--मुंशी प्रेमचन्द ने सामाजिक स्थितियों के प्रति परंपरागत जड चिंतन को दी नयी दिशा
नागरी प्रचारिणी सभा में आयोजित प्रेमचन्द जयंती कार्यक्रम को सभा कीअध्यक्ष रानी सरोज गौरिहार संबोधित करते हुए,मुख्यातिथि थे प्रो.रामवीर सिंह। |
आगरा:केन्दीय हिन्दी संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो.रामवीर सिंह ने कहा कि मुंशी प्रेमचन्द उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध की उन चुनींदा हस्तियों में थे, जिन्होंने तत्कालीन सामाजिक स्थितियों के प्रति परंपरागत जड चिंतन नयी दिशा दी, वह नागरी प्रचारिणी सभा के लाइब्रेरी कक्ष में आयोजित मुंशी प्रेम चन्द जायंती कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
प्रो. सिंह ने कहा कि उनका महत्व उपन्यासों को तिलिस्मी और ऐय्यारी के वातावरण से निकाल कर उसे सामाजिक मोड़ देने तक ही सीमित नहीं है वरन एक सशक्त गद्य शैली के निर्माण
में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।मुख्य वक्ता श्री अनिल शुक्ला,रंगलीला ने कहा कि”हिन्दी कथाकारों में प्रेमचंद सबकी दृष्टि को अनायास ही अपनी ओर आकर्षित कर लेने वाले प्रकाश-स्तम्भ के रूप में हमारे सामने आते हैं।श्री शुक्ला ने कहा कि मौजूदा दौर साहित्यकारों,कलाकारों और समाज के प्रति चिंतनशील रहने वालों के लिये अत्यंत चुनौतीपूर्ण है।उन्हों ने रचनाधर्मियों के लिये अभिव्यक्ति संवैधानिक व्यवस्था को सशक्त बनाये जाने को मौजूदा दौर की सबसे अहम जरूरत बताया। उन्हों ने कहा कि मुंशी प्रेमचन्द की पहचान उनके उस साहित्य से ही है,जिसमें गांव, आम आदमी, कुप्रथाओं के खिलाफ अपन अंदाज में आवज उठायी थी।
समारोह के संयोजक डा.खुशीराम शर्मा ने कहा कि”यह हिन्दी का सौभाग्य है कि अपना साहित्यिक जीवन उर्दू से प्रारम्भ करने वाले मुंशी प्रेमचंद जैसे लोकप्रिय लेखक की गतिशील एवं प्रभावपूर्ण लेखनी का बल मिला।”
सभा की उपसभापति प्रो.कमलेश नागर ने कहा कि”हिन्दी के नए उपन्यासकारों से उनकी तुलना कीजिए:एक ओर विशाल जनसमुद्र है,दूसरी ओर व्यक्तियों के सरोवर मात्र।” सभा की सभापति रानी सरोज गौरिहार ने कहा कि”हिन्दी साहित्य में युग-प्रवर्तन करने देने वाला उपन्यास ‘सेवा सदन’है।”समारोह में प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी शतरंज के खिलाड़ी का कथावाचन मन्नु शर्मा ने किया।
समारोह के अध्यक्ष वरिष्ठ कवि सोमठाकुर ने कहा कि”हिन्दी भाषा के क्षेत्र में महान क्रान्ति उत्पन्न करने वाले प्रेमचंद हैं।”समारोह में डा अखिलेश श्रोत्रिय , डा विनोद माहेश्वरी,राजेंद्र मिलन,अशोक अश्रु,हरीश सक्सेना 'चिमटी' मनु पांड्या ,नन्दाजी, जय गुप्त,सुनयन शर्मा ,अनिल अरोणा 'संघर्ष' ,शरद गुप्त,आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।
सरस्वती वंदना डा.ब्रिज बिहारी बिरजु की कार्यक्रम का संचालन-मंत्री,डा.चन्द्रशेखर शर्मा तथा धन्यवाद-प्रो.कमलेश नागर द्वारा