9 नवंबर 2017

इंटरनेशनल एयरपोर्ट का आगरा है हकदार

ताजमहल पर झाडू लगाने का शौक भले ही पूरा न करें किन्‍तु आगरा के हितों को बख्‍शें

आगरा। सिविल सोसायटी आगरा के महासचिव अनिल शर्मा ने कहा कि जैवर में ताज महल के नाम पर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाये जाने पर आगरा के नागरिकों को शुरू से ही आपत्‍ति रही है। आगरा इंटरनेशनल टूरिस्‍ट सेंटर है,ताजमहल इसका पर्याय है। जब हरस्‍तार पर मामला उठाकर अपनी बातकहनेका प्रयास करके देखलिया और सुनवायी की  स्‍थिति नहीं बनी तो अंतत: सिविल सोसायटी आगरा इलहाबाद  हाईकोर्ट की चौखट पर पहुंचना पडा ।
श्री शर्मा, कांग्रेस पार्षद दल के नेता डा शिरोमणी सिह तथा पत्रकार राजीव सक्‍सेना जो कि हरियाली वाटिका में मीडिया को वस्‍तु स्‍थितियों की जानकारी दे रहे थे ने कहा कि आगरा के सिविल एन्‍कलेव को इंटरनेशनल एयरपोर्ट की सुविधा संपन्‍न बनाया जाना ही जरूरत और सार्वजनिक या कार्पोरेट सैक्‍टर से आने  निवेश के लिये उपयोगी है। जैबर,ग्रेटर नोयडा और नौयडा  इंडस्‍ट्रिल टाउनशिप  दिल्‍ली के सैटेलाइट शहर भर हैं। उनका इसी रूप में एन सी आर के प्‍लानर विकास करते रहे हैं। मसलन सस्‍ते और द्रुत परिवहन के लिये  मेट्रों को एक्‍सटेड किया जा रहा है।सडकों को टौल फ्री, पार्कऔर पार्किंगों का विकास आदि शामिल हैं। जबकि कुछ राजनीतिज्ञों के द्वारा मान  लिया गया है कि वे चाहे जिस स्‍थान को इंटर नेशनल कह देंगे  वहां इंटरनेशनल  सरगर्मियां होने लगेंगी।


