24 अप्रैल 2016

पाँच तरीके से लिखी गई पाँच पुस्तकें

उल्‍टे अक्षरों से लिख गई भागवत गीता ( Bhagwat Gita )

आगरा: :कला और दक्षता की कोई सीमा नहीं होती, रोज नई उपलब्‍धियां प्रकाश में आती रहती हैं, ऐसा ही दिलचस्‍प कारनामा किया है श्रीमती रविकांता एवं डॉ. दवेंद्र कुमार गोयल के बेटे पीयूष गोयल ने। उसने पंच प्रचलित पुस्‍तकें पंच तरीके से लिख डाली हैं।

इनमें अध्‍यात्‍म दर्शन और कर्मफल संस्‍कृति को व्‍यापक और सहजता के साथ जनग्राही बनाने वाली   भागवत गीता भी शामिल है।

पुस्‍तक लिखने का अंदाज थोडा फर्क है, इसकी लिपि को देखते ही
सहज तो एकबारगी असमंजस में पड जायेंगे। लिपि देखते ही पहले तो समझ में नहीं आयेगा कि यह किताब किस भाषा शैली में लिखी हुई है। पर जैसे ही दर्पण ( शीशे‌ ) के सामने इसके बन्‍द पृष्‍ट खेलें जायेंगे वैसे ही किताब खुद ब खुद बोलने बोलने लगेगी। सारे अक्षर सीधे नजर आयेंगे।दरअसल इस किताब को पीयूष ने मिरर इमेज के हिसाब से लिखा है।पूर्व में भी वह मिरर इमेज की भाषा शैली में कई किताबें लिख चुके हैं।...

 सुई से लिखी मधुशाला ( Madhushala )

पीयूष ने एक ऐसा ही कारनामा पीयूष ने सूई की नोक से पुस्‍तक लिख कर करडाला । इसके पीछे उसका कहना है कि मिरर इमेज वाली लिपि में किताब पढने के लिये कि प्‍लेन मिरर की जरूरत होती थी किन्‍तु सुई से लिखी पुस्तक को पढ़ने के लिए शीशे की जरूरत पड़ती है। जबकि सुई की नोक से लिखी पुस्‍तक में अक्षर दूसरी ओर अपने पर्ण और सही आकार में स्‍वत ही उकर आते हैं जिन्‍हे सहजता के साथ पढा जा सकता है। उसने सुई से लेखन को स्वर्गीय श्री हरिवंशराय बच्चन जी की विश्व प्रसिद्ध पुस्तक 'मधुशाला' लिखने पर अजमाया, करीब दो से ढाई महीने में यह पूरी हुई। वैसे मूल रूप से यह पुस्‍तक भी पुस्तक भी मिरर इमेज में लिखी गयी है और इसको पढ़ने लिए शीशे की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि रिवर्स में पेज पर शब्दों के इतने प्यारे मोतियों जैसे पृष्ठों को गुंथा गया है, जिसको पढ़ने में आसानी रहती हैं ।पीयूष का दावा है कि उसकी बैहतरीनतम जानकारी के अनुसार 'मधुशाला' दुनिया की अब तक की पहली ऐसी पुस्तक है जो मिरर इमेज व सूई से लिखी गई है।

 मेंहदी कोन से लिखी गई गीतांजलि ( Gitanjali )

 पीयूष ने 1913 के साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता रविन्द्रनाथ टैगोर की विश्व प्रसिद्ध कृति 'गीतांजलि' को 'मेंहदी के कोन' से लिखा है। उन्होंने 8 जुलाई 2012 को मेंहदी से गीतांजलि लिखनी शुरू की और सभी 103 अध्याय 5 अगस्त 2012 को पूरे कर दिए।इसको लिखने में 17 कोन तथा दो नोट बुक प्रयोग में आई हैं। पीयूष ने श्री दुर्गा सप्त शती, अवधी में सुन्दरकांड, आरती संग्रह, हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में श्री साईं सत्चरित्र भी लिख चुके हैं। 'रामचरितमानस' ( दोहेसोरठा और चौपाई ) को भी लिख चुके हैं। 

 कील से लिखी 'पीयूष वाणी'

अब उसने अपनी ही लिखी पुस्तक 'पीयूष वाणी' को कील से ए-फोर साइज की एल्युमिनियम शीट पर लिखा है। पीयूष ने पूछने पर बताया कि कील से क्यों लिखा है ? इस पर उसने कहा कि वह जब बच्चन जी की विश्व प्रसिद्ध पुस्तक 'मधुशाला' को लिख चुके तो उन्हें विचार आया कि क्यों न कील से भी प्रयास किया जाये सो उन्होंने ए-फोर साइज के एल्युमिनियम शीट पर भी लिख डाला।

 कार्बन पेपर की मदद से लिखी 'पंचतंत्र'

गहन अध्ययन के बाद पीयूष ने कार्बन पेपर की सहायता से आचार्य विष्णुशर्मा द्वारा लिखी 'पंचतंत्र' के सभी ( पाँच तंत्र, 41 कथा ) को लिखा है। पीयूष ने कार्बन पेपर को (जिस पर लिखना है) के नीचे उल्टा करके लिखा जिससे पेपर के दूसरी और शब्द सीधे दिखाई देंगे यानी पेज के एक तरफ शब्द मिरर इमेज में और दूसरी तरफ सीधे।

लिखते ही जा रहे है3003से

 पीयूष गोयल  का जन्म 10 फ़रवरी 1967 को माता रविकांता एवं डॉ. दवेंद्र कुमार गोयल के घर हुआ था।
पीयूष
2003 से कुछ न कुछ लिखते आ रहे हैं 

श्री मदभगवदगीता (हिन्दी  अंग्रेज़ी), श्री दुर्गा सप्त सत्ती (संस्कृत), श्रीसांई सतचरित्र (हिन्दी व अंग्रेज़ी), श्री सुंदरकांड, चालीसा संग्रह, सुईं से मधुशालामेहंदी से गीतांजलि (रबींद्रनाथ टैगोर कृत), कील से "पीयूष वाणी" एवं कार्बन पेपर से "पंचतंत्र" (विष्णु शर्मा कृत) उनकी लिपि लेखन मे विशिष्‍टता के परिचायक हैं।