26 दिसंबर 2015

ताज सिटी के सेंटक्लास ‘बांकेलाल ’ की कोशिश हैं सर्दरात सब चैन से काटें

--श्रीनाथ जलसेवा पांच रैन बसेरे कर रही है संचालित
--जब तब टूरिस्‍ट भी पहुंचते रहते हैं रात को सुकून और सुरक्षा से काटने
आगरा: कडाके की शीत लहर में जहां सांय होते ही आम शहर वासियों का ठिकाना अपना घर होता
(स.दलजीत सिहआयोजनों के इन्‍वीटेशन
 छापना जुनून)
(श्रीबांकेलल महेश्‍वरी: ताजसिटी के बारह मासी 'सेंटाक्‍लाज', जो
सर्दी में उढातें हैं रजाई और ग्रीष्‍म में पिलाते हैं ठंडा पानी)
                       --फोटो:असलम सलीमी
है वही, जो अपनी छत  न होने से अब तक फुटपाथों पर खुले में रहने को विवश थे अब शहर के रैन बसेरों में अपनी सर्दरातें बिताते हुए संभावनाओं से भरपूर एक नये सबेरे का इंतजार कर रहे होते हैं।उनको आशाभरे स्‍वप्‍नों की नींद लेने का यह अवसर प्रदान करती है श्रीनाथ जल सेवा । जिसके मुख्‍य कर्त्‍ता-धरता(टीम लीडर) श्री बांके लाल महेश्‍वरी की ताज सिटी के जनजीवन के हरवर्ग के लिये एक अलग पहचान  है,किन्‍तु सर्द सर्दी के झोंको से राहत पाने वालों के लिये तो वह शहर के सेंटा क्‍लाज ही है।

