16 अप्रैल 2018

एक सत्‍याग्रह : बीहण और प्रयागराज को जल किल्‍लत से मुक्‍त करवायें

पचनदा डैम प्रोजेक्‍ट को कुंभ मेला आयोजन परियोजना से जोड कर फंडिंग करवायी जाये
मेरा सत्‍याग्रह: पचनदा डैम प्रोजेक्‍ट पर काम शुरू करवायें।
(राजीव सक्‍सेना) आगरा:पचनदा पर अगर डैम प्रोजेक्‍ट का क्रियान्‍वयन करवा दिया जाये तो  इलाहाबाद में  संगम  पर पानी की कमी और प्रदूषण को लेकर स्‍नान पर्वों को लेकर उठती रहने वाली न केवल दीर्घकालीन समस्‍या का स्‍थायी  समाधान हो अपितु इटावा , जालौन सहित  बुदेलखंड के कई जनपदो की पानी की समस्‍या काफी हद तक सीमित हो जायेगी। किन्‍तु इसके लिये बडे मन से आगे आना होगा और प्रस्‍तावित डैम योजना को समझ कर इसको क्रिायान्‍वित  करवाने के लिये संकल्‍प लेना होगा। यह समझाने और ‘ सत्‍यबात का आग्रह’  करने यानि ‘ सत्‍याग्रह ‘ करने का  अवसर आगरा के जलाधिकार के प्रति समर्पित साथियों की मंडली के
सदस्‍यों के प्रतिनिधि के रूप में मुझे  ‘ सत्‍याग्रह मंडपम’
पचनद (पचनदा) : काश डैम बन सके।
सभागार में मिला । गांधी स्‍मृति एवं दर्शन समिति और जलाधिकार फाऊंडेशन, नई दिल्‍ली की ओर से आयोजित राष्‍ट्रीय स्‍तर का यह सैमीनार था । तमाम जल प्रबंधन से सीधा तालुक्‍कात रखने वाले महत्‍वपूर्ण सक्रिय जन इसमें भाग लेने आये हुए थे।
दरअसल जब आयोजन के मुख्‍य वक्‍ता  और उद्घाटन कर्त्‍ता  के रूप में   चिन्‍मय मिशन के स्‍वामी चिदरूपा नन्‍दा जब  अपने सागर्भत भाषण में देश के सामने खडी जल की उपलब्‍धता प्रबंधन की चुनौतियों की जानकारी दे रहे थे तभी राजस्थान में बने रहने वाले पानी के संकेट के समान ही इलहाबाद में कुंभ और अन्‍य स्‍नान पर्वों के अवसर पर हो जाने वाली पानी की कमी पर भी चर्चा हुई । आगरा से गये हुए साथी ई. दिवाकर तिवारी संगम की बदहाली दूर न हो पाने पर खास चिंता जतायी । चिन्‍मय मिशन के स्‍वमीजी ने वह सबकुछ कहा जो कि  उनकी गारिमा और मर्यादा के अनुकूल था। 
किन्‍तु नदियों और जल प्रबंधन के प्रयासों के बारे में जो जानते हैं उन्‍हे भलिभांति मालूम है कि इलहाबाद में संगम पर अक्‍सर पर्वों के मौकों पर जलकिल्‍लत की समस्‍या का स्‍थायी समाधान पचनदा की तीस साल से लंबित चल रही बहुउद्धेश्‍यीय बांध परियोजना ही है।  जिसके पूरा होते ही यमुना नदी में बांध के डाउनस्‍ट्रीम से संगम तक तीन हजार क्‍यूसेक जल की उपलब्‍धता सुनिश्‍चित हो जायेगी। साथ ही बांध के जलाशय से निकलने वाली नहरों का एक बडा तंत्र बनाया जाना संभव होगा जिसमें से अनेक की टेले बुंदल खंड के उन क्षेत्रों तक पानी पहुंचा सकेंगी जहां कि दशकों से एक एक बूंद की मारा मारी चल रही है1 मैं आगरा के मित्रों की ओर से अपनी बात कह कर यानि ‘सत्‍याग्रह’ कर सीट पर बैठ गया किन्‍तु जानता था कि कुछ को छोड कर ज्‍यादातर को न तो पचनदा का पता था और न हीं पचनदा डैम प्राजेक्‍ट की व्‍यापक उपयोगिता का।  कार्यक्रम में सैकड़ो जल विशेषज्ञों  छात्रों के साथ जलाधिकार फाउंडेशन के राष्टीय अध्यक्ष गोपाल कृष्ण, वरिष्‍ठ अर्थशास्‍त्री एवं संगठन सचिव कैलाश गोदुका, राष्‍ट्रीय सचिव अवधेश उपाध्‍याय  , पूर्व सांसद डॉ महेश शर्मा, शोभित यूनिवर्सटी के चांसलर डॉ शेखर अग्रवाल,मध्यप्रदेश से महेश शर्मा, राजकुमार गुप्ता, दीवान सिंह ,आदि के साथ जलाधिकार आगरा अध्यक्ष डॉ अनुराग शर्मा, महामंत्री नितिन अग्रवाल, मंत्री इं दिवाकर तिवारी, उपाध्यक्ष बीरेंद्र भारद्वाज एड, कोषाध्यक्ष बिमल जैन, सदस्य सुशांत सिंघल, प्रशांत दुबे, अनूप उपाध्याय, ऋषि कुमार की भी भागीदारी रहीlश्री अनुराग शर्मा ने आगरा मे जलाधिकार के प्रयासों के पिरणाम से जोधपुर झाल जलाशय बनजाने  तथा पार्कमाईनर के सुचारू हो जाने की संभावनाओं पर भी विस्‍तार से प्रकाश डाला। 
