29 मई 2019

अमेरि‍कन प्रेसि‍डैंशि‍यल इलैक्‍शन पैटर्न पर भाजपाईयों ने लडडाला लोकसभा का चुनाव

-- श्री नरेन्‍द्र मोदी के अलावा कि‍सी पर  मुद्दे  चर्चा करना तक मुनासि‍व नहीं माना
ले--भुवनेश श्रोत्रि‍य
आगरा: 17वीं लोकसभा के चुनाव में भाजपा का चुनावी अभि‍यान व्‍यक्‍ति‍ को केन्‍द्रि‍त रहा और इसके माध्‍यम से प्रधान मंत्री पद का परंपरागत दायि‍त्‍व नि‍ र्वाहन करने वाले श्री नरेन्‍द्र मोदी को अभूतपूर्व रूप से मानमडि‍त कर लोकतांत्रि‍क परंपराओं के वि‍रुद्ध व्‍यक्‍ति‍ केन्‍द्रि‍त कि‍ये रखने में कोयी कसर नहीं छोडी। सबसे बडी बात है कि‍ भाजपा के इस इस कार्य का कि‍सी को अहसास तक नहीं हुआ।   सत्ताधारी दल द्वारा संविधान अपने इस प्रयास में संवैधानि‍क दायरे का ही उपयोग कि‍या जि‍ससे कि‍ सबकुछ समझने के बावजूद कोयी भी इसके वि‍रुद्ध कुछ बोल ही नहीं सका। यह चुनाव लगभग  अमेरिकी राष्ट्रपति की चुनावी पध्दति के समरूप करना लक्ष्‍य रखा गया।  गया,यह कहना है कांग्रेस सहि‍त कई राजनैति‍क दलों को
को नजदीक से जानने वाले जर्नलि‍स्‍ट एवं सीनि‍यर सोशल एक्‍टि‍वि‍स्‍ट श्री भुवनेश श्रोत्रि‍य का।
श्री श्रोत्रि‍य का मानना है कि‍    भाजपा ने अपने प्रत्याशी उतारे जरूर लेकिन वोट मांगे केवल प्रधानमंत्री के नाम पर , यहां तक कि एनडीए के दलों ने भी प्रधानमंत्री के नाम पर ही वोट प्राप्त किये । इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है चुनाव के दूसरे चरण में मोदी है तो मुमकिन है  का नारा योजनाबद्ध तरीके से प्रचलि‍त कि‍या जाना।   तमाम राजनैतिक विश्लेषक इसके गूढ़ अर्थ को समझ ही नहीं पाये, पांचवें चरण तक पहुंचते पहुंचते पूरा चुनाव भारतीय संविधान निर्वाचन सम्बन्धी प्रावधानों से हाईजैक होचुका था, इसी के बाद मोदी जी ने इस हाईजैक प्लान के तहत नेहरू गांधी परिवार पर व्यक्तिगत हमले शुरू किये ।      
    उन्‍होंने कहा कि‍  पहले पुलवामा और सर्जिकल स्टाइक के नाम पर राष्ट्रवाद के मुद्दे पर उलझाए रहे और क्योंकि कांग्रेस अपने राष्ट्रीय स्टेटस को बनाये रखने के लिए जनता के मुद्दों को उठाने एवं चुनाव को उन मद्दों लाने के प्रयास में उलझी रही इसलीये किसी का ध्यान इस गया ही नहीं कि चुनाव भारतीय संविधान के चुनाव सम्बन्धी प्रावधानों से कब का हाईजैक हो चुका है , 
 श्री श्रोत्रि‍य ने कहा कि‍ भाजपा के रणनीतिकारों ने चरणवद्ध ढ़ंग से जो लम्बा चुनाव कार्यक्रम निर्वाचन आयोग से घोषित कराया वह इस पूरे प्लान का ही हिस्सा था ।  हरियाणा, राजस्थान और उत्तरप्रदेश की 15-20 संसदीय क्षेत्रों का सर्वेक्षण कराया है जिससे यह दृष्टिकोण बलवती हुआ कि 2019 का आम चुनाव पूरी तरह से भारतीय संविधान के चुनावी प्राविधानों से हाईजैक हो चुका है जिन संसदीय क्षेत्रों में भाजपा प्रत्याशियों को जनता क्षेत्र घुसने नहीं दे रही थी वे भी दो लाख वोटों से जीत गये , ये कैसे हुआ इसका सर्वेक्षण ही उनके रे इस निप्कर्ष की पुष्टि करता है । 
 जि‍न मतदाताओं को अपने प्रत्‍याशी और पार्टी की नीति‍ व कार्यक्रम देखने चाहि‍ये थे उनमें से अधि‍कांश ने सर्वेक्षण के दौरान कहा कि‍कि '  हमनें काऊ का ध्‍याय या लि‍हाज नहीं कि‍या,  हमनें तौ मोदी कूं वोट दयौ है.'। ...   
     मतदाताओं का यह कथन एक दो नहीं पूरे देश में बडी चतुराई के साथ भाजपा के रणनीतिकारों ने फैलाया कि उम्मीदवार को मत देखो मोदी को देखकर वोट दो, प्रधानमंत्री तो वही बनेंगे, यह बात समझाने में भाजपा के रणनीतकार सफल हो गये और पूरा का पूरा खेल पलट गया, रणनीतकार यह भी जानते थे कि देश में राष्ट्रवाद के नाम पर जो महौल बन रहा है । उसमें कोई क्षेत्रीय दल उन्हें चुनौती नहीं दे सकता एवं कांग्रेस पर विगत की जो छाया है उसे उससे बाहर मत आने दो ।
 इसीलिए अंतिम तीन चरणों में श्री मोदी ने नामदार परिवार ( नेहरू-गांधी परि‍वार) पर निम्न स्तरीय हमले तेज कर दिये।  उनकी संविधान हरण की रणनीति को न समझते हुए तमाम क्षेत्रीय दलों जिनमें चन्द्रबाबू नायडू, ममता बनर्जी, मायावती, अखिलेश यादव, सीताराम यचुरी, अरविंद केजरीवाल जैसे अति महत्वाकांक्षी नेता भी सहायक सिद्ध हुए । क्योंकि भाजपा ने मोदी को एक विराट व्यक्तित्व रूप में देश की जनता के सामने परोस दिया था और विपक्ष असमंजस में फंसा था और कोई विकल्प दे सकता था तो वह पार्टी ही हो सकती थीं जो केवल कांग्रेस थी इसीलिए तमाम गठबंधनों ने अपने सर्वेक्षण कराये बिना ऐसे दलों को भी अपने साथ ले लिया जिनका जनाधार खिसक चुका था जिसका खामियाजा गठबंधन में शामिल जनाधार वाले बडे दलों को उठाना पड़ा, भाजपा प्रभावित मीडिया ने भी इस काम में जो  महती भूमिका अदा की 
                                                                                                (लेखक :भुवनेश श्रोत्रिय)..