--नगर निगम ने 1.02 करोड की कार्ययोजना तैयार, सिंचाई विभाग की संस्तुति का इंतजार
जलाधिकार के अवधेश उपाध्याय पर्यावरण विद् राजेश ने लिया तालाब का जायजा । |
( राजीव सक्सेना) आगरा:अगर कुछ अप्रत्याशित नहीं हुआ तो नेहरू नगर पार्क के सामने का रोड साइड तालाब पुर्नजीवित होगा। इसमें भरपूर पानी का इंतजाम होने के साथ ही हरियाली के बीच में से गुजरने वाले ‘पाथ वे ’ की व्यवस्था भी होगी। मूल रूप से यह जलाशय सिचाई विभाग का था और रिकार्डों के अनुसार 1911 से नगर पालिका आगरा (अब नगर निगम) की संपत्ति है। जलाधिकार फाऊंडेशन की ओर से जब महानगर के पांच तालाबों का जीर्णोद्धार के
लिये नागरिकों से नाम सुझाने का अनुरोध किया गया तो सबसे
ज्यादा आनलाइन अनुरोध इसी जलाशय के जीर्णेद्धार के लिये आये। इन सभी अनुरोधों पर तत्काल तो कुछ भी संभव नहीं हो सका किन्तु् फिलहाल नेहरू नगर तालाब का जीर्णोद्धार और जलयुक्त होना लगभग तय हो चुका है। प्रयासों के मौजूदा परिप्रेक्ष्यन में तालाब की वस्तुस्थिति का पर्यावरणविद् तथा नगर निगम के तमाम प्राजैक्टों में पार्टनर रहे राजेश कुमार ,पार्षद अशोक कुशवाह, वीरेन्द्र भारद्वाज एडवोकेट ने श्री अवधेश उपाध्याय के साथ स्थलीय जायजा लिया तथा प्रसन्नता जतायी कि प्रयास फलीभूत होने जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि मई-जून के महीने में जब तालाबों का जीर्णोद्धार करने को की गयी जन अपेक्षा के साथ जलाधिकार फाऊंडेशन की टीम के सदस्य अधीक्षण अभियंता सिचाई से मिले तो उन्हों ने नगर निगम संपर्क करने का सुझाव दिया,इसके बाद तो एक लम्बी प्रक्रिया ही शुरू हो गयी।
तालाब के मालिकाना रिकार्ड व्यवस्थित रूप से उपलब्ध न होने के कारण अनुमानित किया गया कि यह तालाब जनपद न्यायाधीश के प्रबंधन में होगा। जिस पर जलाधिकार फाऊंडेशन के नेशनल सैकेट्री अवधेश उपाध्याय ने ताज प्रेस क्लब के अध्यक्ष अनिल शर्मा एडवोंकेट और आगरा कलैक्ट्रेट वार एसोसियेशन के पूर्व जनरल सैकैट्री अमीर अहमद जाफरी सहित कुछ अन्य प्रबुद्धजनों के साथ जनपद न्यायाधीश से मिलने का समय मांगा । जिस पर बाद में उनके प्रतिनिधियों ने मुलाकात के दौरान स्पष्ट कर दिया कि तालाब की जमीन को दुरूस्थ कर उस पर अतिथिग्रह बनाया जाना प्रस्तावित है। न्यायिक अधिकारियों के द्वारा दी जानकारी के बाद श्री उपाध्याय खामोश तो जरूर हो गये किन्तु वह चाहते थे कि तालाब बचना चाहिये हालांकि वह यह मानते ,न्यायधीशों के ठहरने के लिये प्रस्ताावित गैस्ट हाऊस भी बनना जरूरी है। बाद मे रिकार्डों की पडताल हुई जिसमें यह तालाब नगर निगम के प्रबंध का निकला ।मंडलायुक्त के स्तर से इसके अनुरक्षण और सुधार के लिये नगर निगम से कार्ययोजना बनाये जाने को कहा गया।