 --पंचनदा प्रोजेक्‍ट
 तकरीबन दो सौ किमी के क्षेत्र  फैला खतरनाक बीहड़ यमुना, चंबल, क्वारी, सिंधु और पहुज नदियों का संगम है। ये नदियों मानसून काल के अलावा अन्‍य मौसमों में भी जब तब भरपूर जलराशि के साथ बहती हैं। यमुना इनमें सबसे बडी नदी है किन्‍तु गैर मानसून काल में कम जलराशि वाली नदी है , जबकि चम्‍बल गैर मानसून काल में भी भरपूर पानी के साथ बहने वाली नदी है। कमोवेश तीनो अन्‍य नदियां भी मानसून के थमने के बाद भी काफी दिनो तक अपने स्‍थानीय जलग्रही क्षेत्रों से भरपूर जल लाती रहती हैं। 
पांच नदियों की इस विपुल जलराशि को अगर डैम बनाकर सिमेट कर रैग्‍यूलेट किया जाये तो न केवल उत्‍तर प्रदेश अपितु म प्र की भी पानी को लेकर बनी रहने वाली समस्‍या का समाधान हो सकेगा। । साथ ही जल विद्युत का उत्‍पादन भी संभव होगा। ।
-- बांध की योजना
  इस बांध पर सबसे पहली योजना 1986 में बनी थी।पूर्व प्रधानमंत्री स्‍व श्रमती इन्‍दिरा गांधी  यहां बांध बनाये जाने की बात सबसे पहले अपने एक दौरे में  कही थी। पंचनद बांध योजना के तहत उत्तर प्रदेश के औरैया जनपद में यमुना नदी पर औरैया घाट से 16 किमी अपस्ट्रीम में सढरापुर गांव में बैराज का निर्माण होना है। इस स्थल के अपस्ट्रीम में चंबल, क्वारी, सिंध और पहुज नदियां मिलती हैं। पंचनद मध्यप्रदेश के भिंड और उत्तर प्रदेश के इटावा, जालौन, औरैया जिले की सीमा पर यमुना और उसकी सहायक नदियों चंबल, क्वारी, पहुंच और सिंध का मिलन स्थल है। 
-- बाधा
 भारत में जनता के हित पहले न देखकर राजनैतिक नफा -नुकसान को आगे रखा जाता है। स्‍व श्रीमती इन्‍द्र गांधी के द्वारा अपने उ प्र के एक दौरे के दौरान इसकी घोषणा करना मात्र इसके पिछडने का सबसे बडा करण बन गया । बाद में म प्र और उ प्र में जब गैर कांग्रेसी सरकारें बनीं तो उनमें से किसी ने भी इसे महत्‍व नहीं दिया। बल्‍कि म प्र सरकार ने तो भिंड जनपद में आने वाली बीहड की जमीन को भी जलडूब क्षेत्र में आना अपने लिये धटे का काम ही माना। वैसे अब तो यह योजना कांग्रेस के एजैंडे से बाहर ही है।किन्‍तु अब समय बदल चुका है।प्रधानमंत्री श्री नरेनद्र मोदी की सरकार जलसंसाधनों के मामले में काफी गंभीर है, उधर चम्‍बल के बीहणी क्षेत्र में भी संस्‍कृति बदल चुकी है। दस्‍यू वहां से अलबिदा से हो चुके हैं। खेती और मजदूरी करने की कार्य संस्‍कृति अब यहां दहशत और बेगारी की परंपरा को प्रतिस्‍थापित कर चुकी है।
--लोकसभा और राज्‍यसभा में भी उठचुकी है आवाज
राज्‍य सभा में 19 दिसम्‍बर 2011 सांसद गंगा चरन ने पचनदा का सवाल उठाते हुए बांध परियोजना को शीघ्रता के साथ शुरू करने का आग्रह किया था।उन्‍होंने योजना के लिये एक उच्‍चस्‍तरीय मीटिंग भी बलाये जाने की मांग की। 
इसी प्रकार  लोकसभा सदस्‍य वी के अग्‍निहोत्री ने, 13 दिसम्‍बर 12011 को उठाया ही नहीं इस परियोजना को बुंदलखंड पैकेज से भी जोडने का प्रयास किया ।  
