8 मार्च 2022

“शायर कहो नजीर कहो आगरे का है"

 -- राज्य स्तरीय सैमीनार में कई पेपर प्रस्तुत कर नजीर सर्जन को याद किया गया

जनकवि नजीर को याद किया उर्दू भाषा प्रोहत्‍साहन सर्जकों ने।
                                                        फोटो: असलम सलीमी

आगरा:'नजी़र अकबराबादी को याद करना वक्त की जरूरत है, क्योंकि वह न केवल सबको साथ लेकर चलेबल्कि दबे कुचले गरीबों का मनोवल बढाने में सहारा बने' यह कहना है   विभाग अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के चेयरमैन उर्दू प्रोफ़ेसर मोहम्मद चेयरमैन उर्दू विभाग का।  जो कि बैकुंठी देवी कन्या महाविद्यालय सभागार में उर्दू विभाग के द्वारा  नज़ीर अकबराबादी राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद भारत  सरकार (नेशनल काउंसिल फॉर प्रमोशन ऑफ उर्दू लैंग्वेज) के सहयोग से आयोजित एक दिवसीय राज्य स्तरीय सैमीनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आयोजन का आगरा, में वह भी इस तारीखी कॉलेज में होना अत्यंत अहम है। क्योंकि वह ताजिंदगी आगरा की तारीफ करते रहे।अब भी जब हम जब उनपर चर्चा करते हैं,अनायास ही ताज हो जाता है 

' क्यों करना अपने शहर की खूबी करूं बयांँ ,

देखी हैं आगरे में बहुत हमने खूबियांँ।

रखियो इलाही इसको तू आबाद व जावेदा' 

सैमीनार के प्रारंभ में मुख्य वक्ता  (Keynote speaker) के रूप में बोलते हुए एएमयू के उर्दू विभाग के प्रोफेसर राशिद अनवर  ने कहा कि नज़ीर की शायरी एहसासात वा जज़्बात की तरजुमान  है। वह अवामी शायर होने के साथ तरक्की पसंद शायर हैं ।

बैकुंठी देवी कन्या महाविद्यालय सभागार में नजीर को याद किया गया उन्‍हीं की
 नज्‍मों में निहित यथार्त पर हुई चर्चाओं में । फोटो:असलम सलीमी

 
उर्दू विभाग की  अध्यक्षा डाॅ. नसरीन बेगम ने नजी़र अकबराबादी और आगरा के बारे में विस्तार से बताया कि नज़ीर आगरा के पुराने मोहल्ले मल्को गली में रहते थे, जहांँ पर बड़ा मैदान था और वहाँ नीम और बेर का पेड़ था। आगरा नज़ीर को इतना पसंद था कि उन्हें लखनऊ और भरतपुर के नवाबों ने अपने दरबार में बुलाया मगर उन्होंने साफ इनकार कर दिया और आगरा ना छोड़ा । उन्होंने हमेशा मोहब्बत का पैगाम दीया और होली ,दिवाली ,ईद ,बंजारनामा,नज़्म 'रोटीनामा' को  लिख डाला विशिष्ट अतिथि डॉ विक्रम सिंह पूर्व डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि नजी़र ने दो लाख नज़्में लिखीं । नजी़र पर हमारे देश और शहर को फक्र है। अपने कहा कि वह अपने पिता से बहुत बार सुनते रहे थे,लेकिन आज पता लगा कि  ' सब ठाठ पड़ा रह जाएगा जब लाद चलेगा बंजारा ' उनकी ही  नज़्म थी। भौतिकता वाले दौर में उनकी नज्में और भी ज्यादा प्रासंगिक हो गयी हैं। 

प्रोफेसर मोहम्मद अरशद डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर अध्यक्ष समाजशास्त्र व एसोसिएट डीन रिसर्च डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा ने कहा कि आज गरीबी इसलिए है कि आज कुछ लोग इतने अमीर हो गए हैं कि सब गरीब हो गए । इसी  की गरीबी पर बात करते हुए नज़ीर ने रोटी की अहमियत पर बात की और नज़्म 'रोटीनामा' को  लिख डाला ।

 बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग की  प्रोफेसर नफीस बानो ने "नजी़र की शायरी कायनात में ग़ज़ल की जलवा गरी" के उन्वान से अपना पेपर प्रस्तुत करते हुए कहा कि नज़ीर गज़ल शाहराहों से मस्त व बेखुद गुज़रे हैं । अपनी गज़लों में जिंदगी के दुखों को रोना नहीं रोते बल्कि जिंदगी को खुश हो कर गुजार देने की बात करते हैं :- 

