21 जून 2020

गार्मेंट हब बन सका तो तो बदल जायेगी आगरा की 'माईक्रो इकनामी'

-- न नि‍वेशकों की कमी,न कुशल कर्मि‍यों की भरपूर 'वायर'हैं मौजूद 
आगरा में हैं गार्मेंट मैन्‍यू फैक्‍चरि‍ंग हब की भरपूर संभावनायें

आगरा: उत्तर प्रदेश सरकार ने आगरा  में गारमेंट हब बनाये जाने की अधि‍कारि‍क रूप से जानकारी  को एक सकारात्‍मक कदम माना जा रहा है।  गारमेंट हब (अपैरल पार्क) अगर बननासंभव हुआ तो इसमें काफी बडी संख्‍या में दर्जी, डि‍जायनरों आदि‍ श्रमि‍कों को काम मि‍लना संभव होगा। चूकि‍ गार्मेट महि‍ला प्रधान इंडस्‍ट्री है , इस लि‍ये काफी संख्‍या में महि‍लाओं को काममि‍ल ने की संभावना है।
प्रदेश में पांच गामेंट हब बनाये जाने हैं, इनमें से आगरा के अलावा एक अलीगढ में बनायाजाना तयहो चुका है। आगरा के गार्मेंट हव के लि‍ये  के लि‍ये यू पी एस आईडी सी के द्वारा शासन की नोडल एजैंसी की भूमि‍का आद की जायेगी  और यमुना एक्‍सप्रेसवे के साइट कौरीडोरों में ओद्योगि‍क वि‍ककास के लि‍ये यमुनाएक्‍सप्रेस वे इंडस्‍ट्रि‍यल डव्‍लपमेंट अथार्टी की कि‍सी जमीन पर वि‍कसि‍त होगा। । उम्‍मीद है कि‍ उ प्र्र सरकार शीघ्र ही इसके लि‍ये फैसीबिल्टी स्टडी और डीपीआर तैयार करने के लिए जल्दी ही कंसल्टेंट
की नि‍युकति‍ कर देगी। 
सि‍वि‍ल सोसायटी ने कि‍या स्‍वागत
 सि‍वि‍ल सेासायटी आगरा ने गामे्रंट पाक बनायेजाने का स्‍वगत कि‍या है ।सोसायटी के जर्नल सैकेट्री श्री अनि‍ल शर्मा ने कहा है  कि गर्मेन्टिंग रोज़गार परक सैक्‍टर है, इससे जुडे श्रमि‍को को यह आय कर माध्‍यम तो होता ही है साथ ही जीवन यापन के स्‍तर में सुधार का भी प्रभावी माध्‍यम है1 सबसे बडी बात हे कि‍ इस काम में महि‍लाओं को भरपूर काम के अवसर रहते हैं। 
श्री शर्मा ने कहा कि‍ जब भी  प्रोजेक्‍ट आधारभूत अनुमति‍यों और जमीन  उपलब्‍धता की सुनि‍श्‍चि‍त्‍ता के साथ सामने आयेगा तो इसके लि‍ये स्‍वत: ही भरपूर भरपूर धन उपलब्‍ध हो जायेगा। गमेंट इंडस्‍ट्री अब स्‍माल स्‍केल इंडस्‍ट्री तक ही सीमि‍त नहीं रह गयी है फलस्‍वरूप  बडी कंपनि‍यों की इसमें दि‍लचस्‍पी स्‍वभावि‍क है1अबगामैंट उत्‍पादन का कार्य एक सुगठि‍त अंतर्राष्‍ट्रीय प्रति‍स्‍पर्धा की चुनौति‍यों का मुकाबला करने वाला काम है।
कभी आगरा की थी पहचान सूत और कपडा क्षेत्र में
उल्‍लेखनीय है कि‍ कभी आगरा कमि‍श्‍नरी देश के प्रमुख कपडा उत्‍पादन स्‍थानों में से था। दूसरे वि‍श्‍वयुद्ध से पहले कानूपर से भी कही ज्‍यादा कपडा उत्‍पादन आगरा,कानूपर और हाथरस में होता था। जोन्‍स मि‍ल क्‍लस्‍टर कपाससे सूत कातने की कि‍तनी बडी इकार्इ होगी इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि‍ दुनि‍यं में सूत (डोरे) के दाम इसी कंपनी के उत्‍पादन और बि‍क्री पैटर्न पर नि‍ र्भर करते थे। मि‍लि‍ट्री की सप्‍लाई भी यहां से ही की जाती थी अब भी आर्मी सप्‍लाई कार्प की गारमेंट पि‍क्‍योरमेंट से संबधि‍त यूनि‍ट नान आप्रेशनल नहीं की जा सकी है1 यही नहीं आगरा में सूत और कतायी का काम जमकर होने से कपास की खेती का भी बडा रकबा था  कि‍न्‍तु लोकल मार्केट खत्‍म हो जाने से कपास की खेती कि‍सानों और मडी के आढति‍यों के लि‍ये अब तो लगभग भूली बि‍सरी सी हो गयी है।
आगरा में इसके पनपने की संभावना का एक सबल कारण यहां जूता उद्योग पहले से ही पनपा हुआ है फलस्‍वरूप कंज्‍यूमर आईटम्‍स की सप्‍लाई चेन और वायरो के यहां से पहले से ही सम्‍बन्‍ध हैं।