--ऐजैंट दस लाख तक के मुनाफे का दिलवा रहे हैं भरोसा
आगरा: जमीन कारोबारी जो कि राजनीतिज्ञों और एन सी आर में कार्यरत रहे अधिकारियों से आंतिक संपर्क में हैं इस समय उसी जमीन के सौदे करवा रहे हैं जो कि जैवर में बनने वाले ताज इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिये चिन्हित और कृषि भूमि के रूप में राजस्व रिकार्डों में दर्ज है। सोशल मीडिया पर इसके लिये वाकायदा पब्लिसिटी भी की जा रही है।खेती की इस जमीन को घोषित तौर पर खेती के मकसद से
ही बेचा और खरीदा जा रहा है। खरीद फरोख्त के इस खेल को यमुना एक्सप्रेस वे इंडस्ट्रियल अथार्टी गैर कानून जरूर करार दे चुकी है किन्तु उसकी ओर से अबतक राजस्व और भू हस्तांतरण संबधी किसी भी उस कानून का हवाला दिये जाने को पहल नहीं की गयी है जिसके तहत ‘अधिग्रहण’ को चिन्हित जमीनों की खरीद फरोख्त गैरकानूनी हो जाती हो। प्रदेश में सामान्य भू अधिग्रहण के मामले में केवल इतना ही कानूनी हक होता है कि चिन्हित जमीन पर कोई अन्य कार्य नहीं हो सकता है और न ही नोटिफिकेशन के बाद अधिग्रहण करने वाली संस्था की अनुमति के बिना उसका अन्य उपयोग ही हो सकता है। सैफई(जिला मैनपुरी) में भी बहुत सी जमीन पर अधिग्रहण के दौर में बैनामों पर पाबंदी लगी थी किन्तु जोतदारों के कोर्ट में पहुंचने पर सरकार को अपने निर्णयों पर पुनर्विचार करना पडा था। बारहाल ग्रेटर नोयडा में जमीन कारोबारियों का जैवर की जमीन का लेकर जो गणित है उसके अनुसार किसान 12 लाख से लेकर 15 लाख प्रति बीघा तक जमीन का कृषि भूमि के रूप में बैनामा करने को तैयार है। इस जमीन को खरीदने वालों को इसका अगले दो साल के भीतर इस पर 20 लाख से ज्या दा मुआवजा मिलना अनुमानित है।
जो भी हो उ प्र की योगी सरकार जमीनी प्रोजैक्टो की जगह हवाई जहाजी प्राजेक्टोंप पर सरकारी धन ज्या्दा उदारता के साथ खर्च कर रही है। अकेले जैवर प्र्रोजैक्टो पर ही बीस हजार करोड का व्यय सरकारी खजाने विशुद्ध रूप से सरकारी खजाने से ही करना होगा। यह प्रोजैकट पी पी पी पैटर्न का जरूर है किन्तु निवेशक जब आगे आने को तैयार नहीं हुए तो केन्द्री मत्रियों और भाजापाई नेतओं ने इसे पूरा करने के लिये उ प्र सरकार पर ही दबाव डालना शुरू कर दिया अंतत: इसमें उन्हें कामयाबी मिल गयी।
जैबर क्षेत्र में एयरपोर्ट का प्रोजैक्टर कैबीनेट के द्वारा मंजूर कर दिये जाने के बाद जमीन के दाम तेजी के साथ बढना शुरू हो गये हैं।सूत्रों की माने तो चालीस से ज्यादा जनप्रतिनिधियों और उनके परिवारी जनों का ही जैबर और उसके आसपास के क्षेत्र में जमीनों में बडा निवेश है।