पैंसठ से अधिक मरने वालों में ज्यादातर महिलाये
(लाहौर के गुलशन ए कइकबाल पार्क में ईस्टर पर हुए धमाके में 65सेअधिक मरे।) |
लाहौर: आतंकाद के खिलाफ मुखर न हो सकने वाले पाकिस्तान को अब खुद मजहबी
उन्माद की बुनियाद पर शुरू हुए खूनी खेल से दो चार होना पड रहा है। रविवार को लाहौर
के एक भीड़-भाड़ वाले पब्लिक पार्क में हुए आत्मघाती धमाके में साठ से ज्यादा लोगों
की मौत हो गई और साढे तीन सौ से ज्यादा घायल हो गए हैं।एक स्थानीय वरिष्ठ पुलिस
अधिकारी के अनुसार यह धमाका 'गुलशन-ए-इक़बाल पार्क' में हुआ। यह एक आत्मघाती धमाका है, हालांकि जांच..
के बाद ही वस्तुस्थिति स्पष्ट हो सकेगी।मरने वालों और घायलों में से ज्यादातर ईसाई समुदाय के हैं जो कि ईस्टर के अवसर पर पार्क में पहुंचे हुए थे। हालांकि आधिकारिक तौर पर इस हिंसक घटना को ईस्टर या ईसाईयों से जोडकर देखे जाने पर खामोशी ही बरती हुई है।
के बाद ही वस्तुस्थिति स्पष्ट हो सकेगी।मरने वालों और घायलों में से ज्यादातर ईसाई समुदाय के हैं जो कि ईस्टर के अवसर पर पार्क में पहुंचे हुए थे। हालांकि आधिकारिक तौर पर इस हिंसक घटना को ईस्टर या ईसाईयों से जोडकर देखे जाने पर खामोशी ही बरती हुई है।
वैसे धमाके के वक़्त पार्क में काफ़ी तादाद में ईसाई समुदाय के लोग
मौजूद थे जो ईस्टर के लिए वहां जमा हुए थे। धमाके के वक़्त कई लोग पार्क से बाहर
निकल रहे थे। उधर इस्लामाबाद में भी सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। वहां के रेड ज़ोन
यानी डिप्लोमैटिक इलाके की सुरक्षा के लिए सेना को लगा दिया गया है।
विस्फोट
शहर के केंद्र के निकट एक पॉश इलाके में गुलशन-ए-इकबाल पार्क में हुआ।
प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि पार्क में खून और अंगों के हिस्से बिखरे पड़े थे।
वहां पर रविवार शाम महिला और बच्चों समेत बड़ी संख्या में पारिवारिक लोग मौजूद थे।
पाकिस्तान
के समाचार पत्र डान की रिपोर्ट के अनुसार ईस्टर की वजह से काफी भीड़ थी। इकबाल
टाउन के पुलिस अधीक्षक मोहम्मद इकबाल ने कहा कि यह एक आत्मघाती हमला था। रिपोर्ट
में कहा गया है कि पार्क के आस-पास कोई सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं था। बचाव अधिकारी
और पुलिस लाहौर के जाने-माने आवासीय क्षेत्र में स्थित विस्फोट स्थल पर पहुंचे।