19 जुलाई 2020

इनर रिंग रोड से लगी सौ फुटा रोड से लगी जमीन पर बने आगरा का औद्योगि‍क पार्क

नयी जमीन के अधि‍ग्रहण और औपचारि‍क्‍ताओं में लग सकते हैं कई वर्ष

संसाधन और सार्थक सुझावों पर भी अब तक हावी रहती आयी  है
'कोर्ट -कचहरि‍यों से इतर'  
जन प्रति‍नि‍धि‍यों असरहीन ' चौकसी'
 आगरा: उ0प्र0 एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) के औद्योगिक पार्क के लिये भूमि की तलाश व चिन्हांकन की प्रक्रि‍या चल रही है, कि‍न्‍तु जि‍स जमीन को अधि‍ग्रहण करवाने का प्रयास   शुरू कि‍या गया है उससे सम्‍बन्‍धि‍त सभी औपचारि‍कताये पूरी करने में कम से कम तीन चार साल लग सकते हैं,जबकि‍ नि‍वेशों को बढावा देने तथा शासन की नीति‍ के अनुसार औद्यौगि‍क वि‍कास के लि‍ये जमीन की जरूरत अब है। 
आगरा के औद्यौगि‍क वि‍कास की आधारभूत जरूरतों की जानकारी और अपना डाटाबेस रखनेवाले  डवलपमेन्ट फाउन्डेशन (ए0डी0एफ0) ने यूपीडा के चल रहे प्रयासों से असहमति‍ जतायी है और सुझाया है कि‍ 100 मी0  चौड़ी इनर रिंग रोड से लगी हुयी ग्राम रायपुर, रेहनकलां, एत्मादपुर मदरा एवं बुढ़ाना की भूमि क्षेत्रफल 617.0898 हैक्टेयर जमीन को औद्यौगि‍क पार्क के लि‍ये अधि‍गृहि‍त कि‍या जाये। जि‍ससे कि‍ अपेक्षि‍त समय सीमा में प्रोजेक्‍ट को गति मिल 
सके।
दरअसल यह जमीन प्रोजैक्‍ट की जरूरत की हर औपचारि‍क्‍ता पूरी करने के अनुरूप है। इसे  आगरा विकास प्राधिकरण अपने आर्थिक संसाधनों के अभाव में छोड़ना चाहता है ।
फाऊंडेशन के सचि‍व श्री के सी जैन ने कहा हैै कि‍ वह जानते हैं कि‍ प्रशासन और कार्यदायी एजैसी अगर सबकुछ जानते हुए भी कोयी नई पहल करना चाहे तो भी शासन की स्‍वीकृति‍  इसके लि‍ये जरूरी होगी। फाऊंडेशन इसके लि‍ये अपने स्‍तर से   मुख्यमंत्री व उद्योग मंत्री सतीश महाना को पत्र भेज कर पहल कर चुकी है।  

ई-मेल द्वारा भेजे गये पत्र में ए0डी0एफ0 के सचिव के 0सी0 जैन जो कि‍ पेशे से  अधिवक्ता हैं ने यह उल्लेख किया है  कि ग्राम रायपुर, ग्राम रेहनकलां, ग्राम एत्मादपुर मदरा एवं बुढ़ाना की 617.0898 हैक्टेयर भूमि के सम्बन्ध में भूमि अध्याप्ति अधिनियम की धारा-4 दिनांकित 14.09.2010, धारा-6 दिनांकित 24.05.2011 एवं कब्जा दिनांकित 07.09.2011 की कार्यवाही हो चुकी है लेकिन उसका मुआवजा अभी तक किसानों को आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा नहीं दिया गया है, ऐसी भूमि पर यूपीडा द्वारा औद्योगिक आस्थान आसानी से विकसित किया जा सकता है। जिसके लिये किसानों को अब भी मुआवजा वितरित किया जा सकता है।

ऐसा किये जाने से यूपीडा औद्योगिक भूमि को यथाशीघ्र विकसित भी कर सकेगी, अर्जन की लम्बी प्रक्रिया से बचा जा सकेगा और आगरा विकास प्राधिकरण अर्जित भूमियों के मुआवजे के भुगतान की जिम्मेदारी से भी बच सकेगा। 

ए0डी0एफ0 की ओर से यह भी लिखा गया कि आगरा में विकसित औद्योगिक भूमि की नितान्त कमी है। भूमि अधिग्रहण की काफी लम्बी प्रक्रिया होती है। चूंकि आगरा विकास प्राधिकरण के पास आर्थिक संसाधनों का अभाव है इसके चलते प्राधिकरण अप्रयुक्त अर्जित भूमि क्षेत्रफल 607.0898 हैक्टेयर को छोड़ना चाहता है और जिसके सम्बन्ध में प्राधिकरण बोर्ड द्वारा एक प्रस्ताव भी दिनांक 08.03.2019 को पारित किया गया एवं उ0प्र0 शासन को भी उपाध्यक्ष आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा पत्रांक दिनांकित 25.03.2019 प्रेषित किया गया था।

ए0डी0एफ0 ने कहा कि‍ एक ओर आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा भूमि अधिग्रहण अधिनियम के प्राविधानों के अन्तर्गत कब्जा ली गयी भूमि को छोड़ने की बात हो रही है, दूसरी ओर नयी भूमि की तलाश है,जो अपने आप में वि‍रोधाभासी स्‍थि‍ति‍ है । यूपीडा द्वारा यदि कोई अन्य वैकल्पिक भूमि ली जाती है तो उसके अर्जन की प्रक्रिया एवं सोशल इम्पेक्ट अससेटमेंट कराये जाने व जमीन को किसानों से प्राप्त करने में 4-5 वर्ष का समय लग सकता है जिससे तुरन्त औद्योगिक संस्थान विकसित करने की योजना प्रभावित होगी।वैकल्पिक भूमि के लिये वर्तमान दरों पर मुआवजे की राशि के रूप में बाजार मूल्य का 4 गुना का भुगतान करना पड़ेगा।