28 जून 2020

आगरा गार्मेंट हब के लि‍ये लैदर पार्क और थीम पार्क की जमीनों के सुझाये वि‍कल्‍प

-- सरकार आगरा के साथ , गारमेंट्स हब बनाने को रुचि‍वानों की वालों की सूची बनायें: चौ उदयभान


चीन से आगरा शि‍फ्ट कर लायी जाने वाली जूता उत्‍पादक यूनि‍ट की कार्ययोजना के क्रि‍यान्‍वयन में कानूनी काराणों से  भले ही कुछ समय और लगे कि‍न्‍तु गारमेन्ट हब  के लि‍ये नवीनतम प्रस्‍ताव को लेकर बनीं सभावनाओं प्रदेश सरकार हरहाल में जमीनी हकीकत में तब्‍दील करना चाहती है। सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योगों के राज्यमंत्री चै0 उदयभान सिंह ने यह जानकारी देते हुए कहा कि‍ गारमेन्ट हब के लिये भूमि की उपलब्धता कराना चुनौतीपूर्ण है। हमें अनुभव के आधार पर भूमि को सुगम कराना है। हम साथ-साथ बैठेंगे और समग्रता से आगरा को बढ़ायेंगे। 
चौ. उदयभान सि‍ह जो कि‍ नेशनल चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्रिज, आगरा के वेबिनार में बोल रहे थे ने कहा कि‍  ”सरकार आगरा के साथ है। वेबिनार का आयोजन अफोर्डेबिल औद्योगिक भूखण्डों की उपलब्धता कैसे बढ़ायी जाये इस विषय
को लेकर था।उन्‍होंने कहा कि‍ इससमयतो आधार भूतजरूरत इसबात यह जानने की है कि‍  कितने लोग और किस प्रकार अपनी गारमेन्ट यूनिट लगाना चाहते हैं । जैसे ही यह सूची उन्‍हें मि‍ल जायेगी बात आगे बढ़ायेंगे। उन्‍होंने कहा कि‍ इसके लिये एक प्लेटफॉर्म बनाया जाये, सूची बनायी जाये और आगरा को कैसे उद्योग का हब बनाया जा सकता है इन सूझावों को तैयार किया जाये।
चैम्बर के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल एवं आर0टी0आई0 व विधिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष के0सी0 जैन द्वारा आयोजित इस वेबिनार में विषय प्रस्तावना में यह कहा गया कि आगरा की इण्डिस्ट्रयल एस्टेट में कोई भूमि उपलब्ध नहीं है और जो भूखण्ड रिसेल में उपलब्ध हैं उनकी दरें 15 से 20 हजार रू0 प्रति वर्गमीटर हैं। जो कि कि‍सी भी नये  नयी उद्यमी की पहुंच से बाहर हैं। 
-- थीम पार्क या लैदर पार्क मे बनाये गार्मेंट हब
नेशनल चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्रिज,
आगरा की 
रवि‍वार को संपन्‍‍‍न 'गार्मेंट हब 'वेबिनार 

