28 जून 2017

चालीस गांव और एक नहर भी भेंट चढेंगी ताज इंटरनेशनल एयरपोर्ट को

 --किसानों की जमीन ही होगी अधिग्रहित , अन्‍य की जमीनों को मिलेगा वैल्‍यूएडीशन का लाभ

आगरा:जैवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के बनाये जाने में यमुना नदी और यमुना एक्स प्रेस वे के बीच एक हजार हेक्टेचयर (लगभग ढाईहजार एकड) जमीन का अधिग्रहण किया जायेगा।कुल तीन हजार हेक्टे यर जमीन ( साढे सात हजार एकड) जमीन) की जरूरत होगी ,अवशेषजमीन को दो चरणों के बाद अधिग्रहित
किया जायेगा। पहले ही चरण के अधिग्रहण में 35 गांवों के किसान प्रभावित होंगे। तीन फसली और गंगाकैनाल सिस्टगम की नहर से सिंचित इस जमीन के साथ ही एक प्राचीन मन्दितर और एक मस्जििद के भविष्य  के बारे में भी भू अधिग्रहण के लिये कार्यदायी संस्थाा ‘यमुना एकसप्रेस वे इंडस्ट्रि यल अथार्टी ‘ को निर्णय लेना होगा। जमीन चयन में एक नहर की भी शामत आयेगी। फसली रोस्टनर से संचालित गंगा करह प्रणाली की इस नहर को खुर्दबुर्द कर दिया जायेगा । विस्थापपित होने वालेकिसानों को कहां बसानेकी वैकल्पि क व्यहवस्थाी की गयी है, इसकी जानकरी फिलहाल उनको भी नही है जो कि योजना के स्वबयं  कर्त्ताप-धरता है या अपनी राजनैतिक ताकत से पर्दे के पीछे छिप कर करवा रहे हैं।
मौजूदा इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्ला्न बसपा शासन के दौरान बने प्लाान का आकार के हिसाबसे दो गुना और वित्तीएय जरूरतके आंकलनके हिसाब से तीन गुंना होगा।मसलन उस समय के प्लाुन के क्रियान्वजयन को लगभग 1500हेक्टे यर जमीनही चिन्हिात की गयी थी और जरूरी मानीगयीथी साथ ही इस पर लगभग पांच हजार खर्चा आना ही डी पभ्‍ आर में अनुमानित था। जबकि मौजूदा प्ला न तीन हजार हेक्टे यर का है और इसके क्रियान्वायन में  15 हजार करोड से ज्या दा की राशि खर्च होगी। 2019 तक का लक्ष्य कर तैयार किये जा रहे इस प्रोजेकट को अगर पी पी पी मॉड्यूल पर तैयार करने वाले निवेशकआ गये तब तो सरकार को खास परेशानीनहीं होगी अन्यमथा ‘लखनऊ-आगरा एक्सबप्रेस वे’ की तर्ज पर सरकारी धन से ही ढेकेदारों से तैयारकरवाना पडेगा। 
जैबर और यमुना एक्स प्रेस वे के आसपास के गांवों में किसानो की जमीन खरीद कर ‘लैड यूज’ करवा के लैंड बैंक बनालेने वाले प्राईवेट और कर्पोरेट सैक्टकर के एक भी व्य क्तिू की एक इंच भी जमीन प्रोजेक्टै के लिये खरीदी जाने वाली जमीन में शामिल नहीं होगी। आकार बदलने के साथ प्रस्तारवित प्रोजैक्टा के स्थानन में भी थोडा परिवर्तन इस प्रकार किया गया है जिससे निवेशकों और यमुना एक्साप्रेस वे का संचालन करने वाली प्राईवेट कंपनी को ‘लैंडपार्सल’ के रूप में उपलब्धन करवायी एक इंच जमीन भी अधिग्रहित नहीं करनी पडे। इसके स्थाैन पर इन जमीन धारकों की जमीनों की कीमत में इससे वैल्यूज एडीशन और हो जायेगा।कुल मिलकार किसानों और खेती की जमीनों की नापतौल करवाने पर ही सरकार का जोर रहा है।
यमुना फ्लड प्लेोन को अब तक इस जमीन अधिग्रहण में खास तव्व जोह नहीं दी गयी है। मूल प्लाान में दो चरणीय कार्ययोजना वाली ताज इंटरनेशनल  एयरपोर्ट  ,का अधिकांश कार्य आगरा से दिल्लीड जाते हुए दाहिनी ओर प्रस्ताावित था, इसके साइन बोर्ड भी लगे हुए थे किन्तु  केन्दअ सरकार की घोषणा के बाद जो स्थाान चिन्हिरत दर्शाया गया है वह बांई ओर है और यमुना नदी तथा यमुना एक्स प्रेस वे के बीच का है।
मायाबती शासन के समय बने प्राजेक्टर के लिये कई बडे निवेश कर्त्ता  तैयार थे हालांकि उस समय तक यमुना एक्स प्रेसवे तक संचालित नहीं हुआ था किन्तु  बसपा सरकार के जाते ही समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार ने इसे निरस्ता कर आगरा में ही इंअरनेशनल एयरपोर्ट बनाये जाने की बात कही।किन्तु  कुछा ही दिन में वह आगरा के स्थामन पर इसे सैफई में बनवाने के प्रयास में लगे गये।जोकि  विधान सभा के 2017 में हुए चुनाव में हारने के समय तक जारी रहे। भारतीय जनता पार्टीकी मोदी सरकार के मत्रियों ने अपनेअपने तरीके से इस प्रोजैक्टह को फिर से लाइन अप किया। आगरा के नागरिक संगठन ही नही पार्टी के बडे नेताओं ने भी इसे लेकर विरोध जताया किन्तुआ फिर भी यह जारीरहा।प्रदेश में भाजपा की योगी सरकार आने के बाद जमीन उपलब्धइ करवाने संबधी औपचारिकता भी पूरी हो गयी।