29 दिसंबर 2020

आगरा हैरीटेज वाक के प्रचार से रावतपाडा भी पहुंच रहे हैं सैलानी

 गोटेवालों की हवेली का मन्‍दिर साबित हो रहा है  खास अकर्षण।

मन्‍दिर का प्रवेश द्वारा जो बरबस ही 
 बनचुका है,पसंददीदा 'फोटो स्‍पाट'।
( राजीव सक्‍सेना)आगरा: ताज सिटी को घूमने आने वाले अक्‍सर ताजमहल और फतेहपुर सीकरी का भ्रमण कर लौट   जाते हैं किन्‍तु इनमें भी तमाम वे होते हैं जो कि महानगर की संस्‍कृति और लोकजीवन को नजदीक से जानना चाहते   जाते हैं किन्‍तु इनमें भी तमाम वे होते हैं जो कि महानगर की संस्‍कृति और लोकजीवन को नजदीक से जानना चाहते हैं।परंपरागत टूरिस्‍टों के लिये सूचीबद्ध बाजारों से हट कर स्‍थानीय नागरिकों की रोजमर्रा जरूरतों को पूरा करनेवाले बाजारों से खरीद फरोख्‍त भी करना चाहते हैं।स्‍वर्णाभूषणो के लिये कभी विख्‍यात रहे जैहरी बाजार तथा परिधान आदि के सजे शोरूमों के एक दम नजदीक रावतपाडा का भीडभाड वाला बाजार इनके लिये खास आकर्षण होता है।

गद्दी कल्‍चर भी अपने में संजोये हुए है 'रावतपाडा'

भारतीय भ्रमणार्थी यहां जहां मसाले, देसी दबाईयां,जडीबूटियां और अचार मुरब्‍बे खरीदते हैं,वहीं विदेशी यहां की कारोबारी संस्‍कृति का भरपूर आनंद लेते हैं। ठेल ढकेल,साइकिल के कैरियर या फिर सिरपर सामना की बोरियां ढेकर इधर से उधर लाना लेजाना यहां की रोजमर्रा की प्रक्रियायें अनायास ही उनलोगों के लिये आकर्षण होती हैं।  कारोबारी गतविधियों के

अलावा रावतपडा क्षेत्र की हवेलियां और गद्दी कल्‍चर भी अपने आप में आकर्षण का केन्‍द्र है

पांच मंजिला हवली 

 'गोटेवाला परिवार ' की पांच मंजिला हवली  के भूतल पर बना ' ठाकुर श्री राधा मोहन लाल जी  का मन्‍दिर।

 ठा.राधामोहन जी मन्‍दिर रावतपडा एवं मन्‍दिर में
 विराजमानराधामोहन एवं राधा जी की प्रतिमायें।
 प्रवेशद्वार और अंदर सुविधा जनक सुवासित परिसर जहां भ्रमणार्थियों के कदम स्‍वत:  थम ही नहीं जाते  सैल्‍फी लेने के  अवसर से नहीं चूकते। अब तो यह वाकायदा 'फोटो स्‍पाट ' के रूप में पहचान बना चुका है और कोयी आश्‍चर्य नहीं जबकि आगरा में फिल्‍माये जाने सिनेमाओं के लिये किसी की शूटिग में यह दिख जाये। 

यह मन्‍दिर कृष्‍ण जी को समर्पित है ' ठाकुर श्री राधा मोहन लाल जी महाराज' के नाम से श्रद्धालुजन इसे जानते हैं। स्‍थनीय लोगों में  '  गोटे वालों का  मन्दिर' के नाम से भी  इसकी पहचान है। 'गोटे वाला मन्‍दिर हालांकि निजिप्रबंधन और परिवार के पूजापाठ के मकसद से बनवाया गया है किन्‍तु किन्‍तु भगवान के घर में श्रद्धालुओं को शायद ही कभी   रोकटोक महसूस हुई हो। हिन्‍दू परंपराओ के अनुसार घर में एक पूजास्‍थल जरूर होता है,भले ही एक आला (ताख) ही क्‍यो न हो। संभवत: हवेली बनने के साथ ही मन्‍दिर भी बना होगा किन्‍तु इसका मौजूदा आकार स्‍व राजनारायन जी अग्रवाल एवं स्‍व राधागोविद के द्वारा अपनी व्‍यवसायिक सक्रियता के काल में ही दिया गया। 

