20 अगस्त 2020

एक फोटो जर्नलिस्‍ट जिसने शायद ही कभी चूक की हो सटीकता से 'क्‍लिक ' करने में

--कापीराइट के खर्च के कारण 'फोटोग्राफ'  रूपी बौद्धिक संपदा बेहद असुरक्षित 
यादगार समा 1997:जब यानी की धूम रही ताजमहल पर।
                                        फोटो: असलम सलीमी
आगरा: असलम सलीमी का हिन्‍दी प्रेस के फोटोग्राफर के रूप में  काफी नाम और काम रहा है। जब भी आगरा में प्रेस से संबधितत फोटोग्राफी की बात होती है तो अनायास ही वह स्‍वयं प्रासंगिक हो जाते हैं। आफसेट टैक्‍नेलाजी से पहले के ब्‍लाक बनवाकर  फोटो  छापने के चरण में जहां प्रेस फोटो ग्राफी की शुरूआत कलाकुंज फोटो स्‍टूडियों के संस्‍थापक फोटोग्राफर स्‍व सत्‍यनारायण गोयल ने की थी और डिजिटल युग शुरू होने तक सक्रिय रहे थे। वहीं श्री असलम सलीमी ने ब्‍लैक एंड वाइट  रीलों के रोल के साथ  फोटो खींचने के साथ अपनी शुरू आत की थी और डिजिटल फोटो ग्राफी  के दौर में भी उनका कैमरा खमोश नहीं हुआ है।
कश्‍मीर घाटी की विहंगम दृष्‍यावली और उससे जुडी तमाम घटनाअओं को केमरे में कैद करने का दौर उनके लिये काफी अनुभव करवाने वाला रहा है। यह वह समय था
जबकि कश्‍मीर की पहचान एक पर्यटक प्रांत के रूप मे थी और हाऊस बोटों में ठहरने के लिये अपना नम्‍बर आने तक सैलानियों को होटलों में ही रह कर कई कई दिन इंतजार करना पडता था।
जब दौनिक जागरण का प्रकाशन आगरा से शुरू हुआ तो उन्‍हें जानने वाले पत्रकारों ने एक अतरिक्‍त फोटो ग्राफर के रूप में समाचार पत्र से जोडने का प्रयास किया। तत्‍कालीन समाचार संपादक श्री श्‍याम बेताल ने उनके प्रयासों को अंजाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका अदा की।  कुछ ही समय के अंतराल के बाद श्री सालीमी के फोटो अपने आप में उनकी  पहचान बन गये। नब्‍बे के दशक में  कवरेज करने को जहां ' 'डे-ईवेंट' तय करना  रिपोर्टरों की मीटिग में तय करने का चलन था, वहीं ऐंगिल और लोकेशन खुद तय करना उनकी आदत में था। सबसे दिलचस्‍प बात यह थी कि तयशुदा कार्यक्रमों के अलावा भी तमाम एसे फोटो उनके कैमरे में उन घटनाओं या प्रकरणों के होते थे जिनसे संबधितों का मीडिया से दूर दूर का संबध नहीं होता था।यह वह वर्ग  था जिसके सदस्‍य अपनी छपी खबर वाले अखवार को दिनभर हाथ में लिये रहते थे। अपरोक्ष रूप से इससे अखबार की लोकप्रियता और विश्‍वसनियता दोनों को ही बल मिलता था। 
आगरा में ढूंएते रहते हैं कुछ नया
2010 तक फोटो जर्नलिस्‍ट के रूप  में कार्यरत रहने के बाद जागरण समूह की आगरा इकाई से सेवानिवृत्‍त हो गये । असलमजी अब अपने जिले में ही कुछ न कुछ नया खोजते रहते हैं। 
 ताजमहल उनका मनपंसद आब्‍जैक्‍ट(सब्‍जेक्‍ट) है। आगरा के फोटो का एक बहुत बडा कलैक्‍शन उनके पास है, किन्‍तु इसमें भी ताजमहल के काफी संख्‍या में हैं।
यानी को मनभाये
 'यानी' के नाम से मशहूर प्रख्‍यात  यूनानी संगीतज्ञ यानिस   क्रिसमोलिस (Yiannis Chryssomallis) ने आगरा में ताजमहल के पर्श्‍व में मार्च 1997 में एक बहुचर्चित लाइव  आर्केस्‍ट्रा परफार्मेंस दी थी, संयोग से उस दौरान श्री सलीमी की उससे काफी पहचान हो गयी।उन दिनों अपने कार्यक्रम के ताजमहल संबधित फोटोग्राफ देख कर इतना अभिभूत हुआ कि राष्‍ट्रीय ख्‍याति के एक प्रख्‍यात फोटो ग्राफर की 1986-87 में प्रकाशित ताजमहल( Taj Mahal) किताब को हर समय हाथ में  रखना छोड श्री सलीमी के फोटुओं के कलैक्‍शन की एलबम को साथ लेकर फोटो पॉइंट ढूढता रहता।
आधा दर्जन फोटो एग्‍जीवीशनों लायक कलैकशन
ताजमहल का बैकड्राप कंसैप्‍ट यानी का है  सबसे
महत्‍वपूर्ण योगदान।      फोटो:असलम सलीमी
सलीमी 'मेरा शहर आगरा' ,'इबादत ' , 'भाईचारा', 'पानी', आंदोलन आदि शीर्षकों से एग्‍जीबीशनें लगाने की हसरत रखते हैं। लेकिन देखते हैं कि कब संयोग बनता है।
अपनी दुनियां में मस्‍त रहने वाले श्री सलीमी को एक शिकायत शहर के उन तमाम लोगों से भी है, जो चाहे जब उनसे अपने मतलब के लिये फोटो मांगते और छापते रहते हैं और इस योगदान के लिये उनके नाम का उल्‍लेख  करने तक से बचते हैं। कई मामलों में तो उनके फोटुओं को अपने नाम से  छापने जैसे कृत्‍य तक करने तक में संकोच नहीं करते। चूंकि कापीराइट करवाने की प्रक्रिया सीमित आमदनी वाले के लिये अत्‍यंत खर्चीली और कई जटिलताओं से भरी है, इस लिये अपनी खुद की नहीं अन्‍य हमपेशाओं में से भी अधिकांश की बौद्धिक संपदा को वह  बेहद असुरक्षित मानते हैं। 
कोविड 19 कोष  में दान की एक महीने की पेंशन
श्री सलीमी ने 'कोविड -19' के दौर में भी जमकर फोटोग्राफी की है,जो भविश्‍य एक और 'फोटो एग्‍जीवीशन' मानी जा सकती है। 
शायद रिटायर्ड-पेशन प्राप्‍त करने वाले मीडिया बंधुओं में वह अकेले ही होंगे जिन्‍होने अपनी एक महीने की पूरी पेंशन प्रधानमंत्री को कोविड संबधी फंड मे दान कर दी। हां उनको इस बात की जरूर सुखद अनुभूति  है कि सांसद प्रो एस पी सिह बघेल ने उनके इस छोटे से योगदान को भी महत्‍व दिया और फोन करके आभार भी जताया।