16 अक्टूबर 2022

मेरा टेसू यहीं अड़ा खाने को माँगे दही बड़ा, सुनाई देता था आगरा की गलियों में

 


आगरा में एक समय  टेसू झांझी की परंपरा गली गली में दिखाई देती थी। एक समय था जब शरद ऋतु के आगमन के दौरान आगरा के  गली मोहल्लों में लड़के लड़कियां  घर-घर जाते थे  थे और गाना गाकर चंदा मांगते थे, किन्तु यह प्रथा अब समाप्त सी  हो गई है ।

टेसू और झांझी के विवाह की बृजभूमि  की लोक परंपरा के बारे में आपने अवश्य सुना होगा।  यह  लोकरंजक और अद्भुद परंपरा बृजभूमि को अलग पहचान दिलाती है। समय के साथ बदलाव आया, अब यह  पुरानी परंपरा करीब करीब समाप्त सी हो गई है । किन्तु अभी भी औरैया के दिबियापुर  कसबे में  घर-घर में टेसू झांझी के विवाह की मनाई जाने वाली परंपरा जारी है। बताते हैं दिबियापुर में  यहां टेसू झांझी के विवाह में सारी रस्में अब भी निभाई जाती हैं। यहाँ के लोग एक साथ  मिलकर टेसू और झांझी तैयार करते हैं।

बाकायदा शादी का कार्ड भी छपवाया जाता है। टेसू की बारात भी बाज़ों के साथ कसबे  में घूमती है। बाराती संगीत के साथ नाचते हुए झांझी के घर पहुंचते हैं। विवाह की साड़ी रस्में निभाई जाती हैं ,टेसू  का द्वारचार से स्वागत ,झांझी की पैर पुजाई, कन्यादान आदि आदि । बारातियों को जमकर प्रीतिभोज भी दिया जाता है। पहले गांव में छोटे छोटे बच्चे - बच्चियां टेसू-झांझी लेकर घर-घर से निकलते थे और गाना गाकर चंदा मांगते थे, किन्तु यह प्रथा अब बहुत कम सी हो गई है । कमल की बात है यहाँ एक  टेसू झांझी समिति भी है । यह समिति हर वर्ष दो परिवार टेसू तथा झांझी परिवार चुनती है। कुछ इलाकों में शरद पूर्णिमा के दिन बृहद स्तर पर आयोजन पहले की तरह अब भी जारी हैं  । गांव-कस्बा, हर जगह आयोजन होता है। बारात के दौरान रथ,कारों तथा ट्रैक्टरों का भी इस्तेमाल किया जाता है  है। यहाँ के लोगों का यह भी मानना है  कि यदि  किसी लड़के की शादी में अड़चन आ रही है तो तीन साल झांझी का विवाह कराए, लड़की की शादी में दिक्कत आ रही है तो टेसू का विवाह कराये ।