मोदी के
'स्वच्छ भारत अभियान' की प्रशंसक अर्पणा पर भाजपा खेलना चाहती थी दांव
लखनऊ: समाजवादी पार्टी के टिकट बंटवारे में जहां भी संभव होगा पार्टी के मुखिया के परिवारीजनों
लखनऊ: समाजवादी पार्टी के टिकट बंटवारे में जहां भी संभव होगा पार्टी के मुखिया के परिवारीजनों
को ही टिकट मिलेगा,कम से कम अब तक टिकट बंटवारे के शुरू हुए क्रम से तो इसी बात का संकेत है।
पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के दूसरे बेटे प्रतीक यादव
की पत्नी अपर्णा बिष्ट यादव को लखनऊ कैंट से पार्टी का प्रत्याशी घोषित कर दिया गया
है। श्रीमती अर्पणा यादव को टिकट का मिलना पार्टीजनों द्वारा आश्चर्यजनक माना जा रहा
है,खासकर उनके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छता अभियान
के समर्थन में सार्वजनिक तौर पर दिये गये बयान के परिप्रेक्ष्य में ।
जबकि राजनीति में सक्रिय...जनों की जानकारी के अनुसार श्रीमती यादव को टिकट महज इस लिये दिया गया है जिससे कि सूबे की नम्बर वन पॉलिटिकल फैमली के घर की चौखट पर जा पहुंची विद्रोह के हालातों को टाल दिया जा सके।भारतीय जनता पार्टी की अपनी चुनावी रणनीति के पैतरों में उन्हें अपना मंच उपलब्ध करवाने को तैयार माना जा रहा था। वैसे इस सीट से वर्तमान में कांग्रेस की श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी विधायक हैं। किन्तु उनकी पकड में इस समयतक काफी कमजोरी आ चुकी है, उत्तराखंड में पार्टी की सरकार गिरवाने में बहुगुणा परिवर की रही भूमिका के उजागर होने के बाद उ प्र कांगेस में उनके विरुद्ध भी आवाज बुलंद होना शुरू हो चुकी है।सपा इस सीट से चुनाव तो जरूर लडती रही है किन्तु जीत अब तक नहीं सकी है। सपा आजतक इस सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई है। बता दें, अपर्णा मुलायम परिवार की ऐसी पहली सदस्य हैं जो परिवार के गढ़ से बाहर निकलकर चुनाव लड़ेंगी।
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता विजय
बहादुर पाठक ने कहा है कि अगर अब सोचने की बात यह है कि अब तक श्री प्रतीक यादव का
पॉलिटकल कैरियर क्यों नहीं सैट किया गया।जबकि कांग्रेस की श्रीमती रीता बहुगुण ने
कहा कि सपा के द्वारा किसी भी प्रत्याशी को चुनाव में खडा किया जाना खास अहमियत नहीं
रखता,बशर्त चुनाव पूरी निश्पक्षता से संपन्न हों।
2012 के विधानसभा चुनाव में सपा
कैंडिडेट सुरेश चौहान ने 13 फीसदी वोट के साथ चौथे नंबर पर
थे। इस सीट पर कांग्रेस को 30.76प्रतिशत,
बीजेपी को 26प्रतिशत, बीएसपी
को 18प्रतिशत वोट मिले थे। इस सीट पर अब तक कांग्रेस 7
बार और बीजेपी 5 बार जीती है। वर्तमान में मुस्लामों खासकर शिया मुसलमानों के बसपा की ओर बढे रुझान से बसपा
भी यहां बोट का अनुमानित गणित गडबडाने की स्थिति में पहुंची हुई है।