19 सितंबर 2015

भारतीय हथकरघा उद्योग देश में 23.77 लाख लोगों को रोज़गार देता है

हथकरघा वस्‍त्र और हथकरघा बुनकर भारत की समृद्ध संस्‍कृति, विरासत और परंपरा का एक अभिन्‍न अंग है। इसके अलावा, सकल घरेलू उत्‍पाद और निर्यात में एक महत्‍वपूर्ण योगदान देने के साथ साथ मनुष्‍य की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए यह उद्योग शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों लोगों को प्रत्‍यक्ष और अप्रत्‍यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करता है। भारत में कृषि के बाद हथकरघा सबसे बड़े रोजगार प्रदाताओं में से एक है। यह क्षेत्र 43.31 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करता है जिसमें से करीब..
23.77 लाख व्‍यक्‍ति हथकरघा से जुड़े हैं, जिसमें से 10 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 18 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति और 45 प्रतिशत अन्‍य पिछड़ें वर्गों से हैं। वर्ष 2013-14 में हथकरघा क्षेत्र में 7116 मिलियन वर्ग मीटर उत्‍पादन दर्ज किया गया। वर्ष 2014-15 के दौरान हथकरघा क्षेत्र में कुल 3547 मिलियन वर्ग मीटर (अप्रैल-सितंबर, 2014) का उत्‍पादन दर्ज किया गया।
ये क्षेत्र देश के वस्‍त्र उत्‍पादन में करीब 15 प्रतिशत का योगदान करता है और देश की निर्यात आय में भी सहयोग करता है। दुनिया में हाथ से बुने हुए कपड़े का 95 प्रतिशत भारत से आता है। इस कौशल को एक पीढ़ी से दूसरी को हस्‍तांतरित करके बनाए रखा गया है। इस क्षेत्र की क्षमता, इसकी विशिष्‍टता, उत्‍पादन के लचीलेपन, नवाचारों के लिए खुलापन आपूर्तिकर्ताओं की आवश्‍यकताओं के लिए अनुकूलनशीलता और इसकी परंपरा की संपदा में निहित है।
हालांकि, हथकरघा उद्योग को तेजी से बढ़ते आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी परिवर्तनों के द्वारा उत्‍पन्‍न की जा रही चुनौतियों का सामना करने के लिए स्‍वयं को नई दिशा देने की आवश्‍यकता है। समकालीन उपभोक्‍ता संदर्भों के अनुसार दोषमुक्‍त उच्‍चगुणवत्‍ता वाले हथकरघा वस्‍त्रों के उत्‍पादन के साथ-साथ उचित मजदूरी को सुनिश्‍चित करने प्रयास किए जा रहे हैं ताकि युवा पीढ़ी इस व्‍यवसाय को चुनें। स्‍थायी आधार पर इस उद्योग को प्रोत्‍साहन देने के मद्देनजर यह भी अत्‍यंत आवश्‍यक है कि उपभोक्‍ताओं के विश्‍वास को जीतने के लिए नए डिजाइन के साथ गुणवत्‍तायुक्‍त कपड़ों का उत्‍पादन किया जाए।