-- बुबाई की तैयारी से फसल के विपणन में भी सहयोग देने तक को मौजूद
आगरा: भारत एक कृषि प्रधान देश है,लेकिन व्यापक संभावनाओं पर परंपरा और केवल कमाने की सोच उस पर हावी रहती आयी थी । फलस्व्रूप जनस्वास्थ्य,उत्पादों की गुणवत्ता और खेती की जमीन की उर्वता को बडे पैमाने पर नजर अंदाज किया जाता रहा था। लेकिन जनसंचार माध्यमों के तजी से हुए विस्तार से कमोवेश किसान भी प्रभावित हुए हैं।वे खेती के आर्थिक पक्ष के अलावा कृषि उत्पादों
की गुणवत्ता और उनके मानव स्वास्थ्य के परिप्रेक्ष्य में उपयोगिता के बारे में भी जागरूक हुए हैं। किसानों का एक बडा वर्ग अच्छी तरह से समझ चुका है, कि रसायनों और हानिकारक कीटनाशकों का उपयोग करके खेती लंबे समय में फायदेमंद नहीं रहने जा रही है क्योंकि रासायनिक खादों और कीटनाशकों का लगतार उपयोग करते रहने पर भूमि की उर्वता में न केवल कमी आ जाती है आपितु खेत की उत्पादकता कम हो जाती है। समग्र कृषि विकास के प्रयासों का विदेशों में प्रचलित प्रौद्योगिकियों के साथ तालमेल बैठाने के प्रयास खास सफल दहोते नहीं दिखे। उपरोक्त को दृष्टिगत , चुनौतियों का समाधान करने और कृषि और प्रौद्योगिकी में नवाचारों का लाभ उठाकर भारतीय कृषि को फिर से परिभाषित करने के लिए,एक नये प्रयोग के रूप में ' किपेकी' का गठन किया गया। कृषि और प्रौद्योगिकी में नवाचारों का लाभ उठाकर भारतीय कृषि को फिर से परिभाषित करने के लिए, ' किपेकी' ने अपने गुड एग्रीकल्चर प्रैक्टिस इनिशिएटिव के माध्यम से और प्रयास किया , शुरूआत में मुश्किलें अवश्य रहीं लेकिन शीघ्र ही किसानों को आक्रामक रसायनीकरण, कीटनाशक के दुष प्रभाव समझने में देर नहीं लगी।यही नहीं कृषि वे अपशिष्ट को उर्वरक में परिवर्तित करके मिट्टी की उर्वरता को फिर से बनाने के उपाय अपनाने को भी प्रेरित होने लगे।
विपणन की संभावनायें
अंर्राष्ट्रीय मांग को पूरा करने की संभावनाओं को अगर अनदेखा कर दिया जाये तो भी भारत के स्थानीय बाजारों में सुरक्षित और शुद्ध फल व सब्जियों की कमी है क्योंकि अधिकांश उपलब्ध खाद्य पदार्थ पैसे कमाने के लिए विभिन्न स्तरों पर रसायनों और हानिकारक कीटनाशकों का उपयोग करके उगाए जाते हैं। किपेकी' ने इस कमी को न केवल पहचाना है,अपितु इसका गहनता से अध्ययन भी किया है। अब इसी अध्ययन को आधार बनाकर तय किये गये लक्ष्य और प्रयास उन सभी कृषकों और बागवानी करने वालों के लिये समर्पित हैं जो कि अपने प्रयासों को लाभकरी बनाये जाने के साथ ही अपने बागवानी और कृषि उत्पादों को मानव स्वास्थ्य अनुकूल बनाये रखने को प्रतिबद्ध हैं। ' टेक एग्रीकल्चर ' प्लेटफॉर्म के लिए हमारा समानांतर दृष्टिकोण किसान को उपज बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी अपनाने, खेत की सटीक निगरानी, उर्वरक को नियंत्रित करने और प्रचलित प्रौद्योगिकी के साथ कृषि के नए तरीके को अपनाने का अवसर प्रदान करेगा। हमारा बाजार नेटवर्क किसान को परेशानी मुक्त बाजार प्रदान करेगा और ग्रामीण लघु उद्योग विकास पर बहुत जोर देगा।
किपेकी (Kipekee)
उ प्र शासन की कृषि नीति और स्टार्टअप को प्रोत्साहन दिये जाने के कार्यक्रम के तहत 'किपेकी' (Kipekee Agro Private Limited)शुरू किया गया । कृषि एवं बागवानी क्षेत्र के लिये महत्वकांक्षी लक्ष्यों को दृष्टिगत कृषि आपूर्ति , हाईटक कृषि ,फार्म टू मार्किट इंट्रीगेशन, आदि इसके द्वारा संचालित प्रक्रियाओं के परिप्रेक्ष्य में इसके महत्व को स्वीकार कर कृषि क्षेत्र में लम्बे समय से महसूस की जाती रही रिक्तता के पूरक रूप में स्वीकार किया गया।
