2 मई 2015

अब इंतजार रहेगा प्रशासन के कि‍ये वायदे पूरे होने का

--सोशल एक्‍टि‍वि‍स्‍ट नरेश पारास की पैरोकारी से लोहि‍या आवास,स्‍कूल में दाखि‍ला और सरकारी सहायता का रास्‍ता खुला

--टी वी चैनल पर प्रसारण के बाद अब मुख्‍यमंत्री ने भी कहा ‘सामाजि‍क सुरक्षा देंगे’

नरेश पारस पीडि‍त बेघर बच्‍चों के साथ
आगरा, फतेहपुर सीकरी के डाबर गांव में पिछले कई दिनों से तीन बेघर हुए बच्चों को अब उत्‍तर प्रदेश सरकार सहायता देगी यह घोषणा मुख्‍मंत्री अखि‍लेश यादव ने की है,।एक नेशनल चैनल के द्वारा यह प्रकरण प्रमुख्‍ता के साथ प्रसारि‍त कर उनके संज्ञान में लाया गया था।कि‍न्‍तु शासन की इस घोषणा से कही पहले आगरा के सोशल एक्‍टि‍वि‍स्‍ट नरेश पारस सक्रि‍य हो चुके
थे ।जब वह अपने मित्र दीपक लवानिया के साथ बच्चों से मिलने गुरुवार को पहुंचे  तो बच्चों ने रोतेरोते अपनी व्यथा बताई। उन्‍होंने बताया कि‍ उनके ही सगे चाचा तथा दादादादी ने बच्चों को बेघर कर दिया है। जब बात पंचायत तक पहुंची तो उसने भी फरमान सुना दिया कि उन्‍हें  सिर्फ एक हजार मासिक खर्च पर अपना खर्च चलाना पड़ेगा...
इस व्‍यथा से व्‍यथि‍त श्री पारस ने एस डी एम कि‍रावली से संपार्क कि‍या तथा कहा कि‍ पंचायत से अगर एक हजार रूपये मि‍ल भी गये तो भी बव्‍वों की मूलभूत जरूरते पूरी नहीं हो सकगी ,इसके अलावा उन्‍हें उस सामाजि‍क सुरक्षा की भी जरूरत है जो कि‍ जि‍ससे उनके पि‍रजनों ने ही उन्‍हें महरूम कर दि‍या है।एस डी एम का रुख उदार था वह बच्‍चों को स्‍कूल में दाखि‍ला करवाने ,सरकारी योजना में सहायता दि‍लवाने,बीपी एस कार्ड बनवाने तथा लाहि‍या अवास दि‍लवाने को सहमत हो गयीं।
कुछ दि‍न पूर्व तक ये बच्‍चे भी अन्‍य बच्‍चों के समान ही सामान्‍य जि‍ंदगी जीते थे कि‍न्‍तु गरीबी के कारण इनके माता पि‍ता के द्वारा आत्‍म हत्‍या कर लेने के बाद से उनके लि‍ये सबकुछ बदल गया।कश्‍त बंटवारे योगय रह नहीं गयी थी परि‍वार की आमदनी न्‍यूनतम जरूरतें परी करने लायक भीथी नहीं।इस लि‍ये अमानवीय सोच के साथ उन्‍हों ने इन्‍हें बेघर छोड दि‍या था।उल्‍लेखनीय है कि‍ बच्‍चों के  लि‍ये  सक्रि‍य हुए श्री पारस हाल में ही अस्‍पताल में कई दि‍न भर्ती होकर बाहर आये हैं उन्‍हें स्‍टोन की भारी समस्‍या से जूझना पड रहा था। वर्तमान में भी उनका इलाज चल रहा है।

वैसे सुखांत होने जा रही इन बच्‍चों की दास्‍तां तो अपनी जगह है ही कि‍न्‍तु फतेहपुर सीकरी के राजस्‍थान की सीमा से लगे उटंगन के कि‍नारे बसावट वाले  डाबर गांव की हकीकत है जब से पत्‍थर खुदाई पर रोक लगी है तब से पूरा गांव भारी बेरोजगारी की चपेट में है।