22 जून 2015

शहजहां गार्डन पहुंचा रंग लीला का ‘ट्रैफि‍क झाम’ अभि‍यान

आगरा , कई अन्‍य बडे शहरों के समान ही आगरा मे भी ट्रैफि‍क जाम की गंभीर समस्‍या है।इसका समाधान केवल सरकारी मशीनरी ही अपने बूते पर नहीं कर सकती जन सहभागि‍ता की इस सम्‍बन्‍ध में होने वाली कि‍सी भी कोशि‍श अत्‍यंत जरूरी है।यह कहना है आगरा के मंडलायुक्‍त प्रदीप भटनागर का जो सोमवार को प्रात: शाहजहां पार्क में आयोजि‍त नुक्‍कड नाटक जाम के झाम में अकबर के प्रदर्शन के बाद दर्शकों के बडे समूह को सम्‍बोधि‍त कर रहे थे।

श्री भटनागर ने कहा कि‍ रंगलीलाकी इस प्रस्‍तुति‍ में आगरा की संस्‍कृति‍ से जुडी जि‍स शैली को अपनाया गया है उससे नाटक के गहन वि‍षय को और सहज व जनग्राही बना दि‍या है।उन्‍होने नाटक के पात्रों के अभि‍नय की मुक्‍तकंठ प्रशंसा कर प्रोत्‍साहन को अपनी ओर से पांच हजार रुपये दि‍ये जाने की घेषणा की...


नाटक की कहानी अत्‍यंत दि‍लचस्‍प हैअकबर अपनी राजधानी अकबराबाद में कभी हाथी पर चढकर आता था अब चार सौ साल बाद पुन: आता है। इस बीच अकबराबाद से आगरा बनचुके शहर में तमाम बदलाव हो चुके होते हैं इन्‍हीं में एक बडा परि‍वर्तन यहां के ट्रैफि‍क हालातों में भी हो चुका है।सडक से गुजरते हुए गहमा गहमी से भरी सडक पर मोटर दुर्घटना का शि‍कार हो जाता है। अब उसके सामने खुलना शुरू होती हैं खस्‍ताहाल ट्रैफि‍क व्‍यवस्‍था की पोल।जहां अकबर हालातों से रू ब रू हो कर हैरान होता है वहीं उसका बजीरे आजम बीरबल परेशान जबकि‍  उनकी यह हालत देखकर आगरा के वाशि‍दे हलकान दूकानदारों और फेरीवालों के अनाधि‍कृत कब्‍जो से घि‍री नई सदी के आगरा की गहमगाहम सडकों में ,याराबी की गाडी से से लगी जोरदार टककर से जख्‍मी मुग ए आजम के लि‍ये यह समझ पाना बेहद मुश्‍कि‍ल हैइस पूरे कोहराम को कोई रोक क्‍यों नहीं रहा है।बार बार लोगों से पूछता है कि‍ जि‍स देश में हर दि‍न होने वाले 1277हादसों में 377 इंसानी जाने जाती हो ,खुदा भी उसे कैसे अपने को उसका मालि‍क कह सकात है।                                                                                    
श्री मनमाहन भारद्वाज के द्वारा कृत इस नाटक में जहां अकबर के कि‍रदार को मनोज सि‍ह ने जीवंत कि‍या है वहीं बीबबल के रूप में योगेन्‍द्र दुबे ने अपनी बहुआयामी मचीय दक्षताका साक्ष्‍य दि‍या है।जबकि‍ कालू के रूप में मनोज शर्मा, रानी काजल गुप्‍ता,चौधरी बने हैं वीरेन्‍द्र सि‍ह, नौजवान शशंकबने हैं। राकेश यादव के टीम प्रबंधन ,संगीत दीपक सांगर का था। प्राप्‍स रवि‍ प्रजा पति‍ के थे।इस अवसर पर नाटक के नि‍र्देशक वरि‍ष्‍ठ रंगकर्मी अनि‍ल शुक्‍ला ने बताया कि‍ आगरा में रंगलीला ने सात साल पहले हाथी घाट पै अकबर की प्रस्‍तुति‍ की थी जो महानगर वासी अब तक वि‍स्‍मृत नहीं कर सके हैं।उस नाटक में अकबर बीरबल, कालू, उसकी बीबी रानी, और नौजवान इस नाटक में एक बार फि‍र से पहले से कही अधि‍क परपक्‍वता के साथ अपने कि‍रदार अदा कर रहे हैं।उन्‍होंने उम्‍मीद जतायी कि‍ हाथी घाट पर अकबर के माध्‍यम से जि‍स प्रकार सीधे जनसंवाद की स्‍थि‍ति‍ बनी थी पुन:बनेगी लोगों का शहरी र्टफि‍क के बारे में सोच का नजरि‍या बदलेगा।