-- आगरा के प्रबुद्धजनों की मौजूदगी में पुस्तक का हुआ विमोचन
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' सूरज क्यों न हुए हम 'पुस्तक विमोचन के अवसर पर प्रख्यात साहित्यकार लक्ष्मीनाराण गुप्त का किया गया अभिनन्दन ।फोटो:असलम सलीमी |
आगरा: श्री लक्ष्मी नारायण गुप्त मौलिक रचनाओं के साहित्यधर्मी हैं,अनेक विधाओं पर कलम चलाका उन्हे अवसर रहा है किन्तु उनकी रचनाओं में आम आदमी के संघर्ष की बात अपने अंदाज में हमेशा मुखर रही है ,यह कहना है लखनऊ के प्रख्यात पत्रकार एवं साहित्यकार श्री वीरेंद्र वत्स का । वह श्री गुप्त की नवीनतम काव्य कृति 'सूरज क्यों न हुए हम' के ग्रांड होटल में आयोजित विमोचन कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। श्री वीरेंद्र वत्स जो कि अब राष्ट्रवादी कवि के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं ने कहा कि ने कहा कि गुप्त जी की रचनाओं में न केवल सकारात्मकता है अपितु जमीन हकीकत से जुडा होने की विशिष्टता भी। प्रख्यात कवि श्री सोम ठाकुर ने कहा कि “सूरज क्यों ना हुए हम” एक गंभीर सोच से परिपूर्ण कृति है, साहित्य जगत में इसे निश्चित रूप से लक्ष्मी जी के महत्वपूर्ण योगदान के रूप में स्वीकारा जायेगा।
साहित्यिक अभिरुचि के धनी प्रख्यात होटल व्यवसायी श्री अरुण डंग ने पुस्तक की कई कविताओं
पर विचार
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पुस्तक विमोचन के अवसर पर श्री लक्ष्मीनारायण गुप्त अपने पुत्र मंडलायुक्त अमित गुप्ता, एडीए उपाध्यक्ष डॉक्टर राजेंद्र पेंसिया आदि सहित स्वजनों के साथ। |
व्यक्त करने के बाद शीर्षक 'सूरज क्यों न हुए हम'पर केन्द्रित अपने विचार व्यक्त करते हुए सूर्य और उससे ऊर्जा पाते रहने को प्रयासरत रहने वाले 'सूरज मुखी के फूल' की तुलना करते हुए कहा कि यह फूल दूसरे की ओर ताकते रहने के कारण ही शायद पूजा के उपयुक्त नहीं समझा जाता। हमारा बौद्ध दर्शन भी हमेशा ,'अपना प्रकाश स्वयं बनो' दृष्टिकोण पर आधारित है। स्वभाविक है कि उपनी ऊर्जा से स्वयं प्रकाशित 'सूरज'हम सबके लिये 'प्रेरक' है।उन्होंने कहा कि पुस्तक का शीर्षक ही लेखक की आदर्श जीवन मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त करता करने को अपने आप में पर्याप्त है। भोपाल से आई श्रीमती रश्मि गुप्ता व संगीता गुप्ता ने ‘प्रश्न पूछते थकते पाँव’ गीत सुनाया।
पुस्तक के लेखक श्री लक्ष्मी नारायण गुप्त ने पुस्तक की समालोचनाओं को स्वीकारते हुए कहा कि असली मूल्यंकन तो रचना की स्वीकारिता से ही होता है।उन्हों ने कहा कि पुस्तक को लेकर जो विचार व्यक्त किये गये वह सभी महत्वपूर्ण हैं ,लेकिन कुछ तो ऐसे है जिनको लेकर उन्होंने भी कल्पना नहीं की थी।
कार्यक्रम का प्रारंभ सरस्वती वंदना के साथ हुआ ,अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गायक सुधीर नारायण एवं उनके साथ कुमारी श्रेया ,आर्ची ,सोनम और देशदीप ने विमोचन की गयी पुस्तक की कविताओं पर आधारित कुछ गीतो की भी ससुर संगीतमयी प्रस्तुति की। तबले पर संगत की राज मैसी ने।
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प्रख्यात कवि सोम ठाकुर,राष्ट्रवादी कवि वीरेन्द्र वत्स,पुस्तक लेखक लक्ष्मीनारायण गुप्त और श्री अरुण डंग। फोटो:असलम सलीमी
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पूर्व में स्वागत उद्बोधन देते हुए आगरा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉक्टर राजेंद्र पेंसिया जी ने कहा की यह कृति अपने आप में अद्भुत गीतों का संकलन है जिसमें प्रेरणादायक गीत ही है।
कार्यक्रम में डॉक्टर राजेंद्र मिलन, नीरज जैन डॉक्टर अशोक अश्रु,डॉक्टर डी वी शर्मा डॉ विनोद महेश्वरी एवं डॉ खुशीराम शर्मा ,डाक्टर प्रीति गुप्ता, कर्नल शिव कुंजरु, ललिता कुंजरू डॉ संदीप अग्रवाल, रवीन्द्रवर्मा ,डॉ रमेश आनंद ,हरि नारायण चतुर्वेदी ,डॉ असीम आनंद ,अशोक चौबे, स्पर्श बंसल, खुशीराम शर्मा, सुधीर शर्मा, चंद्रशेखर शर्मा ,श्रीमती विजयलक्ष्मी शर्मा, हरीश अग्रवाल, डाक्टर अजय सेठी, अमीर अहमद, अजय शर्मा, डाक्टर डी वी शर्मा, दिनेश श्रीवास्तव आदि साहित्यकार एवं साहित्यिक अभिरुचि के प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
मंडलायुक्त श्री अमित गुप्ता ने कार्यक्रम में सहभागी रहे साहित्यकारों का आभार व्यक्त किया। आगरा कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डा विनोद कुमार महेश्वरी कार्यक्रम के समन्वयक थे,जबकि साहित्यकार श्री सुशील सरित ने संचालन किया।
भारत विकास परिषद एवं इंक्रेडिबल इंडिया फ़ाउंडेशन द्वारा लक्ष्मी नारायण गुप्त जी का अभिनंदन किया गया।