-अब इन्हें अगली वारिश तक बचाये रखकर ‘ रि प्लांट’ किया जायेगा
इन पेडों का भी आगरा की हरियाली मे योगदान देने के लिये पर्यावरण के जानकार , प्रख्यात एडवोकेट श्री के सी जैन ने कार्ययोजना शुरू की है. श्री जैन के मानसून समाप्त होने को है , अच्छी बारिश के उपरान्त चारों ओर हरियाली दिख रही है। नाली और नालों के किनारे भी पौधे आसानी से उग आये हैं जो गर्मियों में शायद ही बचेंगे और उनको बड़ा होने की जगह भी वहां नहीं है। इन पौधों में पाखड़, बरगद, पीपल और गूलर के पौधे बड़ी संख्या में दिख रहे हैं।
श्री जैन ने कहा है कि अगर ये पौधे बचाये जा सकें और इन्हें बड़ा
होने का मौका मिले तो वे पर्यावरण की बेहतरी में अपना योगदान दे सकते , हैं.श्री जैन ने इन्हें बचाने के अपनी पहल के तहत नाली में लगे पौधों को निकालकर थैलियों में उन्हें बड़ा करने का अभियान शुरू किया है. उनका प्रयास हे कि अगली बारिश में शायद लोग इन्हे अपना ले और अपनी जगह पार्कों और सड़कों के किनारे स्थान मिल जाये.उन्होंने कहा कि नाली और नालों के किनारे से पौधों को निकालने का विचार सबके मन में नहीं भाता है। कई को यह गन्दा लगता है लेकिन उन्हो ने और उनकी टीम ने यह पहल शुरू की है। अब तक 400 से अधिक पौधे वे नालियों से निकालकर थैलियों में लगा चुके हैं एवं 2000 पौधों को नालियों से निकालकर थैलियों में लगाने की योजना है।
अधिवक्ता जैन ने बताया गया कि नीम के पेड़ के
नीचे भी नीम के पौधे बारिश में निकल आते हैं। इसी तरह कृष्ण भगवान के प्रिय वृक्ष
देसी कदम्ब के पेड़ के नीचे भी कदम्ब के छोटे पौधे भी देखे जा सकते हैं। पालीवाल
पार्क में तो हजारों की संख्या में खजूर एवं पापड़ी के पौधे नजर आ रहे हैं। अड़ूसा के पौधे भी उसके बीज से आसानी से
अपने आप आस-पास खुद उग आते हैं।
जरूरत इसकी है कि हम पौधों को पहचाने, अपने घर
और अपने व्यवसायिक स्थल के आस-पास उगे पौधों को बचायें, थैलियों
में शिफ्ट कर उनकी परवरिश करें और अगली वर्षा ऋतु में उन्हें उपयुक्त स्थानों पर
रोंप दें। इस प्रकार बिना लागत के बड़ी संख्या में पौधारापेण के लिये पौधे तैयार हो
जायेगे। एक ओर जहां इन बेसहारा पौधों के उपर तो उपकार होगा ही, वहीं दूसरी ओर हमें लाखों की संख्या में अच्छे पौधे भी हर साल मिल सकते
हैं। हमें नर्सरीयों से पौधे लाने की जरूरत नहीं होगी। शहर का हर व्यक्ति कम से कम
10 ऐसे पौधों की परवरिश करे और अभियान का हिस्सा बने।
श्री
जैन के साथ इस अभियान में सर्वश्री
रामवीर यादव,
आशीष गुप्ता, उमाशंकर कुशवाहा, संजीव श्रीवास्तव और राजेश फौजदार आदि भी सहभागी हैं.