--राष्ट्रीय युवा संसद में सांसद मनोज तिवारी, मीनाक्षी लेखी सहित कईदिग्गज बने
युवा ससद को संबोधित करते हुए सांसद मनोज तिवारी ,मंचस्थों में है,पूर्व केन्द्री मंत्री मीलाक्षी लेखी। |
आयोजन में सहभागिता करते हुए बनस्थली विद्यापीठ के विधि संकाय की और से सहभागिता करते हुए युवा सांसद
सुश्री लवली उपाध्याय ने कहा है कि व्यापक परिवेश में संविधान सभा के द्वारा ‘भारतीय संविधान’ तैयार किया गया था,लेकिन इमरजेंसी लगाकर इसके मौलिक स्वरूप प्रभावित करना एक दुर्भाग्य पूर्ण
प्रयास था।--पंथ निरपेक्षता
सुश्री उपाध्याय जो कि नई दिल्ली के हंसराज कॉलेज और भारत मंडपम में आयोजित बहुसत्रिय ‘युवा संसद’ कार्यक्रम के दूसरे सत्र को संबोधित कर रही थीं ने कहा हमारा देश धर्मनिरपेक्ष नहीं, बल्कि पंथ निर्पेक्ष है।उन्होंने कहा कि देश के पंथ निरपेक्ष होने का तातपर्य है कि भारत सरकार धर्म के मामले में तटस्थ रहेगी। उसका अपना कोई धार्मिक पंथ नही होगा तथा देश में सभी नागरिकों को अपनी इच्छा के अनुसार धार्मिक उपासना का अधिकार होगा।
उन्होंने कहा जबकि धर्मनिरपेक्षता सिद्धांत से ‘तुष्टी करण ‘ को बढावा मिला है,जिससे देश की सामाजिक संरचना पर प्रतिकूल प्रभाव पडा । उन्होने कहा कि पंथ निरपेक्षता नीति ही व्यवहारिक है।इसके तहत सरकार को न तो किसी धार्मिक पंथ का पक्ष लेना होता है और न ही किसी धार्मिक पंथ का विरोध करना होता है। मूल रूप से आगरा निवासी सुश्री उपाध्याय ने विपक्ष की संसद में रहने वाली भूमिका की आलोचना करते हुए कहा कि विरोधी दलों को संसदीय कामकाज में अपनी भूमिका की समीक्षा करनी चाहिये और बदलाव लाने के बारे में सोचना होगा।
--दिग्गजों की सहभागिता
23से 25अगस्त के बीच चले इस बहु सत्रिय आयोजन का उद्घाटन सत्र भारत मंडपम में संपन्न हुआ ,जबकि अन्य सत्र हंसराज कॉलेज में ।देश के दिग्गज राजनेताओं में से सांसद मनोज तिवारी,पूर्व केन्द्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी, प्रदीप भंडारी, गुरु विलास पासवान, जैसे राजनीतिज्ञो के साथ ही सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल देवेन्द्र पॉल वत्स, आरटीआई एक्टिविस्ट श्रद्धा नन्दपति आदि की कार्यक्रम में सहभागिता रही।
--संविधान में सुधार
युवा संसद में सहभागी युवाओं ने आपतकाल के दौरान संविधान के 42वें संशोधन सहित संविधान के विभिन्न अनुक्षेदों की समीक्षा की।साथ ही संविधान में कई सुधारों का सुझाव भी दिये।