10 नवंबर 2018

ताजमहल को प्रदूषण प्रभाव से सुरक्षित रखने का हल वैज्ञानिक आधार पर ही सम्भव

आगरा। आई.आई.टी. कानपुर के सेन्टर फॉर इन्वायरनमेण्टल साइन्स व इन्जीनियरिंग विभाग द्वारा  टी.टी.जैड क्षेत्र के वायु प्रदूषण स्रोत के निर्धारण एवं ताजमहल पर उसके प्रभाव विषयक अध्ययन किया गया है जिसकी लागत 22 लाख रुपये से अधिक है जिसकी अवधि 4 माह है। रिपोर्ट आने के उपरान्त ही विजन प्लान को बनाया जाये, यह मांग आगरा डवलपमेण्ट फाउण्डेशन (ए.डी.एफ.)की ओर से उसके सचिव के.सी. जैन द्वारा मुख्यमन्त्री के जनसुनवाई पोर्टल पर सुझाव प्रेषित कर मांग की। 
अवनीश अवस्थी प्रमुख सचिव, पर्यटन विभाग, उ0 प्र0 शासन, लखनऊ को भेजे गये सुझाव में ए.डी.एफ. की ओर से यह कहा गया कि माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा रिट याचिका (सिविल) स0 13381 वर्ष 1984 में पारित आदेश दिनांक 8-12-2017 के क्रम में ताज
ट्रिपेजियम जोन का विजन प्लान व डॉकूमेण्ट बनाया जाना है जिसके सम्बन्ध में प्रदेश के पर्यटन विभाग द्वारा स्कूल ऑफ प्लानिंग एण्ड आर्किटैक्चर से अनुबन्ध किया गया है। उक्त विजन प्लान का प्रमुख उद्देश्य टी.टी.जैड. में प्रदूषण पर अंकुश लगाने व प्रदूषण से ताज को सुरक्षित रखने का है।


भेजे गये सुझाव में यह कहा गया कि अध्ययन के कार्य को आई.आई.टी. कानपुर को दिये जाने के दृष्टिगत यह सर्वथा उचित होगा कि विजन प्लान का अन्तिम प्रारूप अध्ययन रिपोर्ट आने के उपरान्त ही बनाया जाय ताकि प्रदूषण के कारणों का खुलासा हो सके और उन कारणों के निदान हेतु विजन प्लान बन सके। किसी भी स्थिति में आई.आई.टी. कानपुर की अध्ययन रिपोर्ट आये बिना विजन प्लान बनाया जाना उचित व प्रसांगिक नहीं होगा और हम प्रदूषण की समस्या का वैज्ञानिक आधार पर समाधान नहीं कर सकेंगे और विजन प्लान बनाया जाना निरर्थक सिद्ध होगा। 

सुझाव में यह अनुरोध किया गया कि आई.आई.टी. कानपुर की आख्या की प्रतीक्षा की जाये और आख्या को दृष्टिगत रखते हुए टी.टी.जैड का विजन प्लान वैज्ञानिक आधार पर तथ्यों के अनुरूप बनाया जाये ताकि आगरा व टी.टी. जैड में प्रदूषण की समस्या का सार्थक हल निकाला जा सके। इस सम्बन्ध में उचित निदेश स्कूल ऑफ प्लानिंग एण्ड आर्किटैक्चर को भी दिया जाना उचित होगा।

ए.डी.एफ. की ओर से सचिव जैन ने कहा कि आगरावासी वायु प्रदूषण की समस्या से मुक्ति प्राप्त करना चाहते हैं और स्वस्थ जीवन के साथ-साथ अपने स्मारकों के संरक्षण के लिये भी पूरी तरह चिन्तित हैं। लेकिन इसका हल वैज्ञानिक आधार पर ही सम्भव है, पूर्वाग्रहों के आधार पर नहीं।