18 मार्च 2021

बांसुरी बादक अनल झा ने इबादत के सुरो से गुल्‍जार किया ' आस्ताना ए मैकश '

 -- इमाम हुसैन को अध्‍यात्‍मिक सूफी संगीत से याद किया

आगरा: इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम (नवास ए हज़रत मुहम्मद स.ल.म) के उर्स  के मौके़ पर आज आगरा की ऐतिहासिक एवं अध्यत्मिक  खानक़ाह क़ादरिया नियाज़िया  आस्ताना ए मैकश पर जश्नअयोजित  हुआ,  जिसमें दुनिया को ज़ुल्म  के खिलाफ लड़ने हक़ का साथ देने की प्रेरणा देने वाले पैगंबर ए इस्लाम के चहिते नवासे इमाम हुसैन को याद किया गया।

इस अवसर पर युवा संगीतज्ञ अनल झा को उनकी सूफी संगीत के प्रति रहती आयी निष्‍ठा एवं आयोजन के लिये आयोजन के लिये युवा संगीतज्ञ अनल झा को सम्मानित किया गया जिन्होंने। उन्‍होंने  बांसुरी और 'किकोन' जैसे वाद्यों की प्रस्तुतियां देकर लोगों को मंत्रमुग्‍ध कर दिया । पूर्व में सांस्कृतिक कार्यकर्ता डॉ विजय शर्मा ने अनल झा का परिचय देते हुए बताया कि अनल झा मूलतः अररिया बिहार से हैं और उनकी औपचारिक शिक्षा स्वाध्याय के अतिरिक्त एन आई एफ टी  से हुई है । डा शर्मा ने बताया कि सामाजिक बदलाव के उद्देश्यों के लिए अनल ने कला को माध्यम चुना

और अभी आगरे में रहते हैं।

आस्ताना ए मैकश पर आयोजित उर्स कार्यक्रम में सैयद
 अजमल अली शाहक़ादरी सैयद फ़ैज़ अली शाह आदि।

सैयद फ़ैज़ अली शाह ने बताया कि यह सूफी संगीत मौलाना रूमी के साहित्य से प्रेरित है जिन्होंने संगीत पर
  कई दफ्तरों की रचना की है और उनका पहला दफ्तर बांसुरी पर ही है। बासंरी के ज़रिये सूफी ध्यान और आराधना करते हैं दुनिया भर मे अहल ए ख़ानक़ाह संगीत को अध्यात्मिक साधना का माध्यम मानते हैं

खानक़ाह पर सैयद अजमल अली शाह क़ादरी नियाज़ी  ने भाईचारा और वैश्‍विक सदभाव को समर्पित अपने उद्बोधन में कहा कि ज़ुल्म की इंतेहा ही उसके खत्म होने का कारण बनती है।

इस अवसर पर  आस्ताना ए मैकश के जा़यरीन के अलावा शहर के सर्वधर्म सदभावी बडी संख्‍या में मौजूद रहे।