चौ अजित सिंह और शरद के नेतृत्व
में नई पार्टी बनाये जाने को शुरू हुई कसरत
(बाबू लाल मरांडी) (शरद यादव) |
आगरा:पिछडा वर्ग पर यू पी में
एकाधिकार समझने वाले राजनीतिज्ञों को 2017
के लिये फिर से दिमागीकसरत शुरू करनी होगी। जनता दल (यू), राष्ट्रीय लोकदल और झारखंड
विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) शीघ्र ही मिलकर पिछडों की ताकत हिस्साबांट करने जा रहे
हैं।समाजवादी
पार्टी के साथ जनतादल परिवार के विलय का खेल आकाम रहने के बाद समाजवादी
विचारधारा के बिखरे हुओं का यह दूसरा प्रयास होगा।इस गठबन्धन और बाद में मिलकर एक
बडी पार्टी बनाये जानेके खेल में बडी भूमिका बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार निभायेंगे,जबकि उप के 2017 क चुनावी खेल में चुनावी टीम की अगुवाई चौ
अजित सिंहके द्वारा...
की जायेगी।
(चौ अजित सिंह) |
की जायेगी।
नए दल में शामिल होनेवालों की एकजुटता और माहौल आपसी
भाईचारे का माहौल बनाये जाने का काम उ प्र मेरठ, लखीमपुर, बस्ती और वाराणसी जनपदो में रैलियों के आयोजन के साथ शुरू हो
जायेगा।इनसभीमें मुख्यवक्ताके रूप में शामिल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल
होंगे।जबकि अन्य वक्ताओं में पूर्व
केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी और शरद यादव
आदि होंगे।
नये गठित होने जा रही पार्टियों में रालोद का पश्चिमी यूपी, जदयू का बिहार और झारखंड विकास मोर्चा का झारखंड में प्रभाव है। अलग-अलग क्षेत्रों में आधार रखने वाले ये तीनों दल विलय करके नई पार्टी के गठन पर सहमत हो गए हैं।
नई पार्टी के गठन में अगर कोई संशय रहाबचा है तो बस अध्यक्ष के नाम को लेकर है, श्री नितीश कुमार इसके लिये श्री शरद यादव का नाम उपयुक्त मानते हैं,जबकि जदयू तक के कई चौधरी अजित सिह को इस पद पर चाहते हैं।दूसरी श्रेणी के नेताओं में सामान्य तौर पर महामत्री या उपाध्यक्ष जैसी जिम्मेदारियांदी जाती हैं,जिसके लिये बाबू लाल मरांडी और केसी त्यागी पात्रों की सूची में शामिलहैं।
नए दल की अपने जनाधार के लिये पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और कमजोर तबके के वोटों पर है। किसानों, खासतौर से जाट, कुर्मी और अन्य पिछड़ी जातियों पर खास नजर है,जो कि वर्तमान में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच बंटे हुए हैं।
नये गठित होने जा रही पार्टियों में रालोद का पश्चिमी यूपी, जदयू का बिहार और झारखंड विकास मोर्चा का झारखंड में प्रभाव है। अलग-अलग क्षेत्रों में आधार रखने वाले ये तीनों दल विलय करके नई पार्टी के गठन पर सहमत हो गए हैं।
नई पार्टी के गठन में अगर कोई संशय रहाबचा है तो बस अध्यक्ष के नाम को लेकर है, श्री नितीश कुमार इसके लिये श्री शरद यादव का नाम उपयुक्त मानते हैं,जबकि जदयू तक के कई चौधरी अजित सिह को इस पद पर चाहते हैं।दूसरी श्रेणी के नेताओं में सामान्य तौर पर महामत्री या उपाध्यक्ष जैसी जिम्मेदारियांदी जाती हैं,जिसके लिये बाबू लाल मरांडी और केसी त्यागी पात्रों की सूची में शामिलहैं।
नए दल की अपने जनाधार के लिये पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और कमजोर तबके के वोटों पर है। किसानों, खासतौर से जाट, कुर्मी और अन्य पिछड़ी जातियों पर खास नजर है,जो कि वर्तमान में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच बंटे हुए हैं।