आगरा। 1857 के विद्रोह के दौरान कुछ बंगाली लोगों ने आगरा और मथुरा के नज़दीक इलाकों में माइग्रेट किया तथा वहाँ अपनी पहचान बनाई। उनमें से कई बागची भी थे। बागची एक बंगाली उपनाम है जो मुख्य रूप से भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की बंगाली ब्राह्मण जाति में पाया जाता है। यह उपनाम बंगाल के बरेंद्र क्षेत्र से उत्पन्न हुआ है।"आगरा कई जाने माने बंगाली परिवारों का घर रहा है, जिनमें बागची भी शामिल हैं। इस परिवार का वंश रामेश्वर बागची (1789-1863) से जुड़ा है। वे रामभद्र बागची के वंशज थे, जो लगभग 1650 ई. में नादिया जिले के जमशेरपुर में बस गए थे। बाद में इस क्षेत्र को बागची-जमशेरपुर के नाम से जाना जाने लगा।
बंगाली परिवार के सबसे पहले आगरा आने वालों में से डॉ. आर.पी. बागची थे जो मशहूर चिकित्सक थे, जिन्होंने 1885 में कलकत्ता विश्वविद्यालय की एम.बी. (अब एम.बी.बी.एस.) परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। वे 1888 में विश्वविद्यालय की एम.डी. परीक्षा में सफल होने वाले एकमात्र उम्मीदवार थे और इस महत्वपूर्ण डिग्री को प्राप्त करने वाले विश्वविद्यालय के इतिहास में तीसरे छात्र थे।
बंगली परिवारों के अधिकांश लड़कों ने ज़्यादातर प्रशासक, शिक्षाविद और व्यावसायिक छेत्रों में सफल रहे। जबकि लड़कियाँ संगीत और अन्य ललित कलाओं में उत्कृष्ट रहीं । अपर्णा चक्रवर्ती और उनकी बहन सुनीता चटर्जी शास्त्रीय संगीत के आगरा घराने की प्रसिद्ध गायिका थीं। बसंती सान्याल अंग्रेजी और बंगाली में लघु कथाओं की जनि मानी लेखिकाथीं। अलका चक्रवर्ती एक प्रतिष्ठित पश्चिमी शास्त्रीय गायिका (सोप्रानो) रहीं