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चंदन शर्मा एवं श्री सूरज बत्रा : किपेकी इत्मीनान का पर्याय। |
कृषि उत्पाद विपणन योजना कृषि कार्यों को उच्च तकनीकि के साथ संपन्न करवाने के अलावा किपेकी ने कृषि एवं बागवानी के विपणन के लिये बाजार तंत्र से संबधित योजना भी अपने लक्ष्यों में शामिल की हुई है।जिसमें कि किसान अपने उत्पादों को बेचने के लिये पंजीकृण करवा सकते हैं। इन किसानों का उत्पादन गुणवत्ता वाला बनाये जाने के लिये लिये किपेकी की प्रोडैक्शन टीम के द्वारा बुबाई से लेकर फसल उत्पाद तक सुपरवाइज कारने का सक्रिय रहती है। किसान को किसी भी काम के लिये कही बाहर नहीं जाना पडेगा। उत्पादित फसल की खरीद की व्यवस्था भी खेत पर ही संभ होगी। किसान का अपना उत्पाद उपयुक्त दाम के साथ मध्यस्थ के बिना ही बेचने का अवसर रहेता है।
किपेकी के उत्पाद
किपेकी के कार्यक्रम में तकनीकि सटीकता के साथ ही उसके ईको फे्रडली मिट्टी पोषक और पेडों की बढवार और उत्पादकता अधिकतम गुणवत्ता वाली बनाये रखने को उसके उसके उत्पादों का योगदान अत्यंत उपयोगी होता है । इनमें बायोनिपुना प्रोबायोटिक्स (BIONIPUNA), रूतूबा (RUTUBA) ,श्रटरु्टार प्रो (ROoT RAFTAAR PRO), बीयोनिरू (BIONIRU),ह्यूमोरूट (HUMOROOT), किपेकी बायो जिंक (KIPEKEE BIO ZINC) , सर्जिकल -20 (SURGICAL-20) , बायो मिटद्वटी (BIO MITTI ) आदि मुख्य हैं।
'टेक एग्रीकल्चर'
प्लेटफॉर्म उनके लिये भले ही शुरूआत में नया लगा हो लेकिन इस समानांतर दृष्टिकोण को किसान ने उपज बढ़ाने की प्रौद्योगिकी, खेत की सटीक निगरानी, उर्वरक को नियंत्रित करने और प्रचलित प्रौद्योगिकी के साथ कृषि के नए तरीके को अपनाने का अवसर प्रदान करने के माध्यम के रूप में अपनाना शुरू कर दिया ।' किपेकी' के संपर्क में आये किसानों ने स्वयं को बाजार नेटवर्क की परेशानी मुक्त बाजार प्रदान करने ,ताजा एवं मानव स्वास्थ्य के अनुकूलता वाली सब्जियों का मुख्य उत्पादक बनाने के साथ ही कृषि और बागवानी को टिकाऊ लाभकरी अवसर प्रदान करने वाले माध्यम के रूप में स्वीकार किया। वैसे हकीकत में भी ' किपेकी' का आधारभूत लक्ष्यों में भी मुख्य यही है।
अनुभ अपने अपने-
श्री चंदन शर्मा जो कि जैविक कृषक हैं तथा कीपेकी के उत्पदों के नियमित ग्राहक भी हैं ,का कहना है कि अब अधिक से अधिक लोग जैविक जीवन शैली की ओर रुख कर रहे हैं, और अपने स्वास्थ्य को बैहतर बनाये जाने के लिये कोशिश कर रहे हैं।इसे सकारात्मक माना जा सकता है, मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि कीपेकी एक सफल खेत है,जिसमें कि मैंने जैविक जैविक खेती का नया तरीका सीखा और सफल किसान भी बना।श्री चंदन शर्मा जो कि जैविक कृषक हैं तथा कीपेकी के उत्पदों के नियमित ग्राहक भी हैं , -- श्री सूरज बत्रा जो कि सामान्य किसानी से जुडे रहने के बाद जब किपेकी के माध्यम से जैविक खती से जुडे तो उन्होंने अपने में एक नया उत्साह जाग्रत होता लगा। बाजार की जरूरत वाला गुणवत्ता युक्त उत्पाद उनको किसानी के कैरियर की ओर पुन:नये जोश के साथ समर्पित करने वाला सावित हुआ ।
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संपर्क(Address) Eka Chauraya, Basundhara, Agra Road, Etah, UP
Mail info@kipekee.in