--सपा का किसान प्रेम भी काम नहीं आया जमीन अधिग्रहित करवाने वालों को
--कोर्ट के रुख से 4.45 करोड खाते में डाले 3 अरब से ज्यादा राशि मांगी शासन से
( गोकुल बैराज : फाइल फोटो) |
उन्हों ने कोर्ट का रुख कर लिया है,जिसके फलस्वरूप अब हालातों में एक दम बदलाव होने लगा है।प्रभावित किसानों एवं क्षेत्रीय निवासी किशन लाल और सुनीता ¨सह के मामलों में कोर्ट के द्वारा की गयी कडाई से प्रशासन के द्वारा उनके खातों में मुआबजा राशि के पांच करोड डलवा दिये गये,अब बाकी किसानों के द्वारा भी यही रास्ता अपनाये जाने की तैयारी है।
इन दोनों के द्वारा ही सभी प्रयास असफल होते देखकर 2011 में याचिका दाखिल की गयी थी किन्तु बाद में सपा के सरकार में आ जाने के बाद अधिकारियों और नेताओ के बीच में आने के कारण स्वत:ही भुगतान हो जाने की आशा में पैरोकारी धीमी कर दी।किन्तु बाद में स्थिति यह हो गयी कि मुआबजे की फाइलें कोयी भी अधिकारी छूने तक को तैयार नहीं हो रहा था...
अब हालात एक दम बदल गये हैं याचिका के सम्बनध में जैसे ही जिला अधिकारी को कोर्ट ने 17 और 18 अप्रैल को तलब किया प्रशासन ने तत्काल याचिकाकर्ता के खाते में 4.72 करोड की राशि हस्तातरण कर दी।पेशी के बाद सरकार और प्रशासन के रुख में क्या परिवर्तन होता है,यह तो कुछ समय बाद ही मालूम पडेगा किन्तु अन्य इंतजार रत किसानों के लिये इस याचिका से एक प्रकार से रास्ता खुल गया है। कुछ अन्य किसान भी अब कोर्ट जाने की तैयारी में हैं।
उल्लेखनीय है कि डूब क्षेत्र के किसान अपनी कृषि भीमि के मुआबजे के लिये पिछले 16 वर्षों से इंतजार कर रहे हैं। किन्तु उन्हे राहत नहीं मिल सकी।
साढ़े तीन अरब का इंतजार भी वैसे गोकुल बैराज के डूब क्षेत्र के तीन गांवों के किसानों को अगर समय से मुआबजा बांट दिया जाता तो न केवल फजीहत से बचा जा सकता था बल्कि मांगे जा रहे धन से कही कम भुगतान करना होता। जबकि अब प्रशासन ने बढे सर्कि रेटों के आधार पर ने साढ़े तीन अरब की धनराशि शासन से मांगी है। किसान नये सर्किल रेट का चार गुना मुआबजा अपेक्षित कर रहे हैं।वैसे अगर सरकार नयी दरों को नहीं मानती है और पुराने मुआबजे को ही अदा करने के लिये मुकदमा लडती है तो भी उसे 15 साल का बज अदा करने को बाध्य होना पडेगा जिससे कामवेश ढाई अरब से कुछ अधिक की राशि बांटनी होगी।
वैसे अब तक गोकुल बैराज डूब क्षेत्र के आठ राजस्व गांवों में से सिर्फ पांच गांवों की धारा 6(1) की कार्रवाही हो सकी है वहीं माधोपुर खादर, रावल खादर और मई मिर्जापुर उर्फ दामोदरपुरा खादर गांवों में धारा 4(1) एक की कार्रवाई नहीं की जा सकी। इन्हीं में मुआबजा बांटने के लिये शासन से रकम मांगी गयी है।