20 जुलाई 2018

आगरा स्‍मार्ट सिटी लि. को अपनी सभी योजनाओं को भेजना होगा सुप्रीम कोर्ट मानीटरिंग कमेटी के पास

प्रशासन ने स्‍मार्ट सिटी लि. के अध्‍यक्ष (नगरायुक्‍त) और मैनेजर अनुराग ठाकुर को दिया आदेश  
स्‍मार्ट सिटी लि.  प्रोजेक्‍ट अब मानीटरिंग कमेटी के दायरे में 
 आगरा: आगरा स्‍मार्ट सिटी लिमिटेड में अब तक चल रही एकाधिकरी स्‍थिति को बडा धक्‍का लगा है। नगर निगम तक को अपने प्रोजेक्‍टों की जानकारी देने से परहेज करने वाली कंपनी को अब सुप्रीम कोर्ट मानीटरिंग कमेटी को अपने उन सभी कार्यों एवं प्राजेक्‍टों की जानकारी देनी होगी जोकि  पेयजल, सीर, नाले और म्‍यूनिस्‍पिल सौलिड वेस्‍ट से संबधित होंगे। जिलाधिकारी आगरा के कार्यालय की ओर से अपर जिलाधिकारी नगर के द्वारा नगरायुक्‍त स्‍मार्ट सिटी आगरा तथा मैनेजर स्मार्ट  सिटी आगरा को 20 जुलाई को पत्र लिख कर निर्देश दिया है।
अब तक स्‍मार्ट सिटी  लिमिटेड के द्वारा प्रोजेक्‍टों को
लेकर मनमानी चलती रही है।  मामला ताज इ्रस्‍टर्न गेट को पटवाने वाले प्रोजेक्‍ट को लेकर बढा।सुप्रीम कोर्ट
मानीटरिंग कमेंटी के अध्‍यक्ष रमन ने वर्षा जल निस्‍तारण
नाला पाटने जैसी मनमानी योजनाओं
पर   तो लगेगा अंकुश:रमन
वाले नाले को सीमेंट के स्‍लैबों  के काम को पर्यवरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला करार देते हुए वर्षा और अन्‍यस्‍त्रों से प्राप्‍त होने वाले जल को स्‍लैब बनाकर कंक्रीट से पाट दिये जाने के औचित्‍य पर प्रश्‍न चिन्ह  उठाया।
श्री रमन का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट मानीटरिंग कमेटी को व्‍यापक अधिकार  हैं। ताजमहल के बचाव के लिये जो भी योजनायें या कार्यक्रम कोयी भी एजैंसी अगर बनाती है तो मानीटरिंग कमेंटी के समक्ष जरूर रखनी चाहिये। उन्‍होंने कहा कि यमुना नदी में गिरने वाले नालों में सीवर और गंदगी होनी ही नहीं चाहिये जो उनसे बदबू आने की स्‍थिति बने। उन्‍होंने कहा कि स्‍मार्ट सिटी लिमिटेड की सभी कार्य योजनाओं को वह तलब करवायेंगे। उन्‍होने कहा कि नगर निगम और आगरा विकास प्राधिकरण अब तक खुले नालों तक को सही प्रकार से नहीं सुचारू रख सके हैं तौ फिर उन्‍हें कबर्ड करवाने को लेकर क्‍यो प्रयासरत हैं। सूर सदन, सैंटजोंस कॉलेज, एस एन अस्‍पताल आदि नालो पर टैपिंग प्रयास हो चुके हैं किन्‍तु भारी जन धन की क्षति हो जाने के बावजूद इनकी स्‍थिति में सुधार नहीं हो सका है। अशोक नगर का नाला तो पाटवाने के बाद करोडों रुपये खर्च कर खुलवाना तक पडा है।

उल्‍लेखनीय है कि स्‍मार्ट सिटी कंपनी के बोर्ड का गठन होने के बाद से अब तक लगभग दो सौ करोड रुपया खर्च हो चुका है तथा जिन कार्यों व योजनाओं पर धन खर्च हुआ है उन्‍हें क्षेत्र की जनता के द्वारा नाकारा जा चुका है।