पुलिस सलैक्शन परीक्षा में शतप्रतिशत अंक पाने के बावजूद नही की गयी थी चयनित
सुसाइड नोट ने आरक्षण व्यवस्था पर खडे किये सवाल
सरिता व्दिवेदी |
लखनऊ: काकोरी की जिस जमीन पर कभी देश को अंग्रेजो के जुल्म से मुक्त करवाने को छिडे आंदोलन को मजबूती देने के लिये क्रांतिकारियों ने उस घटना को अंजाम दिया था जिससे ब्रटिश सम्राज्य हिल गया था ,वहीं अब एक और घटना गुरुवार को घटी जिसने देश की देश की राजनैतिक आर प्रशासनिक व्यवस्था पर करारी और सीधी चोट की है।
काकोरी के मलहा गांव की 21 वर्षीय सरिता व्दिवेदी
गुरुवार को फासी...
लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली,किन्तु जाने से पहले वह अपने पिता के नाम पांच पन्ने का जो सुसायट नोट लिख कर गयी है,वह उनसभी...
को झखझोर
देने वाला है जो कि सामाजिक न्याय के नाम पर उस व्यवस्था को जनता के ऊपर थोपे
हुए हैं,जो नैसर्गिक न्याय सिद्धान्त को बहुमत की सरकारों के बनाये हुए
कानूनों के माध्यम से खारिज करती हैं।लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली,किन्तु जाने से पहले वह अपने पिता के नाम पांच पन्ने का जो सुसायट नोट लिख कर गयी है,वह उनसभी...
किसान गिरीश द्विवेदी की बेटी सरिता चौक स्थित खुनखुनजी
गर्ल्स डिग्री कॉलेज में बीए फाइनल ईयर की छात्रा थी। वह वर्ष 2014 के पुलिस भर्ती परीक्षा में शामिल हुई थी। फिजिकल परीक्षा
में उसे शतप्रतिशत नम्बर मिले थे। जनरल कैटेगरी में हाई रैंक होने
के बावजूद आरक्षण कोटे की वजह से वह सिपाही नहीं बन सकी। योग्यता को अनदेखा किया
जाना शुरू में उसे सहानुभूति देने वालों से ढंढस बंधाता रहा किन्तु जब उसे
सरकारों की लाचारी तथा न्याय की किसी भी स्तर से उम्मीद नहीं रही तो वह फ्रस्टेटड
हो गयी और आत्म हत्या जैसे अतिवादी कदम को उठा डाला।
वह अपने सुसाइड नोट में लिख गयी है कि मम्मी उनसे (सरकार से) इतना जरूर
पूछना कि जब मेरी मेरिट रिलीज हुई थी तब जनरल लड़कियों की अलग से कोई मेरिट नहीं
बनी थी। लेकिन चार दिन बाद कैसे (उसकी रैंकिंग) 188 से 288 हो गई।उसने अपने पिता को लिखा है
कि ‘पापा मैंने हार नहीं मानी। हमें सामान्य जाति का होने का अभिशाप था। कहीं
लंबाई, कहीं पढ़ाई, कहीं आरक्षण, क्या करें जीकर।
क्योंकि इससे ज्यादा पढ़ाई या प्रोफेशनल कोर्स हम लोगों की क्षमता से बाहर है।‘
बोट बैंक की
राजनीति करने के चक्कर में जहां किसानो की सामान्य मौत तक के मामले में उसके
परिवार से सहानुभूति जताने नेताओं की भी जुटजाया करती है,वहीं किसान की इस बेटी
की मौत की खबर सुर्खियों में आ जाने के बावजूद बडे दिग्गज नेता खुलकर बोलने को
तैयार नहीं हैं।
हां पुलिस ने
जरूर अपनी औपचारिक्ता पूरीकर मोहनलालगंज
के सीओ राकेश नायक ने जरूर कहा है कि सरिता के सिपाही भर्ती परीक्षा में अच्छे
नंबर आए थे। उसका सलेक्शन क्यों नहीं हुआ, इसकी जांच होगी। सुसाइड नोट से साफ
है कि सलेक्शन न होने से वह मानसिक रूप से परेशान थी। पूरे मामले की छानबीन की जा
रही है।