-- "तुम ना जाने किस जहाँ में खो गए"भावुक शहर वासियों ने किया याद
प्रख्यात कवि सोम ठाकुर,सुधीर नारायण,पूरन डावर एवं श्री अरूण डंग ने लाता जी के फोटो पर किया माल्यापर्ण। फोटो:असलम सलीमी |
अरुण जी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए जिक्र किया की पंख होते हुए होते तो उड़ जाती रे गीत से पहले बिल्कुल ऐसा महसूस होता है मानो कोई परिंदा पंख फड़फड़ा रहा हो संगीत में यह आभास पैदा कर पाना केवल लता जी के लिए ही संभव था। श्री सोम ठाकुर जी ने कहा लता जी ने उनके गीत छोड़ चली घर मेरा बाबुल को मेरे भैया फिल्म के लिए गाया यह उनके लिए सौभाग्य की बात है पूरन डावर जी ने कहा की
उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए शब्द निशब्द है ।ग्रांड होटल में 'संगीत धर्मियों ने स्वर साम्राज्ञी को दी अपने अपने अंदाज ' में दी श्रद्धांजलि । फोटो:असलम सलीमी |
इसके बाद उन्हें संगीत मयश्रद्धांजलि देने का सिलसिला शुरू हुआ 'तुम न जाने किस जहां में खो गए' गीत को मंजरी शुक्ला ने प्रस्तुत किया जबकि 'तेरा जाना दिल के अरमानों का मिट जाना' प्रस्तुत कर सुजाता शर्मा ने उन्हें श्रद्धांजलि दी ।श्रेया शर्मा ने उनके अमर गीत 'ए मेरे वतन के लोगों ' को प्रस्तुत किया । सोनम प्रजापति ने गाया ' तेरे बिना जिंदगी से शिकवा तो नहीं' और ओस सत्संगी के स्वर थे 'मेरी आवाज ही पहचान है गर याद रहे। 'शुभ्रा तलेगांवकर ने उनका एक मराठी गीत 'मोगरा फुले ' प्रस्तुत किया साथ ही गोपाल मिश्रा, गौरव गोस्वामी, रिंकू चौरसिया ,जसवंत सिंह, खेमचंद धाकड़ आदि ने भी उनके कुछ गीत प्रस्तुत किए ।
इस अवसर पर श्रीमती प्रतिभा तलेगांवकर ,गजेंद्र चौहान मुकेश शुक्ला श्रीमती विजयलक्ष्मी शर्मा प्रमिला शर्मा सुभाष सक्सेना आशुतोष शर्मा अजय प्रकाश चंद्र शेखर शर्मा रमेश आनंद विक्रम शुक्ला अरुण सक्सेना, महेश धाकड़, देश दीप शर्मा कुमारी पूजा तोमर श्वेता, असीम आनंद, असलम सलीमी आदि भी इस मौके पर उपस्थित थे ।संगत की राज मैसी,भीमसेन और पंकज रहे। संचालन सुशील सरित ने किया और धन्यवाद ज्ञापित किया सुधीर नारायन ने।