31 मार्च 2020

'रामेन्‍द्र जी' अब खुद ही इत्‍मीनान से देखते हैं ' रामायण '

--रामायण सीरि‍यल को लेकर जनमानस के मनोभाव में दशकों बाद भी नहीं हुआ कोयी बदलाव

एक नि‍श्‍चल ' सुकून'
आगरा: रामायण सीरि‍यल  के प्रसारण का दूसरा चक्र शुरू हो गया है, कोरोना वायरस के संक्रमण के समय लोगो को आपस मे संपर्क करने से बचाने को  'सोशल डि‍स्‍टैसि‍ग' करने के तमाम उपाय भले ही नाकाम साबि‍त हो रहे हो कि‍न्‍तु 'लॉक डाउन' को प्रभावी बनाये जाने के तरीकों में अब तक का सबसे कारगर उपाय साबि‍त हुआ है। कि‍न्‍ही मायनों में रामायण का जब पहली बार प्रसारण हुआ था लगभग उतनी ही भावुकता के साथ लोग इसके प्रसारण में अब भी रम रहे हैं। 

रामानन्‍द सागर के द्वारा नि‍र्मि‍त एवं नि‍र्देशि‍त एवं रवीन्‍द्र जैन के द्वारा संगीतबध कि‍ये गये  इस टेलि‍वि‍जन सीरि‍यल के पहली बार के प्रसारण काल  25 जनवरी  1987 से  31से 1988 के दौर में जि‍तनी संख्‍या में लोगों ने देखा था वह अपने आप मे कि‍सी भी  धार्मि‍क आस्‍था आधारि‍त प्रसारि‍त सीरि‍यल को देखे जाने का अपने आप मे एक रि‍कार्ड है। जो फीडबैक मि‍ल रहे हैं उनसे लगता है कि‍ दर्शकों की संख्‍या की दृष्‍टि‍ से फि‍र कोयी नया उल्‍लेख हांसि‍ल करले तो
आश्‍चर्य नहीं।

रामेन्‍द नारायण त्रि‍पाठी की भी रही है सहभागि‍ता :

इस सीरि‍याल के लि‍ये एक एक डायलॉग सशक्‍त  और सरस काव्‍यमय बनाये रखने वालों की 'कलम धनी टीम' के एक महत्‍वपूर्ण सदस्‍य थे ,आगरा के प्रख्‍यात कवि‍ श्री रामेन्‍द्र मोहन त्रि‍पाठी । रि‍टायर्ड होने से पूर्व कुछ दि‍न आगरा नगर नि‍गम के मुख्‍य नगर अधि‍कारी पद को सुशोभि‍त करने वाले श्री त्रि‍पाठी उस समयनगर नि‍गम के उपनगर अधि‍कारी पद पर कार्यरत थे। मुम्‍बई में लगातार व्‍यस्‍त रहने के कारण ज्‍यादातर छुट्टि‍यों पर रहते  । आगरा ही नहीं पूरा नगर वि‍कास वि‍भाग जानता था कि‍ 'पंडि‍त जी ' उस काम मे लगे हुए हैं, जिसे  करने के लि‍ये नसीब से ही मौका मि‍लता है। दरअसल त्रि‍पाठी जी के लि‍ये जहां मुम्‍बई में रहना काम की दृष्‍टि‍ से मजबूरी रही होगी वहीं घर परि‍वार के लि‍ये नौकरी में बने रहना। वैसे भी याद नहीं पडता कि‍ पंडि‍तजी को कभी काम या छुटटी को लेकर दुवि‍धा रही हो।

मुम्‍बई प्रवास के लि‍ये नगर नि‍गम कभी नहीं हुई दि‍क्‍कत :



नगर नि‍गम को रि‍पोर्ट करने  के समय अगर कभी  वह आपने कमरे में बैठे मि‍ल भी गये तो केवल 'मुम्‍बई ' और 'रामायण ' की शूटि‍ग के कि‍स्‍से ही उनसे जानने मे दि‍लचस्‍पी रहती थी। रामानन्‍द सागर ही नहीं उनकी पूरी टीम चाहती थी कि‍ श्री लगातार मौजूद बने रहें । सीरि‍यल के हर एपीसोड का एक एक वाक्‍य सुर्खि‍यों का कारण बनता था ' डि‍जि‍टल युग ' शुरू होने से पूर्व के उस चरण में । अब तो उन्‍हे मुंबई  को नमस्‍कार कि‍ये हुए काफी समय हो चुका है और कविताओं व कवि‍ सम्‍मेलनों तक ही अपने को सीमि‍त कर लि‍या है।वैसे तो वह पूरे देश में बुलाकर सुने जाने वालों में से हैं कि‍न्‍तु उनकी अवाजाही का सि‍लसि‍ला देखा जाये तो लगता है कि‍ राजस्‍थान में शायद उन्‍हें पसंद करने वालों की संख्‍या कुछ ज्‍यादा ही है।

अब  रामायण खुद भी बने हुए हैं 'टी वी दर्शक' :

एक कवि‍ के तेवर
( रमेन्‍द्र जी की फेस बुक वाल से 'साभार')

 बल्‍काबस्‍ती में रहता हूं पास में ही अहीर पाडा मौहल्‍ले में रहने वाले नगर नि‍गम से ही सेवानि‍वृत्‍त और प्रख्‍यात गजल गायक श्री करतार सि‍ह यादव के पास श्री त्रि‍पाठी जी के आने जाने का सि‍लसि‍ला बना रहाता है बस इसी दौरान उनसे छोटीमोटी चर्चायें तो जरूर होती रही है।  कि‍न्‍तु जब से रामायण सीरि‍यल का प्रारण फि‍र से शुरू हुआ है 'दुआ सलाम ' का मौका नहीं मि‍ला , 'कोरोनटाइन ' भी इसकी एक वजह मानी जा सकती है।लगता है कि‍ केदार नगर स्‍थि‍त अपने नि‍वास से पिछले  कई दि‍नो से उनका नि‍कलना ही नहीं हुआ होगा।  कि‍न्‍तु इतना जरूर है कि‍ जब पहली बार प्रासरण हुआ था तब उन्‍होंने इसे देखा भी होगा तो मुम्‍बई के अपने सहकर्मि‍यों के साथ अपनी खामि‍यों को  परखने की मानसि‍कता के साथ देखा होगा जबकि‍ अब अपने उस परि‍वार के सदस्‍यों और स्‍वजनों  के   साथ देख रहे होंगे जि‍सके मनोभावों को दृष्‍टि‍गत स्‍क्रि‍प्‍टों को समृद्ध करने के लि‍ये कलम चलाई थी।