्षण पर खर्च किया जा चुका तो सेना से अनापत्‍ति के बारे में पूछा गया । जाहिर है कि आपत्‍ति आनी ही थी।जानकारों का मानना है कि भरपूर  जानकारियों की उपलब्‍धता  के बावजूद करवायया गया यह सर्वेक्षण और घोषणा सोची समझी योजना का ही भाग था जिसके तहत इंटरनेशनल एयरपोर्ट को आगरा से हटाकर सैफई(जनपद मैनपुरी) ले जाना थ।
इधर आगरा का प्रोजेक्‍ट जहां राजनैतिक दबांगाई और कूटरचनाओं से सैफई ले जाया गया वहीं, केन्‍द्र की भाजपा नेतृत्‍व वाली सरकार ने ग्रेटर नोयडा वाले प्रोजेक्‍ट को पनर्जीवित कर दिया। इसके लिये दो एयरपोर्टों के बीच 150 कि मी की दूरी संबधी प्रतिबंध तक में नागरिक उड्डयन संशोधन कर डालागया है।
वर्तमान में जो स्‍थिति उज्‍ज्रगर होकर सामने आई है उसके अनुसार अब आगरा का ताजइंटरनेशनल एयरपोर्ट पूरी तरह से हवा हवाई हे गया है।वही ग्रेटरनोयडा और सैफई में ग्रीन फील्‍ड प्रोजेक्‍टों के तहत दो इंटरनेशनल प्राजेक्‍ट स्‍वीकृत होने की स्‍थिति में हैं।
आगरा के हितों से जुडा कोई भी प्राजेक्‍ट पिछले बीस सालों में कभी भी अमल में नहीं आ सका है। हाईकोर्ट बैंच, आगरा बैराज इनमें मुख्‍य हैं। दिलचस्‍प तथ्‍य यह है कि जिस शहर में रावाटर की बेहद किल्‍लत हो वहां कंक्रीट की मजबूत बैराज के स्‍थान पर रबर डैम बनाये जाने की योजना उस योजना को अंजाम दिया जा रहा है जिसकी तकनीकि जानकारी और अनुभव अब तक भारत में उपलब्‍ध तक नहीं है।

1930 में ताजमहल पर मंडराया था स्‍टीफेंस का फ्लाइंग कारपेट

ताजमहल और हवाई जहाज का रिश्‍ता नया नहीं बहुत पुराना है अमेरिकन पायलट  एम विक्‍स स्‍टीफेंस जूनियर ने दिसम्‍बर 1930 में आगरा के आकाश में उडान भरते हुए अपने स्‍टीयरमैन सी3-बी ’’फ्लाइंग कार्पेट से जमकर कलावाजियां खायीं। यही नहीं यहां किसी सुरक्षित स्‍थन पर लैंड करने के उपरांतक्रू के सदस्‍यों ने ताजमहल के फुब्‍बारों वाले तालाब में भी नहाने का भरपूर आनंन्‍द उठाया।वैसे आगरा में टाटा ने 1939 में मेल एयर क्राफ्टके लियं हवाई पट्टी और हैंगर बनवाया था,जिसे बाद में दूसरे विश्‍वयुद्ध के दौरान इंडिया –वर्मा- चीन (सी बी आई) आप्रेशन के लाजेस्‍टिक सपोर्ट डिपों के लिये लिये 1942 में एलाइड फोर्स ने अपने आप्रेशनों के लिये अधिगृहित कर लिया था।वर्तमान में यही एयरफोर्स स्‍टेशन खेरिया हवाई अडडे के रूप में जाना जाता है।