1 अप्रैल 2020

आगरा के प्रेस फोटोग्राफर असलम सलीमी ने पी एम फंड में पूरी पेशन ही दे डाली


यदि  1559 रुपये से ज्यादा मिल रहे होते तो भी पेंशन की पूरी ही राशि  देता

( पी एम फंड में प्रेस फोटोग्राफर ने दी एक महीने की
 ई पी एफ पेंशन राशि‍ ) 

आगरा: कोरोना वायरस  के प्रकोप को थामने के लिये प्रधानमंत्री सहायता कोष में आगरा के प्रख्यात प्रेस फोटोग्राफर असलम सलीमी ने अपनी एक महीने की  पेंशन राशि प्रधान मंत्री को भेज दी है। उन्होंने जब यह धन भेजने की पेशकश की तो उनके मित्रों ने कहा कि यह आपकी पेंशन है, इसे भेजने के बाद आप महीना कैसे निकालेंगे। इस पर सलीमी ने कहा कि आप भी क्या उन लोगों की तरह ही मजाक कर रहे हैं जो अपने वेतन भत्ते बढवाने के लिये तो संसद तक में खूब हल्ला मचाते हैं और प्राईवेट सैक्टर के कर्मचारियों की
पेशन सुधार के
( असलम सलीमी )
लिये सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिये आदेश का क्रियान्वयन तो दूर इसके वि‍रुद्ध  श्रममंत्री को रिव्यू पिटीशन दाखिल करवाने से रोकपाने तक में 'नाकारा' साबित हुए।यही नहीं हमारे माननीय यहां तक माने बैठे हैं कि‍ प्राईवेट सैक्‍टर के कर्मचारी को तो पैसे की जरूरत ही नहीं होती है। ई पी ए फ ओ वाले जो करें उसी में उन्‍हें मौज मनानी चाहि‍ये।
श्री सलीमी साहब कहते हैं कि मैं नहीं जानता कि जब टाटा,अम्बानी जैसे बडे घराने अरबों रूपये दे रहे हैं तो मेरा छोटा सा इजहार सरकार किस अंदाज में ले, लेकिन मुझे मालूम है कि पी एम ही नहीं देश के लेबर मिनिस्टर मिस्टर गंगवार भी जानते हैं कि प्राईवेट सैक्टर का पेंशनर इतनी ही राशि दे सकता है। 
  यही नहीं वह कहते हैं कि 'आप विश्वास करे या नहीं किन्तु अगर पेंशन के रूप में और ज्यादा राशि मिल रही होती तब भी में उसे पी एम सहाब को भेज देता। उन्होंने  कहा कि एक प्रेस फोटोग्राफर होने के नाते मुझे मालूम है कि लोगों के बीच पी एम की ' लाक डाउन  ' अपील को अपना  कार्य क्षेत्र रहे आगरा में प्रभावी बनाये जाने के लिये क्या करना है, इसमें जितना योगदान दे सकता हूँ  लगातार दे रहा हूं। 
बाकी तो श्री सलीमी जितना करते रहे हैं और करते रहेंगे वह, वहीं जानें किन्तु इतना जरूर हैं कि 'सोशल डिस्टैंसिग ' का खूब प्रचार कर रहे हैं। अपनी मोटर साइकिल पर पीछे किसी को भी बैठाना बन्द कर रखा है। यही नहीं जिससे भी मिल रहे हैं दो  हाथ की दूरी बनाये रख कर ही। सामाजिक संस्था आधार के श्री अभिनय प्रसाद ,सिविल सोसायटी आगरा के जर्नल सैकेट्री अनिल शर्मा ने श्री सलीमी के जज्बे को सामायिक जरूरत और अनुकरणीय बताया है।