25 अप्रैल 2015

कि‍सानों की मौतों के कारणों का अब वर्गीकरण

--यू पी सरकार चाहती है र्सि‍फ फसल क्षति‍ से टूटे मनोबल के कारण हुई मौतों का वि‍वरण 

(अन्‍नदाता: पहले धोखा अब नि‍राशा)
 आगरा, आजादी के बाद उत्‍तर प्रदेश में जून में समाप्‍त होने जा रहे कि‍सान वर्ष में सबसे अधि‍क कि‍सानों की मौत अत्‍म हत्‍या के कारण हुई है। ढाई साल तक शासन चला चुकी अखि‍लेश यादव सरकार ढई साल के बाद चुनाव मैदान में फि‍र से कूदने से पहले कुछ ऐसा करने की कोशि‍श में है जि‍ससे उसकी कि‍सान परक छवि‍ बरकरार रह सके। फलस्‍वरूप अब शुरू हो चुका मुआबाजा बांटने के दौर को सपाई और जोर से चलवाने जा रहे हैं। यह फसल क्षति‍ का मुआबाजा नहीं मौतों के उन मामलों का होगा जि‍नमें  होगा जो कि‍ फसल क्षति‍ से मनोबल टूटे कि‍सान की जीवन लीला समाप्‍त
हुई है।
उपलब्‍ध आाधि‍कारि‍क आंकडो के अनुसार राज्‍य में अब तक कि‍सानों की अस्‍वभावि‍क मौतों की संख्‍या 1153-1160 तक पहुंच गयी है।

उपरोक्‍त तो केवल मर्दों की मौत के आंकडे हैं ,अगर इनमें महि‍लाओं सहि‍त उन मौतों की संख्‍या को भी जोड दि‍या जाये जि‍नका प्रसूति‍ या अन्‍य उपचरों के बाद धन अभाव में गरीब कि‍सान इलाज तक नहीं करवा सके तो और भी शर्मानाक हालात सामन आते हैं।अनुभवी ब्‍यूरोक्रट आलोक रंजन चाहते हैं कि‍ कि‍सी भी प्रकार कि‍सानों की मोता का मुद्दा गौड हो जाये तथा आये दि‍न गांवों में सरकार के खि‍लाफ सीन बनना बन्‍द हो जाये। इसके लि‍ये जिलाधिकारियों को ऐसी सभी मौतों से जुड़े कारणों का परीक्षण कर सीएम राहत कोष से आर्थिक सहायता की सिफारिश करने को कहा है।
मुख्‍य सचि‍व के आदेश के बाद अबद जिलाधिकारी मौतों का परीक्षण कर रिपोर्ट देंगे कि‍ मृतकों में कौन-कौन किसान थे, कौन-कौन गरीब थे और वास्तव में किन-किन की फसलों की बर्बादी से मौत हुयीं।हो सकता है कि‍ संख्‍या के वि‍श्‍लेषण से आंकडों से कुछ राहत मि‍ल जाये कि‍न्‍तु इससे जमीनी हकीकत कुछ खास बदलने वाली नहीं है।मुख्‍य मुद्दा है कि‍ धरती पुत्र की पार्टी के शासन में कि‍सान का मनोबल इतना दर्बल क्‍यो हुआ है। कि‍सान से जुडे सभी मामले कापरेटि‍व, मंडी परि‍षद ,कृषि‍ वि‍भाग और सि‍चाई वि‍भाग से संबधि‍त हैं।ये सभी राज्‍य सरकार के आधीन कार्यरत हैं।यही नहीं इनके लि‍ये भारत सरकार से इनके लि‍ये रुटीन आवंटन होता है।फि‍र भी ये कि‍सान के लि‍ये उपयोगी साबि‍त नहीं हो सके तो इसके लि‍ये तो सरकार को अपने मंत्रि‍यों की नि‍यत और क्षमताओं के बारे में भी वि‍श्‍लेषण करना होगा।