16 जून 2017

बटेश्वर में बनाया जाये बैराज

-- भरपूर जल उपलब्‍धता के साथ ही तीर्थ स्थल हो जायेगा रमणीक

बटेश्‍वर पर प्रस्‍तावि‍त ब्‍ेराज
 आगरा:यमुना नदी में पानी को यथासंभव रोकने और जनोपयोगी जलाशयों में तब्दील करने के लि‍ये शासन के समक्ष  प्रस्तावों में नदी पर बटेश्वकर तीर्थ के नि‍कट एक बैराज  बनाया जाने संबधी सुझाव भी शामि‍ल है। बटेश्वेर – शि‍कोहाबाद रोड पर बने यमुना नदी के पुल के डाउन स्ट्रीम  में इसे बनाया जाना सुझाया गया है। मूल रूप से यह पर्यावरण वि‍द् डा के एस राणा के द्वारा सुझाया हुआ है। इस प्रस्तााव के अनुसार बटेश्वर में पुल के डाउन स्‍ट्रीम मैं बैराज
बनाये जाने से बटेश्वशर तीर्थ के मंदि‍रों के सामने घाटो पर भरपूर पानी की उपलब्धलता संभव हो सकेगी साथ ही  बि‍ना कि‍सी अतरि‍क्‍त वि‍स्ताार के बडी मात्रा में संचि‍त कि‍या जा सकेगा। उन्हों ने कहा कि‍ बटेश्वर के
डा के एस राणा
समीप ही जैन समाज के प्रमुख नैमीनाथ भगवान ओर शौरीपुर के वि‍ख्यात आस्था स्थल भी हैं, इनके आसपास के पर्यावरण में भी बदलाव आने से और तीर्थस्‍थलों के और अधि‍क अनुकूल स्थिा‍ति‍यां बनेंगी।
डा राणा ने कहा कि‍ वह तो चाहेंगे कि‍ मजबूत परंपरागत ढाचा ही बैराज के रूप में खडा कि‍या जाये कि‍न्तु‍ अगर योगी सरकार की कम खर्च को आधार बनाकर रबड डैम बनाने की योजना है,तो यहां रबड डैम बनाया जाना भी उपयुक्त  रहेगा। मानसून काल में इसे रोल कर नदी को उसके स्वंभावि‍क बहाव के लि‍ये मुक्त रखा जा सकता है, जबकि‍ अक्टूवर में मानसून कालीन उफान थमने के बाद पुन: खडा कि‍या जा सकता है।
उन्होंने कहा कि‍  अगर यमुना नदी में पानी रहे तो बटेश्वर पहुंचने वालों की संख्या बहुत अधि‍क बढ जायेगी, वैसे भी यह धार्मि‍क तीर्थ स्थहल ही नहीं अपने आप में एक पूरा पर्यटन स्थल है। भदावर राजपरि‍वार इसक्षेत्र के वि‍कास के लि‍ये सतत प्रयासरत रहा है। सौदर्यी करण के नाम पर समय समय पर काफी धन भी खर्च कि‍या जाता रहा है।कि‍न्‍तु तीर्थस्‍थल के प्रमुख आकर्षण घाटों के सामने नदी को जलयुक्‍त करने का प्रयास हालफि‍लहाल संभव नही हो सका है। सामायि‍क एवं व्यहवहारि‍क रूप से देखा जाये तो बटेश्वर पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बि‍हारी बाजपेयी का गांव है, और उनकी ही इस समय केन्‍द्र व राज्‍य में सरकारें हैं।इस लि‍ये इसे बैहतर बनाये जाने के लि‍ये अगर कुछ होता है तो उपयुक्ता ही कहा जायेगा। डा राना ने कहा कि अगर श्री बाजपेयी की सक्रि‍यता के काल में रबड डैम या अन्य कम खर्च से जलसंचय के उपाये सरकारों में प्रचलि‍त हो गये होते तो नि‍श्चिय‍त रूप से वह बटेश्वर मंदि‍रों के तटो को जलयुक्त  रखने के लि‍ये रेलवे लाइन से पहले इसी का नि‍र्माण करवाते। ‍
डा राणा ने कहा कि‍ यह बैराज न्यूरनतम धन खर्च कर तो बनेगा ही साथ ही बाद में उपयुक्तम संसाधन होने पर सि‍चाई कार्य के लि‍ये पानी भी उपलब्धत करवाने का माध्येम बन सकता है।सबसे बडी बात यह है कि‍ इस रबड डैम के बन जाने से जलसंचय तो होगा ही कि‍न्तु‍ सीमि‍त जलस्तहर होने से बटेश्वमर के डाउन स्ट्री म में  नदी के स्व भावि‍क बहाव पर कोयी अंतर नहीं पडेगा।उन्होसन कहा कि‍ हकीकत में रबड बैराज इसी प्रकार की सीमि‍त जरूरत वाले प्रोजैक्टोंउ के लि‍ये ही उपयुक्तम हैं। डा राणा ने कहा कि‍ स्थाूनीय पर्यावरणीय स्थि ‍ति‍यों की जनकारि‍यों एवं सामान्य  नागरि‍क के  रूप में वह सुझाव से भी आगे के प्रयासों को सक्रि‍य रहेंगे कि‍न्तुए  , कि‍न्तुक इस सम्ब न्ध  में कोयी कार्रवाही स्था नीय जनप्रति‍नि‍धि‍यों की पहल पर ही शुरू होने से ही परि‍णाम परक हो  सकती है, इस लि‍ये उनके द्वारा ही इसके लि‍ये सरकार से कहा जाये तो ज्यापदा उपयुक्तह रहेगा।