जालौन लोकसभा क्षेत्र के सांसद रहे श्री घनश्याम अनुरागी (जालौन) 7जुलाई 2009 को लोकसभा में पानी के सवाल पर हुई बहस में पचनदा डैम का मामला उठाया था। स्‍पीकर को संबोधित करते हुए उन्‍होंने कहा था कि '  महोदय मेरे संसदीय क्षेत्र जनपद जालौन, उत्तर प्रदेश मे यमुना, चंबल, सिंध एव पहुंज, पांच नदियों का संगम होता है जिसे पंचनदा के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक वर्ष बरसात में वर्षा द्वारा अत्यधिक पानी इन नदियों में आता है, किन्तु बांध न होने के कारण बहकर निकल जाता है। यह क्षेत्र पूर्णतया कृषि पर आधारित है तथा जीविकोपार्जन के लिए दूसरा कोई अन्य साधन क्षेत्र में उपलब्ध नहीं है। विगत् 5 वर्षों से बुंदेलखण्ड क्षेत्र के किसान भीषण सूखा पड़ने के कारण भुखमरी, आत्महत्या व क्षेत्र से पलायन करने को मजबूर हैं जल स्तर बहुत नीचे चला गया है। मवेशियों व मनुष्यों को पीने तक का पानी उपलब्ध नहीं है। क्षेत्र में भारी बिजली संकट है जिससे क्षेत्र की सम्मानित जनता में रोष व्याप्त है। कभी भी कोई बड़ी अप्रिय घटना घट सकती है। सरकार की उदासीनता के कारण प्रस्तावित पंचनदा बांध योजना चालू करने के बाद ही बंद कर दी गई जिससे किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं ठहराया जा सकता। क्षेत्र के किसानों , मजदूरों, व्यापारियों आदि सभी वर्गों को दो वक्त की रोटी, पीने का स्वच्छ पानी एवं पर्याप्त बिजली उपलब्ध कराने के लिए प्रस्तावित पंचनदा बांध योजना को स्वीकृत कराने के लिए प्रस्तावित पंचनदा बांध योजना पर तुरंत कार्य प्रारंभ कराने की आवश्यकता है। पंचनदा बांध बन जाने से वहां के किसान खुशहाल रहेगा तथा सूखे की स्थिति से हमेशा के लिए निपटा जा सकेगा।  मैं सदन के माध्यम से माननीय जल संसाधन मंत्री से अनुरोध करता हू कि जनपद जालौन, उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित पंचनदा बांध के निर्माण को स्वीकृति प्रदान कर तुरंत प्रारंभ कराने के आवश्यक निर्देश जारी करने का कष्ट करें।
-- ताजा तरीन कोशिश
सुप्रीम कोर्ट मानीटरिंग कमेटी के सदस्‍य श्री रमन के नेतृत्‍व में उ प्र जल निगम , सिंचाई विभाग के तृतीय मंडल के अधीक्षण अभियंता श्री एन सी उपाध्‍याय के साथ एक टीम आगरा के लिये जलस्‍त्रोत खोजने के अभियान में पचनदा गयी थी। इस टीम ने यहां की भौगोलिक स्‍थिति को भविष्‍य की जरूरत के लिये तो काफी उपयोगी माना किन्‍तु बडी योजना होने के कारण तत्‍कालिक कोयी कदम उठाना तय नहीं किया जा सका। 
-- गैर राजनैतिक संगठनों की सक्रियता
इंग्‍लैड के प्रख्‍यात संगठन टेम्‍स रिवर फाऊंडेशन ट्रस्‍ट ( Thames River Restoration Trust --TRRT) और दिल्‍ली के द पीस इंस्‍टीटयूट चैरेटेविल ट्रस्‍ट (  The Peace Institute Charitable Trust -PICT ) ने पचनदा के गांवों में जनजागरण फैलाने के लिये  स्‍थानीय जनों को जोड कर नदी मित्र मंडली ('Nadi Mitra Mandali' -Friends of the River) का गठन भी किया किन्‍तु संगठन के प्रयासों के परिणाम बांध परियोजना को बल देने वाले साबित नहीं हो सके। इटावा की पर्यावरणीय संस्था सोसायटी फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर के सचिव डा.राजीव चौहान का कहना है कि पांच नदियों के दुलर्भ स्थल का वैसे तो अपने आप  मे ही  खासा महत्व रखता है लेकिन अगर उत्तर सरकार पंचनदा योजना को बल प्रदान करे तो इससे क्षेत्र का जनजीवन सुखद हो सकता है।चम्‍बल क्षेत्र के ग्रामीणों के संगठन कालेश्वर महापंचायत के अध्यक्ष बाबू सहेल सिंह परिहार ने चंबल के विकास के साथ साथ पंचनदा योजना को भी क्रियान्‍वित करवाये जाने के प्रवल पक्षधर  हैं। किन्‍तु उनका मानना है कि अगर दिल्‍ली में इसके लिये पहल हो तभी कुछ हो सकता है।