'देख ले इस दहर को जी भर के नज़ीर ,

फिर तेरा काहे का इस बाग में आना होगा ।'

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय उर्दू विभाग के प्रोफेसर रफत जमाल  ने अपने शोध पत्र मजहबी रवादारी और नजी़र की नज़्म निगारी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे सभी धर्मों को एक ही समझते थे। उन्होंने आवाम के दिल की बात कही जो लोगों तक पहुंचती है। सैयद अजमल अली शाह ने कहा कि नजी़र को याद करना आज बहुत जरूरी है। उन्होंने मोहब्बत का पैगाम दिया और हमेशा वह आगरा वालों के बीच ही रहे।

सेमिनार के दूसरे सेशन की अध्यक्षता प्रोफेसर नफीस बानो और प्रोफेसर रफत जमाल बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने किया । इसमें डॉक्टर फराह तबस्सुम, डॉक्टर ज़ेबा फारुकी, अरशद, प्रोफेसर ज्योत्सना रघुवंशी , डॉ विजय शर्मा, सय्यद फैज़ अली शाह, सादिया सलीम, आयशा शम्सी, आफरीन ,परवीन ने भी अपने शोध पत्रों को पढ़ा।

महाविद्यालय प्रबंध तंत्र के अध्यक्ष अवधेश कुमार गुप्ता  ने कहा कि मैं उर्दू विभाग को बधाई देता हूं कि विशेष रूप से डॉक्टर नसरीन बेगम को उन्होंने इतना अच्छा सेमिनार किया।

महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ पूनम सिंह ने कहा कि मैंने नजी़र को पढ़ा तो यह पाया कि उन्होंने इतनी छोटी छोटी चीजों पर नज़्म लिखीं उनकी नज़्म रीछ का बच्चा मुझे बहुत पसंद है । नजी़र वास्तव में बेनजी़र थे।महाविद्यालय की बीएड की छात्राओं नेहा , रिचा शर्मा ,अनुष्का नैथानी ,रश्मि और वैशाली दुबे ने नज़ीर की नज़्म होली प्रस्तुत की। प्रोफेसर जितेंद्र रघुवंशी जी को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी गई । वह नजी़र प्रेमी थे। इस अवसर पर उनकी पत्नी डॉ भावना रघुवंशी जी भी मौजूद रहीं। 

इस अवसर पर आगरा की ओर से एक प्रदर्शनी भी लगाई गई इसमें ताहिर अहमद, अन्तरा मुखर्जी , मुदित शर्मा, वासिफ शेख और सैयद फैज़ अली शाह का सहयोग रहा। इनके अतिरिक्त फादर मून लारजस, डॉ शशिकांत शर्मा, डॉक्टर भूपेंद्र चिकारा महामंत्री आॅटा ,डॉक्टर शिव कुमार, डॉ लता चंदोला, डॉ अनुराधा गर्ग ,डॉ शशि वाष्र्णेय, डॉ गुंजन चतुर्वेदी, डॉक्टर पूनम शर्मा ,डॉक्टर बिंदु अवस्थी ,डॉक्टर साधना सिंह ,डॉ रेखा सिंह कॉलेज की पूर्व प्राचार्य डॉ अलका अग्रवाल, डॉ नमिता राय भी मौजूद रहीं। डॉक्टर रचना सिंह ,समी आगाई असलम सलीमी भी मौजूद रहे।

नज़ीर की नज़्म बंजारनामा कुशल चोपड़ा और आकाश मिश्रा ने अपनी खूबसूरत आवाज में पेश कि।

डॉक्टर नसरीन बेगम ने नजी़र अकबराबादी और बज़्मे नजी़र के 92 साला सफर का ज़िक्र करते हुए नजी़र पर बात की । इस अवसर पर डाॅ नसरीन बेगम की पुस्तक "जोश मलिहावादी की नर्स का तनकीदी जा़यजा " का विमोचन किया गया ।

धन्यवाद आंतरिक गुणवत्ता मूल्यांकन प्रकोष्ठ की समन्वयक डॉ अमिता निगम ने नजी़र जैसे बेनजी़र शायर आगरा के प्रत्येक व्यक्ति के लिए गर्व का विषय है। आप जैसे महान विभूतियों के विषय में सेमिनार का आयोजन अपनी सहित्यिक विरासत को सहेजने और जनमानस का ध्यान इस अमूल्य धरोहर के प्रति आकर्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है । उनकी नज़्में सच्चे अर्थों में धर्मनिरपेक्षता की मिसाल है और आम आदमी की जिंदगी से भी जुड़ी