-- 'मानस' के समग्र चिंतन की डोर पकड कर आज भी लक्ष्य प्राप्ति संभव
नागरी प्रचारिणी में संपन्न तुलसी दास जयंती,प्रो प्रदीप श्रीधर, अशोक अश्रु, सोम ठाकुर, प्रो राम वीर आदि व्यक्त किये विचार। |
आगरा: नागरी प्रचारिणी सभा,आगरा द्वारा आयोजित “तुलसी जयन्ती समारोह”के मुख्य अतिथि और के.एम.आइ.हिन्दी विद्यापीठ के निदेशक प्रो.प्रदीप श्रीधर ने कहा कि “तुलसी जिन परिस्थितियों की वह उपज थे वे आज से कहीं अधिक भयावह थीं।एक ऐसे समाज में जहां किसान को खेती नहीं,वणिक को बनिज नहीं और भिखारी को भीख तक नहीं थी ।”
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता और केंद्रीय हिन्दी संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो.रामवीर सिंह ने कहा कि”संत तुलसीदास का साहित्य,विचार और चिन्तन भारत के संकटकाल में उत्पन्न एक समग्र चिन्तन
है जिसकी डोर पकड़कर हम बहुत कुछ बच पाये,आज भी बच पायेंगे।”अतिथियों का स्वागत करते हुए समारोह के संयोजक डा.खुशीराम शर्मा ने कहा कि”तुलसी महान रामभक्त थे,बड़े साधक थे,बड़े दार्शनिक थे,बड़े समाजसेवक थे,तुलसी महाकवि थे और तुलसी से बड़ी थी उनकी कविता।” कार्यक्रम का संचालन करते हुए सभा के मंत्री डा.चन्द्रशेखर शर्मा ने कहा कि”रामचरितमानस केवल मात्र रामभक्तों का प्रेरणा स्त्रोत या शान्ति स्थली नहीं है, यह ग्रंथ सम्पूर्ण सामाजिक सम्बन्धों,राजधर्म,परिवार के प्रत्येक सदस्य का संतुलित आचरण,सभी का एक आदर्श ग्रंथ है।”
सभा की उपसभापति प्रो.कमलेश नागर ने कहा कि”तुलसी ने मानस में अद्भुत तर्कों से राम-नाम को राम से बड़ा सिद्ध कर दिखाया है,बहुत कुछ उन्हीं तर्कों से तुलसी की कविता तुलसी से बड़ी हो गयी है।” सभापति और कार्यक्रम की अध्यक्ष रानी सरोज गौरिहार ने कहा कि”वर्तमान शिक्षा नौकरी केंद्रित हो रही है।तुलसी इसे देखते हैं और रोक नहीं पाते -
“मात पिता बालकन बोलावहिं।
उदर भरई सोइ पाठ पढ़ावहिं॥”
ब्रजबिहारी लाल वर्मा बिरज़ू ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की वरिष्ठ साहित्यकार सोमठाकुर,श्री रमेश पंडित,रामअवतार शर्मा,शरद गुप्त,संजय गुप्त ने कविता पाठ किया। आगरा कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डा.विनोद कुमार माहेश्वरी,अशोक अश्रु,डा.अखिलेश श्रोत्रिय,मनीष राजीव सक्सेना ,महेश धाकड,आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
अंत में धन्यवाद ज्ञापन सभा के उपसभापति दाँ.गिरीश चंद्र शर्मा ने किया।