किशोर खन्ना (रोमसन्स) के द्वारा कहा गया कि आगरा में औद्योगिक भूखण्डों की अत्यन्त आवश्यकता है। जिसकी दर 3000/- रू0 प्रति वर्गमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिये। इण्डिस्ट्रयल क्लस्टर एक्सप्रेसवे के सहारे बनाया जा सकता है। एक अन्‍य तीसरे  विकल्प के रूप में जयपुर रोड पर 273 एकड़ के लैदर पार्क पर इण्डिस्ट्रयल हब बनाने की बात कही गयी। जिससे सभी सहमत थे।
मथुरा के कृष्ण दयाल अग्रवाल द्वारा यह कहा गया कि विकास प्राधिकरण के विकास शुल्क की दरों एवं विद्युतीकरण की लागत को देखते हुए निजी भूमि पर औद्योगिक इण्डिस्ट्रयल एस्टेट बनाना कठिन कार्य है। औद्योगिक इण्डिस्ट्रयल एस्टेट विकास प्राधिकरण की सीमा के बाहर बनाना चाहिये। क्रडई अध्यक्ष संजय अग्रवाल द्वारा निजी इण्डिस्ट्रयल एरिया की सम्भावनाओं के बारे में बताते हुए कहा गया कि विद्युतीकरण एक बड़ी कठिनाई है जिसमें सरकार को अपने स्तर से सहायता करनी चाहिये।उद्यमी शिशिर अस्थाना द्वारा दक्षिणी बाईपास के सहारे गारमेन्ट हब बनाने की बात रखी गयी। मनीष अग्रवाल (रावी इवेन्ट्स) द्वारा सर्विस सैक्टर और उद्योगों के लिए जगह चिन्हित करने की मांग की गयी जहां सभागार आदि बन सके। अप्सा अध्यक्ष डा0 सुशील चन्द्र गुप्ता द्वारा गारमेन्ट हब के लिये डिमाण्ड सर्वे करने के बाद में भूमि चिन्हित करने की बात रखी गयी। अमर मित्तल (पूर्व चैम्बर अध्यक्ष) द्वारा निजी इण्डिस्ट्रयल एरिया की कठिनाईयां बतायी गयी। 
-- क्वालिटी इण्डिस्ट्रयल एरिया बनाया जाये
पूरन डाबर (एफमैक अध्यक्ष) द्वारा आगरा के मास्टर प्‍लॉन एवं जोनल प्‍लॉन के कार्यान्वित न होने के कारण विकसित भूमि की कमी की बात उठायी गयी। उन्होंने यह मांग की कि कुल महायोजना क्षेत्र में औद्योगिक भूमि का प्रतिशत बढ़ाया जाये। आपसी सहमति के आधार पर भी भूमि को क्रय करके लैण्ड बैंक बनाने की बात कही। उनका मत था कि भूमि की कमी नहीं है प्रबन्धन की कमी है। क्वालिटी इण्डिस्ट्रयल एरिया होने चाहिये।
रजत अस्थाना द्वारा निर्बाध विद्युत आपूर्ति की मांग की गयी और स्किल इण्डिया के लिये फैक्ट्री में ही ट्रैनिंग की बात रखी गयी। गारमेन्ट हब की सफलता के लिये नीतियों में सुधार की बात भी जोर-शोर से उठायी गयी।
-- चीन के  अनुभवि‍यों  का सुझाव
वेबिनार में चीन में कार्यरत सौरभ खण्डेलवाल ने कहा कि वे आगरा में अपनी औद्योगिक इकाई स्थापित करना चाहते हैं लेकिन उन्हें औद्योगिक भूमि नहीं मिल रही है। भूमि की दर अधिकतम 2500/- रू0 प्रति वर्गमीटर होनी चाहिये। फैक्ट्री में श्रमिकों के लिये डोरमीटरी होनी चाहिये और फैक्ट्रीज की वर्टिकल ग्रोथ होनी चाहिये।  चीन में एक लम्बे समय तक कार्य कर चुके सन्दीप सिंघानियां ने कहा कि चीन में किराये पर तथा पट्टे पर फैक्ट्री की जगह मिल जाती है। वहां किराया 7-8 रू0 प्रति वर्गफुट होगा। वहां बड़ी सभी फैक्ट्रीयों में रहने के लिए डोरमीटरी की व्यवस्था होती है। प्रदेश में इस सम्बन्ध में एक कानून बनना चाहिये क्योंकि अनेक बार श्रमिकों के बीच में लड़ाई झगड़ा उत्पन्न हो जाता है और जिसमें आत्महत्या तक वे कर लेते हैं।
--नि‍जी भूमि‍ पर भी तलाशें संभावनाये
न्यायमूर्ति राजीव लोचन मेहरोत्रा (सेवानिवृत्त इलाहाबाद उच्च न्यायालय) द्वारा मंहगी औद्योगिक भूमि की आलोचना की गयी। जो उद्यमी उद्योग लगाना चाहते हैं ऐेसे उद्यमीयों की सूची बनाने की आवश्यकता भी बतायी गयी। रिटायर्ड जज प्रवीन कुमार द्वारा भी निजी भूमि पर औद्योगिक स्थानों के बनाये जाने की सम्भावनाओं को तलाशने के लिये कहा गया।
--दो वेवि‍नार और सुझायीं
वेबिनार में यह निर्णय लिया गया कि नीतिगत सुधार क्या-क्या होने चाहिये और टैक्नोलाॅजी के विषय में हम अपने आपको कैसे आगे ले जा सकते हैं इस पर अगली प्रथक-प्रथक वेबिनार करने का निर्णय भी लिया गया।
आई0आई0टी0 इंजीनियर रिषी जैन ने टैक्नोलॉजी और ऑटोमिशन की बात कही और इस पर सभी ने कहा कि टैक्नोलॉजी के सम्बन्ध में एक अलग से वेबिनार आयोजित करने का भी निर्णय लिया गया ताकि इस विषय पर विस्तार से चर्चा हो सके।
वेवि‍नार के अंत में धन्यवाद ज्ञापन अध्यक्ष राजीव अग्रवाल द्वारा किया गया। 
वेबिनार में प्रमोद कुमार अग्रवाल, डॉ वेद प्रकाश त्रिपाठी, एडवोकेट गौरव जैन, विधि अग्रवाल, तरूण अग्रवाल, योगेश जिन्दल, सुनील गुप्ता, प्रहलाद अग्रवाल, अतुल कुमार गर्ग आदि ने भी भाग लिया।