15 मार्च 2018

उपचुनावों के नतीजों ने स्‍पष्‍ट किया , ईवोएम मशीनों पर तोहमत औचित्‍यहीन

--- जीत के बावजूद सपा मुखिया ने फिर याद किया ‘ वैलेट पेपर’ इस्‍तेमाल का दौर    
ई वी एम: आम जनता की ' पसंद '  , नेताओं
को बेहद  ' नापसंद '

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आगरा : लोकसभा के तीन सीटों के उप चुनाव के आये नतीजों से और कुछ भले ही तय नहीं हो पाया हो किन्‍तु इलैक्‍ट्रानिक वोटिंग मशीनों की टैक्‍नेलाजी को लेकर उत्‍पन्‍न संदेह पूरी तरह से दूर हो गये हैं। उत्‍तर प्रदेश में मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍य नाथ और उपमुख्‍य मंत्री केशव प्रसाद मौर्य सहित बिहार में सत्‍ताधारी गठबन्‍धन की जिस तरह से उपचुनाव में हार हुई है, उससे यह तो स्‍पष्‍ट हो ही गया हे कि चुनाव आयोग पर ईवोम मशीनों टैक्‍नेलाजी को लेकर सवाल खडे करना आधार हीन और निहायत फिजूल का काम था। 
दरअसल में चुनावों सबसे ज्‍यादा गडबडी वैलट पध्‍यति से होने वाले मतदान के दौरान होती थी। मतदाता पहचान पत्र
और ईवोम मशीनों के उपयोग से मतदान और मतगणना के काम में अप्रत्‍याशित सुधार आया है। जहां जहां भी राजनैतिक दल जनता के द्वारा ठुकराये गये हैं, वहां वहां उस दल के नेतृत्‍व ने अपनी फजीहत से बचने को ई वी एम  मशीनों
अगर वैलेट से वाट पडते तो जीत  और
बडे मार्जिनों से होती:अखिलेश 
और चुनाव आयोग की इलैक्‍शन के तहत चुनाव संपन्‍न करवाने वाली मशनरी पर तोहमत लगाकर अपनी राजनैतिक असफलताओं को छुपाने का काम किया है।
सधे हुए राजनैतिक खिलाडी होने के नाते समाजवादी पार्टी के नेता श्री अखिलेश यादव ने उप चुनाव में मिली जीत के बावजूद ई वी एम मशीनों पर तोहमत लगाये जाना की रस्‍म को बरकारा रखा है। उन्‍होंने जीत के साथ ही यह कहने में जरा सी भी देर नहीं कि इन मशीनों के कारण उनक प्रत्‍याशियों की जीत का मार्जिन अधिक नहीं हो सका। दोनो सीटो के तहत चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पूर्व अनेक मशीनों मे वोट पडे पाये गये। यही नहीं श्री यादव ने कहा कि मतपत्र वाला चुनाव जन अभिव्‍यक्‍ति सामने लाने का सबसे उपयुक्‍त माध्‍यम है। 
यह वक्‍तव्‍य लगभग वैसा ही है जैसा कि बसपा अध्‍यक्ष सुश्री मायाबती ने उ प्र में हुए निकाये चुनाव में महापौर की दो सीटे क्‍बजाने के बावजूद भसी दे डालने में को देर नहीं की थी। जो भी अब इलैक्‍ट्रानिक वोटिंग मशीने आम मतदााताओं की कसौटी पर ही नहीं सुप्रीम कोर्ट तक की कसौटी पर खरी पायी गयी हैं। जिन िजन चुनावों मे मतदान के लिये इनका प्रयोग हुआ मतदान के समय अपेक्षाकृत कम गडबडी हुई। वे दिन अधिक पुराने नहीं हुए हे जबकि मतदान केन्‍द्रो पर मतपत्र छीनने कीर घटनाये हुआ करती थी। उत्‍तर प्रदेश और बिहार के कुछ जनपदो में तो मतपत्र फाडने या जबरदस्‍ती वैलट वाक्‍स में डालने का रिवाज सा रहता था। मतदान केन्‍दो पर गडबडी करने की बुनियाद पर खडे इन दलों मे से अधिकांश अपने संगठनात्‍मक चुनाव तक सही तरीके से करवा सके हैं।