 आगरा में पांच हैरीटेज बिल्‍डिगें है, यहां का अपना संपन्‍न इतिहास है।  नागरिक अपने इतिहास और स्‍वरूप से प्‍यार करते है । वहीं दूसरी ओर गौतम बुद्ध नगर वाले तो प्रकांड ब्राह्मण व रामायण के प्रमुख पात्र रावण के जन्‍म स्‍थान 'बिसरख 'गांव तक की जानकरी देने से बचना चाहते हैं।खैर इससे कोई गुरेज नहीं होना चाहिये, सबको  एक दूसरे की गैर राजनैतिक मजबूरियों को समझना चाहिये। हमारा तो उ प्र के मुख्‍यमंत्री  श्री योगी आदित्‍यनाथ जी से केवल यही आग्रह है कि उन्‍हें  ' ताजमहल' पर सफाई करने की जरूरत नहीं आगरा नगर निगम यहां का काफी घ्‍यान रखता है,बस अगर संभव हो तो आगरा के जन जीवन के आर्थिक स्‍त्रोतों को कमजोर करने वाले काम करने से बचें। ताजमहल के नाम पर जनपद की सीमा सेबाहर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाया जाना एक इसी प्रकार का काम है।
वैसे भी अगर आगरा में इंटरनेशनल एयरपोर्ट के स्‍टैंडर्ड वाला सिविल एन्‍कलेव बन जायेगा तो  दिल्‍ली के इंन्‍दिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के टर्मिनल-3,पर यात्रियों का वह दबाव ही कहां रह जायेगा । जो कि जैवर में नया इंटरनेशनल एयरपोर्ट भविष्‍य की जरूरत के नाम पर बनवाकर आगरा के हकों को चोट पहुंचाने का आधार बनाया जाता रहा है।
उन्‍हों ने कहा कि आगरा की जरूरत को नजर-अंदाज कर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिये  गौतम बुद्धनगर को चुनना क्षेत्रवादी संकीर्ण सोच का ही परिणाम है। हमारा मानना है कि जिनकी जमीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट केलिये ली जायेगी उन्‍हें तो भरपूर मुआबाजा मिलेगा किन्‍तु जो 23 गांव उजडेंगे उनके वे भूमिहीन क्‍या करेगे और कहा जायेगे जो कि  कृषि उत्‍पादन और पशुपालन  की प्रक्रियाओं से ही अपनी रोजीरोटी चलाते रहे हैं।
वैसे हकीकत यह है कि इन भूमिहीनों की छोडिये सरकार के पास एयरपोर्ट प्रोजैक्‍ट के लिये 2500 एकड जमीन के अर्जन  तक को धन उपलब्‍ध करवाने को कोई कार्य योजना नहीं है । विदेशी कंपनियों को निवेश करने की संभावनाओं से बलाया जाता रहा किन्‍तु अब तक तो कोयी भी निवेशक सरकार नहीं ढूढ सकी। वैसे न्‍यूनतम 20 हजार करोड की राशि  की इस प्राजेक्‍ट के लिये जमीन अधिग्रहण को  आंकी गयी है । जो यूपी सरकार के बजट की स्‍थिति देखते हुए न तो संभव ही है और नहीं उपलब्‍ध करवाना व्‍यवाहरिक ही।
नौयडा और ग्रेटर नौयडा क्षेत्र उत्‍पादन इकाईयों के लिये जरूर उपयोगी साबित हुआ है किन्‍तु अंतर्राष्‍ट्रीय जरूरतों को आधार बताकर क्रियान्‍वित की गयी महत्‍वकांक्षी बडी योजनाओं  के मामले में बेहद घाटे वाला ही रहा है। यमुना एक्‍सप्रेस वे सबसे बडा असफल प्रयोग साबित हुआ है। निवेश कर्त्‍ता अपने को कर्ज से उबारने को  इसे विदेशी कंपनी को बेचना चाह थी। जो कि कोर्ट की अनुमति न मिलने के कारण अब तक रूका हुआ है। इंटरनेशनल स्‍पोर्ट कांप्‍लैक्‍स, इंटरनेशनल क्रिकेट स्‍टेडियम और फार्मूला वन जैसे ईवेट के लिये बनाये आटोमोवाइल रेस ट्रेक तक फेल हो गये हैं। थीम पार्क प्रोजैक्‍ट बनाने का मंसूबा रखने वाले वाले एक वालीवुड  स्‍टार तो प्रोजैक्‍ट के लिये आवंटित एक हजार एकड जमीन सरैडर कर मैदान छोड ही चुके हैं।

अगर उपरोक्‍त सब कुछ जानते और समझते हुए भी जनधन से 24 हजार करोड खर्च कर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाया जाता है तो वह निश्‍चित रूप से निवेशकों के लिये नान परफार्मिंग ऐसेट  ही साबित होगा। आगरा में भले ही शैड्यूल्‍ड फ्लाइटें राजनीतिज्ञ नहीं लाने देते हो किन्‍तु एक हजार से ज्‍यादा चार्टर जरूर हर साल आते है फलस्‍वरूप एयरपोर्ट अथार्टी को यहां किया गया निवेश अखरता नहीं है जब कि यूपी के वराणसी और लखनऊ सहित सभी एयरपोर्ट बेहद घाटे में संचालित है। यही नहीं इनको प्रमोशनल और रियाती किराये  वाली फ्लाइटों को चलवाने के बाबजूद फायदे में लाये जाने की कोई संभावना नहीं है ।वहीं आगरा में इसके लिये भरपूर संभावनाये विद्यमान है । भारत सरकार की ट्रांपोर्ट और कम्‍यूनिकेशन क्षेत्र की प्रमुख सर्वे कंपनी रॉयटद्व स तक की रिपोर्ट आगरा के पक्ष मे ही रही है