--इबादत और यादों के बीच कौरोना महामरी से मुक्ति की दुआखुद्दाम उर्स रोजा कमेटी की ओर से शाहजहां की मजार
पर चढायी गयी 1131 फीट की चादर।
चादर की रस्म में बडी संख्या में लोगों ने भाग लिया था।ताजगंज के मौहल्लों के अलावा उनसभी इलाकों के लोगों की मौजूदगी यहां हमेशा रहती आयी है,जो कि मुगल काल की बसावट वाले माने जाते हैं।
फोर कोर्ट में शहनाई वादक बैठाये गये थे व नक्कारा बजाया जा रहा था ।इस अवसर पर
तहखाने में बनी शाहजहां और मुमताज महल की कब्रों को खोल दिया गया था।।इस रस्म के साथ शाहजहां का उर्स जो बुद्धवार को शुरू हुआ था , समापन शुक्रवार को हो गया। मजार पर चादरपोशी के वक्त दुआयें मांगी गयीं कि जिस मुल्क में और दुनियां से कैरोना वायरस के संक्रमण खत्म हो।मुख्य मकबरे पर कव्वालियों का दौर चलता रहा । उर्स के अवसर में पुरातत्व विभाग की ओर से ताजमहल को तीन दिन तक फ्री रखा गया है।
माना जाता है कि ताजमहल बनने के बाद से हर साल शहंशाह शाहजहां के मुरीदों की ओर से उर्स मनाया जाता है। इस दौरान शाहजहां और मुमताज की असली कब्र तमाम कानूनी प्रतिबंधों के बाबजूद आम लोगों के लिए खोले जाने की परंपरा है। हर साल इस्लामिक कैलेंडर के रजब माह की 25, 26 व 27 तारीख को उर्स मनाया जाता है। इस बार दस मार्च दो बजे ग़ुस्ल की रस्म अदायगी के साथ उर्स की शुरुआत हुई।
इसके बाद गुरुवार 11मार्च को संगदल और अंतिम दिन शुक्रवार 12 मार्च को चादरपोशी की रस्म अदा की गयी।
खुद्दाम ए रोजा कमेटी
खास होता है ताजगंज वासियों के लियेशाहजहां का उर्स: जब श्वेत ताजमहल जब
साल में एक बार हो जाता है सतरंगा।
ताजमहल बनने के बाद शाहजहां के इंतकाल के बाद से हर साल शहंशाह शाहजहां के मुरीदों की ओर से उर्स मनाया जाता रहा है। इस दौरान शाहजहां और मुमताज की असली कब्र आम लोगों के लिए खोली जाती है। सामान्यत: इस्लामिक कैलेंडर के रजब माह की 25, 26 व 27 तारीख को उर्स मनाया जाता है।