पार्क माईनर की बहाली के प्रयास तो पता नहीं कब फलीभूत होंगे किन्तु पालीवाल पार्क के लिये बनी माईनर के हैड पर होने वाली पाऊंडिंग को इस्तेीमाल होने वाले तालाब की बहाली का मार्ग जरूर प्रशस्त होने के सन्निकट है। पालीवाल पार्क को बजीरपुरा होकर जाने वाले चैनल के हैड पर बने इस तालाब में सिकन्दपरा राजवाह का सरप्लस पानी नहरी गूल से तालाब में पहुंचता था।वर्तमान में जहां नेहरू नगर पुलिस चौकी है, नहर वहीं से कल्वर्ट से होकर तालाब तक पहुंचती थी। फिर जरूरत के अनुसार पार्क के इंचार्ज पानी का इस्तेकमाल करते रहते थे।
सिकन्दतरा राजवाह की टेल को बन्द हुए तो चार दशक हो गये किन्तु नेहरू नगर का तालाब तमाम बेकदिरयों के बावजूद अब तक बना हुआ है।
जिला जज का निवास और न्याकयिक अधिकारियों का आवासीय परिसर एक दम लगा हुआ होने से तालाब तो जरूर बचा रहा किन्तु उसके रख रखाव में पर्याप्त दिलचस्पी किसी ने भी नहीं ली।
तालाब को मलवे से भरकर इमारत परिसर बनाये जाने की योजनाओं तक बनायी गयीं । किन्तु तालाब संरक्षण के लिये न्यायलयों के कडे रुख के कारण तालाब जमींदोज करने के मंसूबों को अंजाम नहीं मिल सका।
न्याय प्रशासन ने गैस्टोहाऊस के लिये सुविधाजनक अन्य स्था्न चिन्हिात कर लिया। वर्तमान मे स्थिति यह है कि नगरायुक्त अरुण प्रकाश की खास दिलचस्पी से 1.2 करोड की कार्ययोजना तैयार की गयी है। सिचाई विभाग के पास इसे संस्तुति के लिये भेजा जा चुका है अगर वहां से इसे स्वीकृति मिलजाती है तो नगर निगम के प्रबंधन का पहला आकर्षक तालाब आगरा के जनजीवन को उपलब्ध हो जायेगा।
यह तालाब अपने आप में तो पर्याप्तध आकर्षण होगा ही साथ ही इसके भरपूर पानी से नेहरू नगर, गांधी नगर, बजीरपुरा, जजेज कंपाऊड क्षेत्र के जलस्तर में आ रही गिरावट भी काफी हद तक थम जायगी। वर्तमान में यह अत्य,धिक जलदोहन वाला क्षेत्र माना जाता है, जिसमें लगभग 1300 सबमर्सेविल पंप नियमित संचालित हैं । दिल्ली के लुटियन जोन की हरियली अपने आप में एक अच्छाथ खासा आकर्षण है किन्तुं कम ही लोग जानते हैं कि एडविन लुटियन के स्ट्रैिक्चमर परिसर को सदा बहार हरियाली देने का काम जिस एलवर्ट एडवर्ड पीटर ग्रीसन ( ए ए पी ग्रीसन)ने किया था,उसने ही आगरा के खारे पानी को चुनौती मानकर ऊसर को हरियाली अच्छाचदित किया था।वह भी दिल्ली से छै साल पहले।
ग्रीसन की आगरा में गार्डन सुप्रिटैडैंट के रूप में 1904 में नियुक्त हुई थी,संभवत: इस पद पर नियुक्तिी पाने वाला वह पहला अधिकारी था। उस समय आगरा में सरकारी गार्डनों के रूप में केवल मैकडौनाल्डम पार्क था जिसे कि उसे विक्टोेरिया पार्क(अब मोतीलाल पार्क) के रूप में तब्दीमल करना था। साथ ही जहा भी संभव हो हरियाली अच्छाटदन का प्रयास करना था।