परिवार की मौजूदा पीढी  के श्री बृजेश अग्रवाल का कहना है कि मंन्‍दिर हमारे परिवार का जरूर है किन्‍तु भगवान तो सबके हैं , यह हमारे पूर्वजों की छोडी ध्‍राहर है । यहां आने वालों के लिये हम हमेशा मेजवान की भूमिका में ही हैं। जब से हेरीटेज वाक के दर्शनीय स्‍थानों में हमारी हवेली 'गोटेवालों की हवेली और मन्‍दिर ' शामिल हुए है विजिटरों की आवाजाही लगातार बनी रहने लगी है। अब तक के अनुभव तो अच्‍छे ही हैं और पूरे परिवार को गौरवानुभूति करवाने वाले ही। 

'मन्‍कामेश्‍वर' शहर के जनजीवन का अभिन्‍न भाग

वैसे रावतपाडा और दरेसी मौहल्‍लों के बीच स्‍थित मन्‍कमेशर मन्‍दिर आगरा के जनजीवन का अभिन्‍न हिस्‍सा है, अब यह केवल हिन्‍दुओं के लिये ही नहीं आगरा की संस्‍कृति की जानकारी की चाह रखने वाले अन्‍य भ्रमणार्थियों  के लिये भी आकर्षण  है।सौमवार और मंगलवार को यहां के मन्‍दिरों में भारी भीड रहा करती है।

हैरीटेज वाक प्रोजेक्‍ट ने बढाये विजिटर

हैरीटेज वाक प्रोजेक्‍ट में शामिल हो जाने के बाद से परिवार के मुखिया का चितन दर्शानार्थियों को भरूपर सुविधा देने का रहाता है और चाहते हैं कि जो भी आये सुखद और अध्‍यात्‍मि अनुभूतियों लेकर जाये।हैरीटज वाक में कई प्राईवेट प्रोपर्टियां पर्यटकों के आकर्षण के रूप में चिन्‍हित है किन्‍तु अनके ओनर और मैनेजमेंट से जुडे हुओं में से पांच मंजिला हवेली में रहने वाला 'गोटेवाला परिवार ' थोडा अलग प्रवृत्‍ति का है। हर जाने अनजाने मेहमान का '  पांच मंजिला हवली' का रहवासी परिवार भरपूर  आत्‍मयीयता 

 अकबर के समय की है बसावट

 वैश्‍य बहुल इलाके की पहचान रखने वाला रावतपडा अकबर के समय सनाढ्य ब्राह्मणों की बसावट के लिये पहचान रखता था।   तजमहल,किला और एतिहासिक जामा मस्‍जिद से लगाटूरिज्‍म गतविधियों के क्षेत्र से एक दम लगा  रावतपडा एक समय तक जनपद की सबसे बडी थोक कारोबार की मंडी थी। अब कारोबार कई और कारोबार स्‍थल विकसित  हो चुके है किन्‍तु रावतपाडा की अपनी अलग पचान बरकरार है। पुलिस के इंतजामों और सरकारी बंदोबस्‍त से बेखबर रावतपाडा बाजार के दूकानदार और उनके ग्रहको की अपनी दुनियां है जिस पर किसी बदलाव का खास फर्क नहीं पडता। हां कार से उतर कर 200 से चार सौ कदम की दूरी जश्रूर अपने कदमों से इच्‍छित प्रतिष्‍ठान तक पहुंचने में जश्रर तय करनी पडती है।