नवम्‍बर के अंतिम सप्‍ताह  से श्री बांकेलाल जी सक्रिय होते हैं,कम्‍बल ,रजाई,गद्दे ,तिरपाल,फर्श और सबसे बडी चुनौती  उपयुक्‍त व बेसहाराओं के सहज पहुंच वाले स्‍थान का चिन्‍हांकन। लगातार तीन महीने तक इन रैनबसेरों  के चालू रहने से उपयुक्‍त स्‍थान
की उपलब्‍धता आसान नहीं है । खास कर जब कि रोड साइड ओपिन स्‍पेस का एक एक फुट मुनाफे के लिये ही उठाने का प्रचलन चलपडा हो।
श्री महेश्‍वरी कहते हैं कि मैं तो एक प्रतीक ही हूं हकीकत में रैन बसेरे एक बडी टीम की मेहनत का परिणाम है जरूरतमन्‍दो को सर्दी में छत उपलब्‍ध हो पाना। जो हमारी कार्यशैली से परिचित और सहमत हैं वे हमारे सबसे बडे आधार स्‍थंभ।वे बताते हैं कि एक रैन बसेरे के संचालन में एक दिन का खर्च लगभग एक हजार के आसपास बैठता है।अधिकांश सहयोगी अपना योगदान जरूरतों को उपलब्‍ध करवाने के रूप में देते हैं। जो नकद धन के रूप में देते हैं उन्‍हें हम उनके धन के उपयोग से की गयी व्‍यवस्‍थाओं की जानकारी देते रहना जरूरी मानते है।यह बात अलग है कि योगदान के साथ ही लोगों के विश्‍वास को भी हमने हांसिल किया है।वर्तमान में पांच रैन बसेरे संचालित हैं इनमें पांचवां तो यमुना आरती स्‍थल (एत्‍मादौला व्‍यू पौंइंट) के पास ही है।
एक बात और है कि रैनबसेरों और प्‍याऊ की जरूरत जब तब शहर वासियों से भी जरूरी विदेशी पर्यटकों को भी हो जाती है।धन की कमी , बुकिंग कन्‍फर्मेशन को लेकर भ्राति की स्‍थिति में विदेशियों के लिेये आश्रय का अंतिम स्‍थान अक्‍सर रैनबसेरे ही होते हैं। हम सभी जानते है कि पर्यटकों को आगरा में बिसलरी बोतल का पानी मनमाने दामों पर बेचा जाता है,अक्‍सर इकनामिक क्‍लास और कम बजट वाले युवा टूरिस्‍टों को सीमित धन रहजाने पर तमाम मुश्‍किलो के साथ ही पीने के पानी के संकट का भी सामना करना पडता है।हालांकि हमने इसके लिये अलग से कोई व्‍यवस्‍था नहीं की हुई है किन्‍तु जब भी जरूत होती है हम परदेशियों को भी रात्रि आश्रय देने और पीने के पानी को उपलब्‍ध करवाने का दायित्‍व भी निर्वाहन करते हैं।
 योगदान का अपना अपना अंदाज
श्री मेश्‍वरी के टीम सहयोगी और उनके सभी काय्रक्रमों के आयोजन के आमंत्रण पत्रों को योगदान के रूप में निशुल्‍क उपलब्‍ध करवाते रहने वाले लक्‍की कार्ड सेठ गली प्रतिष्‍ठान के संचालक श्री दलजीत सिह का कहना है कि कुछ साल पूर्व जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जब आगरा में नगर निगम ने रैन बसेरे बनाये थे तब हमे लगा था कि अब श्रीनाथ जल सेवाके रैन बसेरों की  जरूरत खत्‍म हो गयी तथा लक्ष्‍य पूरा हो गया। किन्‍तु समस्‍या अब भी ज्‍यो की त्‍यो है। उनके पास संसाधन हैं किन्‍तु सेवा भावना सीमित जबकि श्री नाथ जल सेवा के पास साधन जरूर सीमित है किन्‍तु सेवा भावना असीमित है काश : तालमेल बन सकता ।
एक हजार से ज्‍यादा बिताते है रैन बसेरों में रात
मौजूदा सत्र की शुरूआत दो रैनबसेरों की सेवा के साथ प्रारंभ की गयी जबकि वर्तमान में पांच संचालित हैं।सात सौ से बारह सौ व्‍यक्‍ति तक इनमें रात्रि बिताने पहुंच रहे हैं।
पिछले चौदह सालों से पूर्ण  सम्‍मान के साथ श्री नाथ जल सेवा के रैन बसेरों का सिलसिला चल रहा है। इनमें बडी संख्‍या उन लोगों की भी होने लगी है जो कि होटल और सरायों में ठहरने का किराया तक चुक्‍ता न कर  एक न एक कारण से पूरी रात शहर में बने रहने को विवश होते हैं।
रैन बसेरों को शुरू करना तो आसान होता है किन्‍तु इसे अनवरत रूप से संचालित रखना सबसे मुश्‍किल चुनौतीवाला काम है।सांय सूर्यास्‍त होने से पूर्व ही रैनबसरे में रहने को संवासी पहुंचना शुरू हो जाते हैं और सूर्योदय के बाद तक वहां रहते हैं।माता पिता के साथ तो बच्‍चों का रहने आना एक सामान्‍य बात है, किन्‍तु कई बार अकेली महिला या अकेले कम उम्र के बच्‍चे के पहुंचने पर खास सर्तकता बरतनी होती है।श्री नाथ जलसेवा के सेवक रात्रि कालीन आश्रय स्‍थल प्रदाता होने के साथ ही सुरक्षा देना भी तो अपना दायित्‍व ही मानते हैं।
कई प्रवासी रू ब रू होना चाहते है सेवा भावियों से
आगरा में 4 से 6 जनवरी के बीच एन आर आई सम्‍मेलन हो रहा है सरकार उनकी तमाम लोगों से मुलाकात करवाने के इंतजाम में लगी हुई है जबकि कई परदेशी आगरा आकर श्री नाथ जल सेवा के संचालक श्री बांके लाल महेश्‍वरी से मिलना और उनकी सेवा के बारे में जानकारी प्राप्‍त करना चाहते हैं। सोशल मीडिया के माध्‍यम से इन इच्‍छुक परदेसियों ने सम्‍मेलन के दौरान संपर्क करने की इच्‍छा जताई है किन्‍तु अब तक इसके लिये अब तक किसी भी पक्ष की ओर से कोई पहल नहीं हो सकी है। जब इस संबध मे श्री महेश्‍वरी से जानकारी चाही तो उन्‍हों ने कहा कि अगर आयोजक चाहेंगे तो वह आयोजन स्‍थल पर श्री नाथ जल सेवा के कार्यों की चित्र प्रदर्शनी की व्‍यवस्‍था कर सकतेहै,कुछ मैटीरियल भी प्रिंट करवा सकते हैं। हां इतना जरूर स्‍पष्‍ट करदते हैं कि अगर मौका मिला तो इस अवसर का उपयोग दान मांगने में नहीं करेंगे हां परोपकार की भावना अब भी आगरा में जीवंत है इसकी जानकारी जरूर प्रवासियों को देना चाहेंगे। यही नहीं अगर सरकार चाहे तो अपने रैनबसेरों में से किसी एक में प्रवासियो के विजिट के उपयुक्‍त व्‍यवस्‍था भी करवा सकते हैं।आखिर वे अपने ही स्‍वजन है और यहां की स्‍थितियों के जानकार हैं अत- रैनबसेरों के इंतजामों को देखकर उन्‍हें खुशी ही होगी।